One Nation One Election :�एक�देश-एक�चुनाव�पर बात आगे बढ़ी है। केंद्रीय कैबिनेट ने देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब ये प्रस्ताव किस तरह मूर्तरूप लेता है ये देखने की बात है।
कमिटी की रिपोर्ट
दरअसल कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में गठित कमिटी की रिपोर्ट को स्वीकार किया है। इस कमेटी ने मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। कमिटी ने अपनी सिफारिशों के क्रियान्वयन पर गौर करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा था।
– कमिटी ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयक लाने होंगे जिन्हें संसद द्वारा पारित किया जाना आवश्यक होगा।
– एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
– इसके अलावा, विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट पेश करने वाला है। विधि आयोग सरकार के तीनों स्तरों – लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों – के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है और त्रिशंकु हाउस की स्थिति में एक “यूनिटी सरकार” के लिए प्रावधान कर सकता है।
रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है
– रिपोर्ट में कहा गया है कि – प्रारंभ में हर दस साल में दो�चुनाव�होते थे। अब हर साल कई�चुनाव�होने लगे हैं। इससे सरकार,� व्यवसायों,�श्रमिकों,�न्यायालयों,�राजनीतिक दलों,�चुनाव�लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक समाज पर भारी बोझ पड़ता है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि सरकार को�एक�साथ�चुनावों के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से व्यवहार्य तंत्र विकसित करना चाहिए।
– समिति की सिफारिश है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए�एक साथ� चुनाव�कराए जाएं। दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के�चुनाव�लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के साथ समन्वित होंगे। इस तरह से कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के�चुनाव�होने के सौ दिनों के भीतर नगर पालिकाओं और पंचायतों के�चुनाव�हो जाएं।
– लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के�चुनावों को�एक�साथ कराने के उद्देश्य से समिति सिफारिश करती है कि भारत के राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख को अधिसूचना द्वारा जारी कर सकते हैं।�चुनाव�आयोग इस अनुच्छेद के प्रावधान को लागू करें और अधिसूचना की उस तारीख को नियुक्त तिथि कहा जाएगा।
– समिति�चुनाव�कराने के लिए अनुच्छेद 324ए लागू करने की सिफारिश करती है। सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा�चुनाव�यानी�2029�तक बढ़ाया जाए।
त्रिशंकु सदन की स्थिति में दोबारा�चुनाव
– समिति की सिफारिश है कि त्रिशंकु सदन,�अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी घटना की स्थिति में नए सदन के गठन के लिए नए सिरे से�चुनाव�कराए जा सकते हैं।
– जहां लोकसभा के लिए नये�चुनाव�होते हैं,�लोकसभा का कार्यकाल,�लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल से ठीक पहले की शेष अवधि के लिए ही होगा और इस अवधि की समाप्ति विघटन के रूप में कार्य करेगी।
-����चुनाव�आयोग लोकसभा,� विधानसभा,� स्थानीय निकाय�चुनावों के लिए राज्य� चुनाव�अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा।
-����पैनल ने�एकसाथ�चुनाव�कराने के लिए उपकरणों,�जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।
अब क्या है संभावना
– एक�देश-एक�चुनाव�लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा�चुनाव�2023�के आखिर में हुए हैं,�उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
– रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह�2029�से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर�2026�तक�25�राज्यों में विधानसभा�चुनाव�कराने होंगे।
– मध्यप्रदेश,�राजस्थान,�तेलंगाना,�छत्तीसगढ़ और मिजोरम विधानसभाओं का कार्यकाल�6�महीने बढ़ाकर जून�2029�तक किया जाए। उसके बाद सभी राज्यों में�एकसाथ विधानसभा-लोकसभा�चुनाव�हो सकेंगे।
– आंध्र प्रदेश,�अरुणाचल प्रदेश,�ओडिशा और सिक्किमः इनका कार्यकाल जून�2024�में ही पूरा हो रहा है।
– हरियाणा,�महाराष्ट्र,�झारखंड और दिल्लीः इनके कार्यकाल में�5-8�महीने कटौती करनी होगी। फिर जून�2029�तक इन राज्यों में विधानसभाएं पूरे�5�साल चलेंगी।
– बिहार का मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा। -असम,�केरल,�तमिलनाडु,�प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल�3�साल�7�महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े�3�साल होगा।
– उत्तर प्रदेश,�गोवा,�मणिपुर,�पंजाब व उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल�3�से�5�महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा। गुजरात,�कर्नाटक,�हिमाचल,�मेघालय,�नगालैंड,�त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल�13�से�17�माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा। इन तीन चरणों के बाद�देश�की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून�2029�में समाप्त होगा।
अब आगे क्या होगा?
– कैबिनेट के फैसले के अनुरूप कानून मंत्रालय संविधान में वह नए खंड जोड़ेगा,�जिसकी सिफारिश विधि आयोग ने की है,�ताकि�चुनाव�एकसाथ हो सकें।
– इसे संसद के दोनों सदनों में पारित कराया जाएगा और राज्य विधानसभाओं से भी प्रस्ताव पारित करने की सिफारिश की जाएगी।
– इसके बाद तीन चरणों में�2029�तक लोकसभा और विधानसभाओं के�चुनाव�एकसाथ सुनिश्चित किए जा सकेंगे।