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    Home » Odisha Sthapna Divas 2025: ओडिशा की स्थापना कब हुई, क्या है उड़ीसा का इतिहास ?
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    Odisha Sthapna Divas 2025: ओडिशा की स्थापना कब हुई, क्या है उड़ीसा का इतिहास ?

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 1, 2025No Comments9 Mins Read
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    Odisha Sthapna Divas 2025

    Odisha Sthapna Divas 2025

    Odisha Sthapna Divas 2025: ओडिशा, भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण राज्य है, जिसे अपने सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। ओडिशा की स्थापना 1 अप्रैल, 1936 को हुई थी। इसे स्वतंत्र भारत में एक अलग प्रांत के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी। ओडिशा स्थापना दिवस, जो हर साल 1 अप्रैल को मनाया जाता है, राज्य की समृद्ध संस्कृति, इतिहास, और विकास की यात्रा को दर्शाता है।

    ओडिशा का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

    ओडिशा राज्य 1 अप्रैल, 1936 को एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया। आजादी से पहले ब्रिटिश शासन के अंतर्गत ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। तीन सदियों के लंबे संघर्ष के बाद 1 अप्रैल, 1936 को राज्य बंगाल और बिहार प्रांत से अलग हो गया था।

    पहली अप्रैल को ओडिशा अपना स्थापना दिवस मनाता है । क्योंकि इस दिन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया गया था।

    आज़ादी के बाद ओडिशा और आस- पास की रियासतों ने नई नवेली भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी। ओडिशा राज्य की एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापना की गई थी। इसको याद करते हुए और साथ ही सभी नागरिकों में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए उत्कल दिवस का आयोजन किया जाता है।

    प्राचीनकाल में, ओडिशा कलिंग साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। अशोक द्वारा इसे 250 ईसा पूर्व में जीत लिया गया था। तबसे लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश का शासन रहा।

    ओडिशा की संस्कृति और इतिहास बहुत समृद्ध है। महाभारत में इसका कई बार उल्लेख भी मिलता है। प्राचीन इतिहास में इसका अलग- अलग नामों जैसे कलिंग, उत्कल, उद्र, तोशाली और कोसल से उल्लेख मिलता है।

    ओडिशा की स्थापना के कारण

    1 अप्रैल, 1936 को ओडिशा को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था। इस समय तक ओडिशा की अधिकांश जनसंख्या ओडिया भाषा बोलने वाली थी।लेकिन इसे बंगाल प्रेसीडेंसी के हिस्से के रूप में शामिल किया गया था, जिसके कारण ओडिया जनसंख्या को अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ता था।

    ओडिशा के लोग लंबे समय से अपने राज्य को एक अलग प्रांत के रूप में स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे, ताकि वे अपनी संस्कृति, भाषा और परंपराओं को संरक्षित कर सकें। इसके लिए ओडिया भाषी नेताओं जैसे लिंगराज पटनायक, मदन मोहन मालवीय और अन्य प्रमुख नेताओं ने अपनी आवाज़ उठाई।

    ओडिशा स्थापना दिवस की महत्ता

    ओडिशा स्थापना दिवस, राज्य की राजनीतिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह दिन ओडिशा की जनता के संघर्ष और समर्पण को सम्मानित करने का एक अवसर है। इस दिन विभिन्न सरकारी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें ओडिशा के इतिहास, संस्कृति और भाषा के महत्व को उजागर किया जाता है। यह दिन राज्य के गौरवमयी अतीत और विकास की दिशा में किए गए प्रयासों को स्मरण करने का दिन है।

    ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर

    ओडिशा की संस्कृति अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यहाँ की पारंपरिक कला, संगीत, नृत्य और साहित्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। ओडिशा का प्रसिद्ध नृत्य रूप ‘ओडिसी’ न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में जाना जाता है। ओडिशी नृत्य का इतिहास हजारों साल पुराना है और यह ओडिशा के मंदिरों और धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है।

