
Sawan 2025 (Image Credit-Social Media)
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Neelkantheshwar Mahadev Temple: गुजरात की पावन धरती पर बसा जूनागढ़ अपने ऐतिहासिक किलों, प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और आध्यात्मिक स्थल है। यह मंदिर जूनागढ़ के पास गिरनार पर्वत के निकट स्थित है और अपनी रहस्यमयी विशेषताओं के कारण भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
मंदिर का परिचय और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर जूनागढ़ के गिरनार क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के नीलकंठ रूप को समर्पित है, जो समुद्र मंथन के दौरान विषपान करने के कारण प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है, और यह गुजरात के सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर राजपूत शासक राजा चौकराना के समय में बनाया गया था।

यह मंदिर अपनी अनूठी विशेषता के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर छह महीने तक पानी में डूबा रहता है और छह महीने तक पानी के बाहर रहता है। यह प्राकृतिक चमत्कार इसे और भी रहस्यमयी बनाता है। माना जाता है कि बारिश के मौसम में पास की नदी या जलाशय का पानी मंदिर के गर्भगृह तक पहुँच जाता है, जिससे शिवलिंग जलमग्न हो जाता है। फिर सूखे मौसम में पानी उतर जाता है और मंदिर फिर से दर्शन के लिए खुल जाता है। यह चक्र हर साल दोहराया जाता है, जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।
नीलकंठेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह जूनागढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी प्रतीक है। यहाँ आने वाले भक्त भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर की वास्तुकला गुजराती और प्राचीन भारतीय मंदिर शैली का एक सुंदर उदाहरण है। मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया है, जिसमें जटिल नक्काशी और मूर्तिकला देखने को मिलती है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन इसमें स्थापित शिवलिंग की भव्यता और पवित्रता इसे विशाल बनाती है। गर्भगृह में शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर का बाहरी हिस्सा सादगी और भव्यता का मिश्रण है। दीवारों पर की गई नक्काशी में हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्य और देवी-देवताओं की आकृतियाँ उकेरी गई हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार आकर्षक है और इसके ऊपर छोटा सा गोपुरम बना हुआ है, जो दक्षिण भारतीय मंदिरों की शैली से प्रेरित लगता है। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक परिवेश इसे और भी मनोरम बनाता है। गिरनार की पहाड़ियों और हरियाली के बीच यह मंदिर शांति और सुकून का अनुभव देता है।
मंदिर परिसर में एक छोटा सा जलाशय भी है, जो मंदिर की रहस्यमयी प्रकृति का हिस्सा है। यह जलाशय बारिश के मौसम में मंदिर को जलमग्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंदिर की यह अनूठी विशेषता इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग करती है।
धार्मिक महत्व

नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। भगवान शिव के नीलकंठ रूप को समर्पित यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष का पान किया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया। इसीलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान नीलकंठ की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है।
मंदिर में विशेष रूप से महाशिवरात्रि और सावन के महीने में भारी भीड़ होती है। इन अवसरों पर भक्त दूर-दूर से यहाँ जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने आते हैं। स्थानीय मान्यता है कि यहाँ शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सारी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। सावन के सोमवार को मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें भक्त बेलपत्र, दूध, शहद और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
मंदिर में एक और रोचक मान्यता है। कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहाँ दर्शन करते हैं, उनके जीवन के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। मंदिर का जलमग्न होने वाला चमत्कार भी भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव को और गहरा करता है।
पर्यटक आकर्षण
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है। यहाँ की कुछ खासियतें इस प्रकार हैं:
प्राकृतिक सुंदरता
मंदिर गिरनार पर्वत के पास स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की हरियाली, पहाड़ियाँ और शांत वातावरण पर्यटकों को प्रकृति के करीब ले जाते हैं। मंदिर के आसपास का क्षेत्र पिकनिक और एक दिन की सैर के लिए भी उपयुक्त है।
जलमग्न मंदिर का चमत्कार

मंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसका छह महीने पानी में डूबा रहना है। यह चमत्कार पर्यटकों और भक्तों को आश्चर्यचकित करता है। सूखे मौसम में मंदिर के दर्शन करना और बारिश के मौसम में इसका जलमग्न रूप देखना एक अनूठा अनुभव है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
महाशिवरात्रि और सावन के दौरान मंदिर में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले पर्यटकों को गुजराती संस्कृति से परिचित कराते हैं। यहाँ स्थानीय नृत्य, संगीत और भक्ति भजनों का आनंद लिया जा सकता है।
आसपास के दर्शनीय स्थल
जूनागढ़ में मंदिर के अलावा कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं, जैसे गिरनार पर्वत, उपरकोट किला, अशोक शिलालेख, दत्तात्रेय मंदिर और सक्करबाग चिड़ियाघर। ये स्थान पर्यटकों को एक संपूर्ण यात्रा का अनुभव प्रदान करते हैं।
मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है। इस दौरान गुजरात का मौसम सुहावना रहता है और आप मंदिर के साथ-साथ आसपास के स्थानों का भी आनंद ले सकते हैं। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में मंदिर में विशेष भीड़ होती है, इसलिए यदि आप शांति से दर्शन करना चाहते हैं तो सामान्य दिनों का चयन करें।
मंदिर कैसे पहुँचें
जूनागढ़ गुजरात का एक प्रमुख शहर है और यह सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
जूनागढ़ अहमदाबाद, राजकोट और पोरबंदर जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। आप बस या निजी वाहन से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं। मंदिर जूनागढ़ शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है।
रेल मार्ग
जूनागढ़ जंक्शन रेलवे स्टेशन देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा है। स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी या ऑटो रिक्शा से पहुँचा जा सकता है।
हवाई मार्ग
नजदीकी हवाई अड्डा राजकोट में है, जो जूनागढ़ से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टैक्सी या बस के जरिए मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
मंदिर में ठहरने की सुविधा

मंदिर में ठहरने की सुविधा नहीं है, लेकिन जूनागढ़ में कई होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार बजट या लग्जरी होटलों में ठहर सकते हैं। गिरनार के पास कुछ धर्मशालाएँ भी हैं, जो किफायती ठहरने का विकल्प प्रदान करती हैं।
रोचक तथ्य
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर छह महीने पानी में डूबा रहता है, जो इसे एक अनूठा और रहस्यमयी स्थल बनाता है।मंदिर का निर्माण राजपूत शासक राजा चौकराना ने करवाया था।यह मंदिर गिरनार पर्वत के पास स्थित है, जो जैन और हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है। महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ पाँच दिवसीय मेले का आयोजन होता है।
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर जूनागढ़ का एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जो धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का अनूठा संगम है। इसका जलमग्न होने वाला चमत्कार, शांत वातावरण और ऐतिहासिक महत्व इसे हर भक्त और पर्यटक के लिए अवश्य देखने योग्य बनाते हैं। यदि आप गुजरात की यात्रा पर हैं तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें। यहाँ का अनुभव आपको आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता का एक अनमोल तोहफा देगा।