
लंबे समय से चल रही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश तकरीबन पूरी हो गई है। पार्टी ने अपने पुराने व मंझे हुए कार्यकर्ता तथा ओबीसी चेहरे को अध्यक्ष बनाने का फ़ैसला कर लिया है। इसी के साथ भाजपा व संघ के बीच अध्यक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान का अंत हो गया। दोनों ने आम सहमति से इस नाम पर मुहर लगा दी है। इस नाम का ऐलान कब होगा। यह संघ ने भाजपा हाईकमान व सरकार पर छोड़ दिया है। यह नाम है- केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का।इन्हें संगठन व सरकार दोनों में काम करने का लंबा अनुभव है। राज्य व केंद्र की सरकारों के अनुभव भी शिवराज सिंह के खाते में दर्ज हैं। शिवराज सिंह चौहान कबड्डी, क्रिकेट और वॉलीबॉल के शौकीन हैं।बचपन में नर्मदा नदी में तैराकी का आनंद लेते थे।उन्हें ‘चैंपियंस ऑफ चेंज अवार्ड’ जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं।ग़ौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष पद की रेस में मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, तमिलनाडु के भाजपा नेता के. अन्नामलाई व राजनाथ सिंह के नाम सामने आये थे। हालाँकि राजनाथ सिंह ने इस रेस से अपना नाम खुद वापस ले लिया था।

विद्यार्थी परिषद, युवा मोर्चा से लेकर मुख्य संगठन में निभा चुके हैं जिम्मेदारी
शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय जनता पार्टी और इसके सहयोगी संगठनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। तेरह साल की उम्र में शिवराज सिंह चौहान संघ में शामिल हुए। 1975 में आपातकाल के दौरान वह विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए और भोपाल जेल में बंद रहे। 1977 से संघ के समर्पित कार्यकर्ता के रुप में काम शुरु कर दिया। इसी साल वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संगठन मंत्री बनाये गये। 1980-82 में परिषद के महासचिव बनें। लेकिन इससे बाद के सालों में इन्हें संगठन राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व इसके बाद परिषद के संयुक्त सचिव पद पर काम करना पड़ा। 1985-88 में भाजपा की इस छात्र शाखा के प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिये गये।

उन्होंने भाजपा की युवा शाखा भाजयुमो में 1988-91 में मध्यप्रदेश के अध्यक्ष पद का भी दायित्व निभाया। जबकि 2000-2003 में भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिये गये।1992 में अध्यक्ष प्रदेश भाजपा के महासचिव बने। 2000-05 में मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2014 में भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और 2020 में भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं। इसके अतिरिक्त 1991-92 में मध्य प्रदेश में भाजपा किसान मोर्चा के संयोजक तथा 1997-2000 में अखिल भारतीय किसान मोर्चा के महासचिव के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं।
दर्शनशास्त्र में है गोल्ड मेडलिस्ट, सरकार चलाने का लंबा अनुभव
उनका जन्म 5 मार्च, 1959 को मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के जैत गांव में एक किराड़ राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई चौहान था। उन्होंने भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) किया और स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 1992 में उनका विवाह साधना सिंह से हुआ, और उनके दो पुत्र, कार्तिकेय और कुणाल हैं। 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, जिसके बाद उनकी नाराजगी की खबरें सामने आईं। जून 2024 से वह केंद्र सरकार में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।

1990 में वह पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इसके बाद 1991, 1996, 1998, 1999 और 2024 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। कांग्रेस उम्मीदवार को आठ लाख से अधिक वोटों से शिकस्त दी। शिवराज सिंह चौहान ने 2005 से 2018 तक और फिर 2020 से 2023 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वह मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक कुल 13 वर्ष 17 दिन तक इस पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने लाडली लक्ष्मी योजना, बेटी बचाओ अभियान, जननी सुरक्षा योजना, और उषा किरण योजना जैसी कई लोकप्रिय योजनाएं शुरू कीं, जिनका उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और सामाजिक विकास था।
मामा की ममता भरी छवि से बनाई अनूठी पहचान
मध्य प्रदेश में उन्हें ‘मामा’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि उनके कार्यकाल में बेटियों और महिलाओं के लिए शुरू की गई योजनाओं ने उन्हें ममता भरा छवि दी। उन्होंने कहा है कि मामा वह है जो बेटियों के लिए दो मां का प्यार देता है।2024 के लोकसभा चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 3.42 करोड़ रुपये है, जिसमें 96 तोला सोने के आभूषण और एक रिवॉल्वर शामिल हैं, लेकिन उनके पास कोई कार नहीं है। उनकी पत्नी के पास 535 ग्राम सोने के आभूषण और एक एंबेसडर कार है।हाल ही में, एक विमान में टूटी सीट पर बैठने की घटना को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई।