Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • सोशल मीडिया पर वायरल हुआ IRCTC का lucknow to Andaman Tour- लग्ज़री ट्रिप पॉकेट-फ्रेंडली दाम में!
    • जहां मां बगुलामुखी के आशीर्वाद से मिली थी युद्ध में जीत, उसी शक्तिपीठ पर झुकता है नेताओं का सिर
    • Bihar Assembly Election: महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस जारी, आज होगा बिहार के सीएम फेस का ऐलान!
    • सस्पेंस खत्म! तेजस्वी यादव होंगे मुख्यमंत्री उम्मीदवार…? महागठबंधन का आज होगा बड़ा दांव
    • बिहार की लाल रंग की खुनिया नदी और तुतला भवानी जलप्रपात-रोहतास का रहस्यमयी पर्यटन स्थल
    • Upendra Kushwaha Profile: अग्नि परीक्षा के दौर में उपेंद्र कुशवाहा
    • गुजरात की राजनीति में बड़ा ‘छक्का’! जडेजा की पत्नी रिवाबा मंत्रिमंडल में शामिल
    • हरिओम मॉब लिंचिंग: क्या दलित होना अब भी जानलेवा गुनाह है? राहुल गांधी से मिलते मां के छलके आंसू
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Navratri 2025: इस शारदीय नवरात्रि जानें 51 शक्तिपीठों का अद्भुत महत्व और दर्शन से मिलने वाले लाभ
    Tourism

    Navratri 2025: इस शारदीय नवरात्रि जानें 51 शक्तिपीठों का अद्भुत महत्व और दर्शन से मिलने वाले लाभ

    Janta YojanaBy Janta YojanaSeptember 15, 2025No Comments11 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Devi Sati Shakta pithas: शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर को घटस्थापना यानी कलश स्थापना के साथ होगी और यह पर्व 2 अक्टूबर तक विजयदशमी की भव्य छटा में समापन करेगा। इन नौ पावन दिनों में पूरे देश में माँ दुर्गा की आराधना का उत्साह और भक्ति का रंग हर दिल में घर कर जाता है। मंदिरों और पूजा स्थलों पर भक्तों की श्रद्धा और उमंग का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। नवरात्रि के इस पर्व में भारत समेत विदेशों में भी कई शक्तिपीठों पर भक्तों की भीड़ और भक्ति का माहौल किसी दिव्य अनुभूति से कम नहीं होता। आइए, जानते हैं देवी सती के उन 51 शक्तिपीठों के बारे में, जिनकी पवित्रता और कथा नवरात्रि के इन नौ दिन हर श्रद्धालु के हृदय को आध्यात्मिक ऊर्जा और श्रद्धा से भर देती है।

    शक्तिपीठ की पौराणिक कथा

    राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में चुना । लेकिन भगवान शिव  वे अक्सर ध्यान और तप में रहते थे, शरीर पर भस्म का लेप होता था और सामाजिक नियमों से अलग जीवन जीते थे। राजा दक्ष को यह पसंद नहीं था इसलिए राजा दक्ष ने कभी भगवान शिव को अपने दामाद के रूप में स्वीकार नहीं किया । एक बार दक्ष प्रजापति ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने भगवान शिव को इसमें आमंत्रित नहीं किया। माता सती ने यह अपमान सहन न कर पाने के कारण अपने पिता के यज्ञ में जाकर स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। जब भगवान शिव को यह समाचार मिला तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और तांडव करने लगे। उन्होंने माता सती का शरीर कंधे पर उठाकर भयंकर नृत्य किया जिससे सृष्टि में प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सृष्टि को बचाने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया। जिन-जिस स्थान पर ये अंग गिरे वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। यह कथा शिव पुराण, भागवत पुराण और अन्य प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है और आज भी भारतीय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताओं में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

    51 शक्तिपीठ और उनका महत्त्व

    • हिंगलाज शक्तिपीठ – हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलोचिस्तान में कराची से लगभग 217-250 किमी दूर स्थित है, जहां माता सती का ब्रह्मरंध्र (माथा) गिरा था और यहां देवी को कोट्टरी या कोटावी के रूप में पूजा जाता है।

    • शर्कररे शक्तिपीठ – यह शक्तिपीठ कराची के सुक्कर स्टेशन के पास स्थित है और कुछ लोग इसे बिलासपुर के नैनादेवी मंदिर से भी जोड़ते हैं क्योंकि दोनों जगहों को शक्ति पीठ के रूप में माना जाता है। यहां माता की आंख गिरी थी और उन्हें महिष मर्दिनी के रूप में पूजा जाता है।

    • सुगंध शक्तिपीठ – यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के बरिसल जिले के शिकारपुर गांव में सोंध नदी के किनारे स्थित है, जहां माता की नाक गिरी थी और उन्हें सुनंदा या सुगंधा के रूप में पूजा जाता है।

    • अमरनाथ शक्तिपीठ – अमरनाथ शक्तिपीठ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास अनंतनाग में स्थित है, जहां माता का गला गिरा था और उन्हें महामाया के रूप में पूजा जाता है।

    • ज्वाला जी शक्तिपीठ – ज्वाला जी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है, जहां माता की जीभ गिरी थी और उन्हें सिधिदा (अंबिका) के रूप में पूजा जाता है।

    • देवी तलाब शक्तिपीठ – जालंधर का त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर क्षेत्र में है, जहां माता का बायां वक्ष गिरा था और उन्हें त्रिपुरमालिनी माता के रूप में पूजा जाता है।

    • अम्बाजी शक्तिपीठ – गुजरात-राजस्थान सीमा के पास अरासुरी पर्वत पर स्थित अम्बाजी मंदिर में माता का हृदय गिरा था और उन्हें यहां अंबाजी के रूप में पूजा जाता है।

    • गुजयेश्वरी शक्तिपीठ – नेपाल के काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के पास स्थित गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में माता के दोनों घुटने गिरे थे और यहां उन्हें महाशिरा या महामाया के रूप में पूजा जाता है।

    • दाक्षायनी शक्तिपीठ – तिब्बत में कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील किनारे स्थित मानस शक्तिपीठ में माता का दाहिना हाथ गिरा था और यहां उन्हें दक्षायनी के रूप में पूजा जाता है।

    • बिराज शक्तिपीठ – ओडिशा के जाजपुर जिले में स्थित बिराज शक्तिपीठ में माता की नाभि गिरी थी और यहां उन्हें विमला देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • मुक्तिनाथ शक्तिपीठ – नेपाल के मुस्तांग जिले में गंडकी नदी किनारे स्थित मुक्तिनाथ मंदिर में माता का दाहिना गाल गिरा था और यहां उन्हें गंडकी चंडी के रूप में पूजा जाता है।

    • देवी बाहुला शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के केतुग्राम में अजय नदी किनारे स्थित बहुला शक्तिपीठ में माता का बायां हाथ गिरा था और यहां उन्हें देवी बहुला के रूप में पूजा जाता है।

    • मंगल चंद्रिका शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के कोग्राम गांव में स्थित उज्जयनी शक्तिपीठ में माता सती की दाहिनी कलाई गिरी थी और यहां उन्हें मंगल चंडिका के रूप में पूजा जाता है।

    • त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ – त्रिपुरा के उदयपुर शहर के पास माताबाड़ी में स्थित त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ में माता सती का दाहिना पैर गिरा था और यहां उन्हें त्रिपुरा सुंदरी के रूप में पूजा जाता है।

    • भवानी शक्तिपीठ – बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में सीताकुंड के पास चंद्रनाथ पर्वत की चोटी पर स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती की दाहिनी भुजा गिरी थी और यहां उन्हें भवानी के रूप में पूजा जाता है।

    • भ्रामरी शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के त्रिस्रोत (सालबाढ़ी गाँव) स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती का बायां पैर गिरा था और यहां उन्हें भ्रामरी देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • कामाख्या शक्तिपीठ – असम के गुवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या शक्तिपीठ में माता सती का योनि भाग गिरा था और यहां उन्हें कामाख्या देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • जुगाड्या शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड़्या शक्तिपीठ में माता सती का दाहिने पैर का बड़ा अंगूठा गिरा था और यहां उन्हें जुगाड़्या देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • कालिका शक्तिपीठ – कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित कालीघाट शक्तिपीठ में माता सती के दाहिने पैर की चार उंगलियां गिरी थीं और यहां उन्हें देवी कालिका के रूप में पूजा जाता है।

    • ललिता शक्तिपीठ – उत्तर प्रदेश के प्रयाग संगम के पास मीरापुर में स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती की हाथ की अंगुली गिरी थी और यहां उन्हें ललिता देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • जयंती शक्तिपीठ – बांग्लादेश के सिल्हट जिले के जयंतिया परगना में कालाजोर भोरभोग गांव स्थित जयंती शक्तिपीठ में माता सती की बायीं जंघा गिरी थी और यहां उन्हें जयंती देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • विमला शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोना गाँव में स्थित विमला शक्तिपीठ में माता सती का मुकुट गिरा था और यहां उन्हें विमला देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • विशालाक्षी एवं मणिकर्णी शक्तिपीठ – वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित विशालाक्षी शक्तिपीठ में माता सती के दाहिने कान का मणि गिरा था और यहां उन्हें विशालाक्षी के रूप में पूजा जाता है।

    • श्रवणी शक्तिपीठ – तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित श्रवणी शक्तिपीठ में माता सती की रीढ़ की हड्डी (पीठ) गिरी थी और यहां उन्हें श्री भगवती अम्मन के रूप में पूजा जाता है।

    • सावित्री शक्तिपीठ – हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित सावित्री शक्तिपीठ में माता सती का दाहिना टखना गिरा था और यहां उन्हें सावित्री देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • गायत्री शक्तिपीठ – राजस्थान के अजमेर जिले के पुष्कर के पास गायत्री पर्वत में स्थित मणिबंध शक्तिपीठ में माता सती के दोनों मणिबंध (कलाई) गिरे थे और यहां उन्हें गायत्री देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • महालक्ष्मी शक्तिपीठ – बांग्लादेश के सिलहट जिले में स्थित श्री शैल शक्तिपीठ में माता सती का गला गिरा था और यहां उन्हें महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है।

    • देवगर्भ शक्तिपीठ – पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में कांची शक्तिपीठ में माता सती की अस्थि गिरा थी और यहां उन्हें देवगर्भा के रूप में पूजा जाता है।

    • काली शक्तिपीठ – मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित कालमाधव शक्तिपीठ में माता सती का बायां नितम्ब गिरा था और यहां उन्हें काली के रूप में पूजा जाता है।

    • नर्मदा शक्तिपीठ – नर्मदा शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के अमरकंटक में शोन्देश में स्थित है, जहां माता सती का दायां नितंब गिरा था और उन्हें नर्मदा देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • शिवानी शक्तिपीठ – शिवानी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में रामगिरि नामक स्थान पर स्थित है, जहां माता सती का दायां वक्ष गिरा था और उन्हें शिवानी देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • उमा शक्तिपीठ – उमा शक्तिपीठ वृंदावन, मथुरा के भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित है, जहां माता सती के केश गुच्छा गिरे थे और उन्हें उमा देवी के रूप में पूजा जाता है।

    • नारायणी शक्तिपीठ – सुचिंद्रम शक्तिपीठ तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित है, जहां माता सती का ऊपरी दांत गिरा था और उन्हें नारायणी के रूप में पूजा जाता है।

    • वाराही शक्तिपीठ – पंचसागर या वाराही शक्तिपीठ वाराणसी में स्थित है, जहां माता सती का निचला दांत गिरा था और उन्हें वाराही के रूप में पूजा जाता है।

    • अर्पण शक्तिपीठ – अर्पण शक्तिपीठ बांग्लादेश के बोगरा जिले में करतोया नदी के तट पर स्थित है, जहां माता सती का बायां पायल गिरा था और उन्हें अर्पण के रूप में पूजा जाता है।

    • श्री सुंदरी शक्तिपीठ – श्री पर्वत शक्तिपीठ लद्दाख, जम्मू-कश्मीर में स्थित है, जहां माता सती का दायां पायल गिरा था और उन्हें श्री सुंदरी के रूप में पूजा जाता है।

    • कपालिनी शक्तिपीठ – विभाष शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के तमलुक में रूपनारायण नदी के किनारे स्थित है, जहां माता सती का बायां पायल गिरा था और उन्हें कपालिनी के रूप में पूजा जाता है।

    • चंद्रभागा शक्तिपीठ – प्रभास शक्तिपीठ गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास वेरावल के पास स्थित है, जहां माता सती का पेट गिरा था और उन्हें चंद्रभागा के रूप में पूजा जाता है।

    • अवंति शक्तिपीठ – अवंति शक्तिपीठ मध्यप्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है, जहां माता सती का ऊपरी होठ गिरा था और उन्हें अवंती के रूप में पूजा जाता है।

