
Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 की गर्मी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। इस बार चुनावी मैदान में सिर्फ नेता नहीं, बल्कि पर्दे पर धमाल मचाने वाले सितारे भी अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं। भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार और मशहूर सिंगर पवन सिंह अब राजनीति में भी बड़ा दांव खेलने वाले हैं। आज दिल्ली में उनकी मुलाकात राष्ट्रीय लोकमोर्चा (आरएलएम) के संस्थापक उपेंद्र कुशवाहा से हुई, और इसी के साथ उन्होंने एनडीए में अपनी औपचारिक एंट्री कर ली। इसके बाद पवन सिंह की मुलाकात अमित शाह के साथ हुई है। इस मुलाकात ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है।
शाहाबाद में बढ़ेगा बीजेपी का दांव
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अमित शाह लंबे समय से शाहाबाद क्षेत्र यानी आरा, बक्सर, सासाराम और रोहतास में बीजेपी की कमजोर होती पकड़ को मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे। यहां का समीकरण बदलना आसान नहीं था, लेकिन पवन सिंह के जुड़ने से पार्टी को नया ऊर्जा स्रोत मिल गया है। पवन सिंह की लोकप्रियता और जनाधार शाहाबाद में बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचा सकती है।
पवन सिंह और दो सीटों का समीकरण
सूत्रों की मानें तो पवन सिंह ने शाहाबाद की दो विधानसभा सीटों पर दावा किया है और पार्टी ने इस पर लगभग सहमति भी जता दी है। दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद ये साफ हो गया कि बीजेपी उन्हें चुनावी मैदान में उतारने को तैयार है। भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े ने भी इसे लेकर स्पष्ट कहा, “पवन सिंह एनडीए का हिस्सा हैं, थे और रहेंगे।”
पत्नी ज्योति सिंह भी आएंगी राजनीति में
पवन सिंह सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि अपनी पत्नी ज्योति सिंह के लिए भी टिकट की मांग कर चुके हैं। खबर है कि ज्योति सिंह दिनारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। यह सीट सासाराम की परंपरागत सीट मानी जाती है, लेकिन समीकरण इस बार थोड़ा बदल सकते हैं। पिछली बार ज्योति ने इसी सीट पर प्रचार किया था और अब पार्टी उन्हें चुनावी रणभूमि में उतारने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
काराकाट सीट का नया समझौता
गौर करने वाली बात यह है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में पवन सिंह की वजह से उपेंद्र कुशवाहा अपनी परंपरागत काराकाट सीट हार गए थे। लेकिन इस बार तस्वीर अलग है। पवन सिंह ने काराकाट पर दावा छोड़ दिया है और साफ कर दिया है कि वह इस सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बजाय वह खुद कुशवाहा के लिए चुनावी मैदान में प्रचार करेंगे। इससे यह संकेत मिलता है कि पुराने मतभेद अब भुला दिए गए हैं और एनडीए एकजुट होकर चुनावी तैयारी में जुट गया है।
उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी नई पार्टी आरएलएम के बैनर तले एनडीए में वापसी कर चुके हैं। ऐसे में पवन सिंह की एंट्री को बीजेपी और एनडीए दोनों के लिए मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। इससे शाहाबाद और आसपास की सीटों पर एनडीए की स्थिति मजबूत होगी और विपक्ष को चुनौती देना आसान हो जाएगा।
भोजपुरी स्टार से नेता तक
पवन सिंह भोजपुरी सिनेमा और गायकी में पहले ही जनता का दिल जीत चुके हैं। उनकी आवाज और अभिनय का जलवा गांव-गांव और शहर-शहर तक फैला हुआ है। अब राजनीति में उतरकर वे अपनी लोकप्रियता को वोटों में बदलने की कोशिश करेंगे। बिहार की जनता के बीच उनका प्रभाव इतना गहरा है कि वे आसानी से माहौल बदलने की ताकत रखते हैं।
बिहार की सियासत हमेशा अप्रत्याशित रही है। इस बार पवन सिंह की एंट्री, पत्नी ज्योति का चुनावी मैदान में उतरना और उपेंद्र कुशवाहा से उनकी नजदीकी, सब मिलकर चुनाव को और दिलचस्प बना रहे हैं। बीजेपी का लक्ष्य शाहाबाद क्षेत्र को पूरी तरह साधना है, और इसमें पवन सिंह का करिश्मा अहम भूमिका निभा सकता है।