    ओडिशा का साहित्य भी बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें ओडिया भाषा में लिखी गई कविताएँ और ग्रंथ प्रमुख हैं। महाकाव्य ‘उत्कल चरित’ और ‘वीर लक्ष्मण’ जैसे काव्य ओडिशा के साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं।

    ओडिशा के प्रमुख स्थल और पर्यटन

    ओडिशा को अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल जैसे पुरी का जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर, लिंगराज मंदिर, चिलिका झील और भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ओडिशा की समुद्री तटरेखा भी बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ हर साल पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं।

    राजनीतिक और प्रशासनिक विकास

    ओडिशा की स्थापना के बाद से राज्य ने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक बदलाव देखे हैं। 1956 में जब भारतीय राज्यों का पुनर्गठन हुआ, तो ओडिशा की सीमाएँ फिर से निर्धारित की गईं। इसके बाद ओडिशा में कई औद्योगिक और सामाजिक सुधारों की शुरुआत हुई, जिनका उद्देश्य राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना था।

    उत्कल दिवस का महत्व

    उत्कल दिवस ओडिशा के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। आइए Odisha Day in Hindi के उन कारणों पर गौर करें कि यह दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है :

    ओडिशा का गठन उड़िया लोगों के वर्षों के संघर्ष और असंख्य बलिदानों का परिणाम था। उत्कल दिवस इन संघर्षों को याद करने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने ओडिशा के लोगों के लिए एक अलग राज्य की लड़ाई लड़ी।

    उत्कल दिवस पूरे राज्य में खुशी का दिन है। यह ओडिशा के प्रत्येक निवासी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और अपनी विशिष्ट पहचान का जश्न मनाने का अवसर देता है।

    उत्कल दिवस पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों को राज्य की संस्कृति के उत्सव में एक साथ लाते हैं। इन आयोजनों से राज्य के निवासियों में एकता और एकजुटता की भावना बढ़ती है।

    ओडिशा के प्रसिद्ध लोग और उनके योगदान

    ओडिशा में कई ऐसे प्रसिद्ध नेता और स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं, जिन्होंने राज्य और देश की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:

    लक्ष्मीबाई: ओडिशा की एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

    कांचीबंकर: ओडिशा के प्रसिद्ध समाज सुधारक जिन्होंने राज्य के शिक्षा और सामाजिक सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    बिद्या पाणिग्रही: ओडिशा के प्रमुख साहित्यकार और कवि जिन्होंने ओडिया साहित्य को नई दिशा दी।

    ओडिशा के आर्थिक और औद्योगिक विकास

    ओडिशा को खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता है। यहाँ का उद्योग क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। ओडिशा में लौह अयस्क, बॉक्साइट और कोयला जैसे खनिजों का विशाल भंडार है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। इसके अलावा, ओडिशा के बंदरगाहों और समुद्री तटों के माध्यम से व्यापार और आयात-निर्यात की प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण है।

    ओडिशा की वर्तमान स्थिति (2025)

    ओडिशा, भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं के लिए जाना जाता है। वर्तमान समय में ओडिशा विकास के कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, औद्योगिक विकास, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों के कारण ओडिशा की स्थिति पहले से अधिक सशक्त और उन्नत हो रही है।

    राजनीतिक स्थिति

    वर्तमान समय में ओडिशा की राजनीति स्थिर है। वैसे तो राज्य में बीजू जनता दल (BJD) का प्रभाव है। इस दल के नेता नवीन पटनायक 2000 से 2024 तक सत्ता में रहे। उनकी ने सरकार कृषि, शिक्षा, और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू कीं।

    ओडिशा सरकार ने कृषि विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे ‘कालिया योजना’, जिससे किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है। लेकिन इन सब के बाद 2024 में हुए चुनाव में भाजपा ने सत्ता हथिया ली। मोहन चरण मांझी राज्य के मुख्यमंत्री बनें। इस राज्य में यह पहली बार भाजपा की सरकार है।

    भूगोल और जलवायु की स्थिति

    ओडिशा का भूगोल और जलवायु राज्य की अर्थव्यवस्था और कृषि को प्रभावित करता है। राज्य बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है और इसकी तटरेखा लगभग 485 किलोमीटर लंबी है।

    प्राकृतिक आपदाएँ:

    ओडिशा अक्सर चक्रवातों और बाढ़ की चपेट में आता है। हाल ही में ‘फानी’ (2019) और ‘यास’ ( 2021) जैसे चक्रवातों ने यहाँ भारी तबाही मचाई थी। राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन में बेहतर तैयारी के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं।

    आर्थिक स्थिति

    ओडिशा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, खनिज, और उद्योग पर आधारित है। हाल के वर्षों में राज्य ने औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

    🔹 कृषि और उद्योग- ओडिशा की लगभग 60% आबादी कृषि पर निर्भर है।मुख्य फसलें: धान, मक्का, गन्ना, और तिलहन।ओडिशा में औद्योगिक क्षेत्रों का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिनमें लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला और क्रोमाइट का उत्पादन महत्वपूर्ण है।ओडिशा में पैरादीप पोर्ट और धामरा पोर्ट भारत के प्रमुख बंदरगाहों में शामिल हैं, जिनके माध्यम से खनिजों और औद्योगिक उत्पादों का निर्यात किया जाता है।

    जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद)- ओडिशा का वार्षिक जीडीपी लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये (2024-25 अनुमान) है।राज्य की अर्थव्यवस्था में खनन और पर्यटन का बड़ा योगदान है।

    स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति-ओडिशा में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो रहा है। राज्य में कई सरकारी अस्पताल और चिकित्सा संस्थान हैं, जैसे AIIMS भुवनेश्वर और SCB मेडिकल कॉलेज।राज्य सरकार ने गरीबों के लिए “बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना” शुरू की थी। जिसके तहत निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ दी जाती हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मोबाइल स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था की गई है।

    ओडिशा में शिक्षा का स्तर भी तेजी से सुधर रहा है।किट विश्वविद्यालय (KIIT) – भुवनेश्वर, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, उत्कल विश्वविद्यालय. सरकार ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए ‘मिशन शिक्षा’ नामक योजना शुरू की है।

    संस्कृति और पर्यटन

    ओडिशा की संस्कृति अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यहाँ की पारंपरिक कला, हस्तशिल्प, संगीत और नृत्य पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं।जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा ओडिशा का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।दुर्गा पूजा और बालिजात्रा भी बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं।ओडिशा की आदिवासी संस्कृति भी यहाँ के सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    पुरी का जगन्नाथ मंदिर: भारत के चार धामों में से एक है। कोणार्क का सूर्य मंदिर: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।

    चिल्का झील: एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील।भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान: दुर्लभ प्रजातियों का निवास स्थान।

    औद्योगिक और तकनीकी विकास

    ओडिशा में पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी क्षेत्र में भी प्रगति हुई है। भुवनेश्वर और कटक जैसे शहर तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के हब बन रहे हैं।आईटी कंपनियाँ: इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो आदि कंपनियाँ यहाँ निवेश कर रही हैं।ओडिशा सरकार स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए ‘ओडिशा स्टार्टअप मिशन’ चला रही है।

    ओडिशा के विकास की दिशा

    आज, ओडिशा एक तेजी से विकसित हो रहे राज्य के रूप में उभर रहा है। राज्य ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। राज्य सरकार ने कृषि, पर्यटन और उद्योग के क्षेत्र में नए कदम उठाए हैं, ताकि राज्य के निवासियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके।

    ओडिशा स्थापना दिवस, न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। इस दिन को मनाने से ओडिशा के इतिहास, संस्कृति, और विकास की महत्वपूर्ण कड़ी को याद किया जाता है। ओडिशा की यात्रा आज भी भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण यात्रा बनकर सामने आती है, जो राज्य की गौरवमयी धरोहर को सम्मानित करती है और उसकी भविष्य की दिशा को स्पष्ट करती है।

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