    • भ्रामरी शक्तिपीठ – भ्रामरी शक्तिपीठ भारत में दो जगहों पर हैं: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में जहां माता सती का बायाँ पैर गिरा और देवी भ्रामरी के रूप में पूजा जाती हैं। और महाराष्ट्र के नासिक में, जहां माता सती की ठोड़ी गिरने की मान्यता है और देवी सप्तश्रृंगी के नाम से पूजी जाती हैं जो सात पर्वत शिखरों से घिरी हुई हैं।

    • राकिनी/विश्वेश्वरी शक्तिपीठ – सर्वशैल शक्तिपीठ आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी के पास गोदावरी नदी के किनारे कोटिलिंगेश्वर मंदिर में है, जहां माता सती का गाल गिरा माना जाता है और देवी को राकिनी या विश्वेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।

    • अंबिका शक्तिपीठ – अंबिका शक्तिपीठ राजस्थान के भरतपुर जिले के विराट नगर में है, जहां माता सती के बायें पैर की चार उंगलियां गिरी मानी जाती हैं और देवी को अंबिका या चामुंडा के रूप में पूजा जाता है।

    • कुमारी शक्तिपीठ – रत्नावली शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में रत्नाकर नदी के किनारे स्थित है, जहां माता सती का दायां कंधा गिरा माना जाता है और देवी को कुमारी के रूप में पूजा जाता है।

    • उमा शक्तिपीठ – उमा शक्तिपीठ मिथिला क्षेत्र, जनकपुर के पास स्थित है, जहां माता सती का बायां कंधा गिरा माना जाता है और देवी को उमा के रूप में पूजा जाता है।

    • कलिका देवी शक्तिपीठ – नलहाटी शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है, जहां माता सती का गला गिरा माना जाता है और देवी को कालिका या नलतेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।

    • जयदुर्गा शक्तिपीठ – जयदुर्गा शक्तिपीठ मुख्य रूप से कर्नाटक के कर्नाट में स्थित माना जाता है, जहां माता के दोनों कान गिरे थे और देवी को जयदुर्गा के रूप में पूजा जाता है।

    • महिषमर्दिनी शक्तिपीठ – वक्रेश्वर शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में पापहर नदी के किनारे स्थित है, जहां माता सती का भौंह गिरा माना जाता है और इसे महिषमर्दिनी के रूप में पूजा जाता है।

    • यशोरेश्वरी शक्तिपीठ – यशोरेश्वरी शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर शहर में स्थित है, जहां माता सती के हाथ और पैर गिरे माने जाते हैं और इसे देवी काली के रूप में पूजा जाता है।

    • फुल्लरा शक्तिपीठ – अट्टहास (फुल्लरा) शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में लाभपुर के पास स्थित है, जहां माता सती का निचला ओष्ठ गिरे माना जाता है और इसे देवी फुल्लरा के रूप में पूजा जाता है।

    • नंदिनी शक्तिपीठ – नंदीपुर शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सैंथिया के पास स्थित है, जहां माता सती का गले का हार गिरा माना जाता है और इसे देवी नंदिनी के रूप में पूजा जाता है।

    • इंद्रक्षी शक्तिपीठ – इंद्रक्षी शक्तिपीठ श्रीलंका (लंका) के नल्लूर में स्थित है जो जाफना क्षेत्र के पास आता है। यह शक्तिपीठ माता सती का पायल (पैर की अंगूठी) गिरने की जगह माना जाता है। इसे इंद्राक्षी, शंकरी, नागापुष्णी अम्मा आदि नामों से जाना जाता है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleEtawah News: शिवपाल यादव बोले- ‘वोट चोरी से बीजेपी ने बनाई सरकार’, रामभद्राचार्य पर कसा तंज
    Next Article Jalaun News: जालौन में सपा का जबरदस्त प्रदर्शन! स्मार्ट मीटर के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोग
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    सोशल मीडिया पर वायरल हुआ IRCTC का lucknow to Andaman Tour- लग्ज़री ट्रिप पॉकेट-फ्रेंडली दाम में!

    October 23, 2025

    जहां मां बगुलामुखी के आशीर्वाद से मिली थी युद्ध में जीत, उसी शक्तिपीठ पर झुकता है नेताओं का सिर

    October 23, 2025

    बिहार की लाल रंग की खुनिया नदी और तुतला भवानी जलप्रपात-रोहतास का रहस्यमयी पर्यटन स्थल

    October 21, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025

    दिल्ली विश्वविद्यालय में 9500 सीटें खाली, मॉप-अप राउंड से प्रवेश की अंतिम कोशिश

    September 11, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.