‘One Nation-One Election’ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम का विपक्षी दलों ने विरोध किया है, जबकि एनडीए की सहयोगी पार्टियों ने समर्थन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर प्रहार करते हुए संविधान विरोधी बताया है, जबकि एनडीए की सहयोगी दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख एवं बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने समर्थन किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन केवल ध्यान भटकाने का भाजपाई मुद्दा है। ये संविधान के ख़िलाफ़ है, लोकतंत्र के प्रतिकूल है, फेडरलिज्म के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।
वहीं, बहुजन समाज पार्टी की मुखिया एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि ’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी है।
ओवैसी ने किया विरोध
वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, मैंने लगातार One Nation One Elections का विरोध किया है। यह संघवाद को नष्ट करता है और लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह को छोड़कर किसी के लिए भी अलग-अलग चुनाव कोई समस्या नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों में भी प्रचार करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग और समय-समय पर चुनाव से लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार होता है।
अब वोट के लुटेरों का नहीं चलेगा राज
भाजपा नीत एनडीए के सहयोगी दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख एवं बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। चुनावों की इस निरंतरता के कारण देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है। इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भारी बोझ भी पड़ता है। “वन नेशन-वन इलेक्शन” से दलित मतदाताओं को भी सुविधा होगी। अब वोट के लूटेरों का राज नहीं चलेगा।