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    Home » Nagpur Ka Itihas: कभी मध्य प्रदेश का अभिन्न भाग नागपुर क्यों और कैसे बना महाराष्ट्र का हिस्सा, आइए जानते हैं
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    Nagpur Ka Itihas: कभी मध्य प्रदेश का अभिन्न भाग नागपुर क्यों और कैसे बना महाराष्ट्र का हिस्सा, आइए जानते हैं

    By January 27, 2025No Comments5 Mins Read
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    Nagpur History Wikipedia in Hindi(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Nagpur Kaise Hua Maharashtra Mein Shamil: नागपुर (Nagpur), महाराष्ट्र राज्य (Maharashtra) का तीसरा सबसे बड़ा और भारत के प्रमुख शहरों में से एक है। इसे भारत के भौगोलिक केंद्र में स्थित होने के कारण “जीरो माइल सिटी” (Zero Mile City) के नाम से भी जाना जाता है। यह न केवल अपनी प्रशासनिक और ऐतिहासिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे महाराष्ट्र की उपराजधानी का गौरव भी प्राप्त है।

    यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सुव्यवस्थित ढांचे, और बढ़ते शहरीकरण के लिए जाना जाता (Nagpur Kyun Famous Hai) है। वैश्विक स्तर पर, नागपुर दुनिया का 114वां सबसे बड़ा शहर है, और भारत में इसे 13वां सबसे बड़ा शहर होने का दर्जा प्राप्त है। इसे “संतरों की नगरी” (Orange City) के रूप में भी पहचाना जाता है|

    यह शहर कभी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का हिस्सा हुआ करता था और 1956 में भाषाई पुनर्गठन (linguistic Reorganisation Of States 1956) के दौरान इसे महाराष्ट्र में शामिल किया गया। तो वही नागपुर की प्रशासनिक महत्ता, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और प्राकृतिक संपदा इसे महाराष्ट्र और भारत के सबसे खास शहरों में से एक बनाती है। यहां का विकास, औद्योगिक और शैक्षणिक प्रगति, और भौगोलिक स्थिति इसे देश के तेजी से बढ़ते शहरों में शामिल करती है। आज इस लेक के माध्यम से हम इस शहर के इतिहास के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे।

    नागपुर का इतिहास (Nagpur Ka Itihas In Hindi)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नागपुर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। पुरातात्विक साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि नागपुर में मानव बस्ती ईसा पूर्व 8वीं शताब्दी से ही अस्तित्व में थी। दृगधामणा (म्हाडा कॉलोनियों के पास) में मिली मेहीर समाधि इस बात का प्रमाण है कि इस क्षेत्र में मेगालिथिक संस्कृति विद्यमान थी। नागपुर का पहला उल्लेख 10वीं शताब्दी में वर्धा जिले के देवली में मिले ताम्रपत्र पर हुआ है, जिसमें राष्ट्रकूट राजाओं के काल में नागपुर का संदर्भ दिया गया है।

    प्राचीन राजवंश और नागपुर के शासक:- तीसरी शताब्दी के अंत में वाकाटक राजवंश के राजा विद्याशक्ति ने नागपुर पर शासन किया। वाकाटक साम्राज्य का नागपुर क्षेत्र पर चौथी शताब्दी तक प्रभाव रहा, और इसका गुप्त साम्राज्य के साथ निकट संबंध था। वाकाटक की राजधानी नगरधन (प्राचीन नंदीवर्धन) नागपुर से 28 किलोमीटर दूर स्थित थी। वाकाटक साम्राज्य के बाद नागपुर का क्षेत्र चालुक्य, राष्ट्रकूट, यादव और मुगल साम्राज्य के प्रभाव में आया।

    मुगल और गोंड काल:- सत्रहवीं शताब्दी में नागपुर मुगल साम्राज्य का हिस्सा बना, लेकिन क्षेत्रीय प्रशासन की बागडोर देवगढ़-नागपुर के गोंड राजाओं के हाथ में थी। इस काल में गोंड राजकुमार बख्त बुलंद ने नागपुर की स्थापना की और इसे संगठित शहर के रूप में विकसित किया।

    मराठा साम्राज्य और नागपुर:- 1739 में गोंड राजा चांद सुल्तान के निधन के बाद नागपुर मराठा साम्राज्य के अधीन आ गया। 1743 में रघुजी भोसले ने नागपुर का नियंत्रण अपने हाथ में लिया और भोसले परिवार ने यहां शासन किया। हालांकि, 1803 और 1817 के एंग्लो-मराठा युद्धों में मराठों की हार के बाद नागपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। 1853 में भोसले परिवार के अंतिम राजा रघुजी (तृतीय) की मृत्यु के बाद नागपुर का प्रशासन सीधे ब्रिटिश सरकार के हाथ में आ गया।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    ब्रिटिश काल और नागपुर का विकास:- 1853 से 1861 के बीच नागपुर “सेंट्रल प्रोविन्सेस एंड बेरार” प्रांत की राजधानी बना। नागपुर ने आधुनिक औद्योगिक युग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1877 में, टाटा समूह ने नागपुर में देश का पहला टेक्सटाइल मिल शुरू किया। नागपुर का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण स्थान था; 1920 के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन को गति दी गई।

    पुनर्गठन और महाराष्ट्र से एकता:- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नागपुर मध्य प्रदेश की राजधानी बना। लेकिन 1956 में भाषाई पुनर्गठन के कारण नागपुर को महाराष्ट्र में शामिल किया गया। आज, नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी है और यह भारत के प्रमुख औद्योगिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्रों में से एक है।

    डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और बौद्ध धर्म आंदोलन:- 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। यह घटना दलित और बौद्ध आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अध्याय मानी जाती है।

    संतरों की नगरी:- नागपुर को “संतरों की नगरी” के नाम से जाना जाता है। यहां के संतरे अपनी गुणवत्ता, स्वाद और मिठास के लिए पूरे देश और विदेशों में प्रसिद्ध हैं। इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि और जलवायु संतरे की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है, जो इसे देश में संतरे के उत्पादन का मुख्य केंद्र बनाती है।

    भौगोलिक महत्व:- नागपुर भारत के मध्य में स्थित है और इसे “जीरो माइल सिटी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां से पूरे भारत की दूरी नापने का मानक निर्धारित किया गया है। यह शहर प्रमुख रेलवे और सड़क मार्गों का जंक्शन है, जो इसे देश के विभिन्न भागों से जोड़ता है।

    आधुनिक नागपुर और प्रगति

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    2002 में, नागपुर ने अपनी स्थापना का 300वां वर्षगांठ मनाया। आज, नागपुर आधुनिक बुनियादी ढांचे, औद्योगिक क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए प्रसिद्ध है। नागपुर भारत का भौगोलिक केंद्र है और इसे “जीरो माइल सिटी” के नाम से भी जाना जाता है। संतरे और प्राचीन इतिहास के साथ, नागपुर का यह सफर इसकी समृद्ध विरासत और निरंतर विकास का साक्षी है।�

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