Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Live खबरेंः पाकिस्तान ने इंडिगो की फ्लाइट लाहौर में नहीं उतरने दिया
    • ट्रम्प ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का एडमिशन रोका
    • मोरारजी देसाई को क्यों मिला था पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान?
    • क्या मोदी बदल गए हैं? समर्थक भी पूछने लगे हैं सवाल!
    • Shravasti News: संविधान सम्मान व जनहित हुंकार यात्रा श्रावस्ती पहुंची, स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा के राष्टृवाद को बताया ढकोसला, भाजपाईयों ने सिरसिया में निकाली तिरंगा यात्रा
    • क्या पाकिस्तान ने मोरारजी देसाई पर दांव खेला?
    • मोदी बोले: दिमाग ठंडा है लेकिन रगों में सिंदूर बहता है
    • काशी का चमत्कारी बैंक: यहाँ मनोकामना पूरी करने के लिए लेना होता है राम नाम का लोन, लाल बहादुर शास्त्री की माता जी भी ले चुकी हैं कर्ज
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Pahadiya Janjati Ka Itihas: गुम होती पहाड़िया जनजाति, जिनके पास ना जल है, न बिजली, न मकान और ना शिक्षा
    Tourism

    Pahadiya Janjati Ka Itihas: गुम होती पहाड़िया जनजाति, जिनके पास ना जल है, न बिजली, न मकान और ना शिक्षा

    By December 24, 2024No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Pahadiya Janjati Ka Itihas Wikipedia (Photo – Social Media)

    Pahadiya Janjati Ki History: भारत में जनजातियों का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। इन जनजातियों में से एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट जनजाति है-‘पहाड़िया जनजाति’। यह जनजाति मुख्य रूप से झारखंड, उड़ीसा,बिहार और पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती है। पहाड़िया जनजाति को उनकी सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक जीवनशैली और प्राकृतिक परिवेश के साथ संतुलित जीवन जीने के लिए जाना जाता है। इस लेख में हम पहाड़िया जनजाति के इतिहास, संस्कृति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, चुनौतियों और सरकारी प्रयासों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे। पहाड़िया माल्टो बोलते हैं, जो एक द्रविड़ भाषा है।वे झूम कृषि करते हैं, जिसमें कुछ वर्षों तक कृषि के लिये वनस्पति जलाकर भूमि साफ करना शामिल है।

    इतिहास और उत्पत्ति

    पहाड़िया जनजाति का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह जनजाति प्राचीन समय से ही पहाड़ों और जंगलों में निवास करती आई है। ‘सौरिया पहाड़िया’ इस जनजाति की एक प्रमुख शाखा है, जिसे झारखंड की सबसे पुरानी आदिवासी जनजातियों में गिना जाता है।

    इनकी उत्पत्ति द्रविड़ नस्लीय समूहों से मानी जाती है। पहाड़िया शब्द ‘पहाड़’ से लिया गया है, जो इस जनजाति के निवास स्थान को दर्शाता है। इन्हें पारंपरिक रूप से जंगल के रक्षक और प्रकृति पूजक माना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, इनका जीवन पाषाण युग से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है।

    भौगोलिक स्थिति और जनसंख्या

    पहाड़िया जनजाति मुख्य रूप से झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र, बिहार के भागलपुर जिले और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में निवास करती है। झारखंड में दुमका, गोड्डा और पाकुड़ जिलों में इनकी सबसे अधिक आबादी है।

    2011 की जनगणना के अनुसार, पहाड़िया जनजाति की जनसंख्या लगभग 2 लाख के करीब है। इनमें से अधिकांश लोग ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, जहां की सामाजिक और आर्थिक संरचना बेहद पिछड़ी हुई है।

    संस्कृति और परंपराएं

    पहाड़िया जनजाति की संस्कृति और परंपराएं उनकी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह जनजाति अपनी जीवनशैली, परिधान और त्योहारों के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए हुए है।

    भाषा और धर्म: पहाड़िया जनजाति की मुख्य भाषा पहाड़िया है, जो एक आदिवासी बोली है। साथ ही, हिंदी और संताली का भी प्रभाव देखा जाता है। ये लोग मुख्य रूप से प्रकृति पूजक हैं और अपने देवताओं की पूजा जंगल, पहाड़ और नदियों में करते हैं।

    त्योहार और रीति-रिवाज: पहाड़िया जनजाति के प्रमुख त्योहार करम, सरहुल और बादा हैं। ये त्योहार कृषि और प्रकृति से जुड़े हुए हैं।

    परिधान: इनका पहनावा सादगीपूर्ण होता है। महिलाएं साधारण साड़ी पहनती हैं, जबकि पुरुष धोती और कमरबंद पहनते हैं।

    खानपान: इनका भोजन प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। मुख्य भोजन में मड़ुआ (रागी), चावल, मक्का और जंगलों से प्राप्त कंद-मूल और फल शामिल हैं।

    संगीत और नृत्य: लोकगीत और नृत्य इनकी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। पर्व और त्योहारों के दौरान सामूहिक नृत्य और गीत गाने की परंपरा है।

    आर्थिक स्थिति

    पहाड़िया जनजाति की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। इनका जीवन मुख्य रूप से कृषि, जंगल से उत्पाद संग्रह और पशुपालन पर निर्भर है। पहाड़िया लोग पारंपरिक खेती करते हैं, जिसमें जुताई, सिंचाई और उन्नत कृषि उपकरणों का अभाव है। इनकी कृषि वर्षा पर निर्भर करती है, जिससे फसल का उत्पादन अनिश्चित रहता है। जंगल इनके जीवन का प्रमुख आधार है। ये लोग लकड़ी, शहद, जड़ी-बूटी और अन्य वन उत्पादों को एकत्रित करते हैं और इन्हें स्थानीय बाजारों में बेचकर आय अर्जित करते हैं।अधिकांश पहाड़िया लोग आधुनिक आर्थिक गतिविधियों से अनभिज्ञ हैं। अशिक्षा और संसाधनों की कमी इन्हें मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ने में बाधा बनती है।

    सामाजिक और शैक्षिक स्थिति: अशिक्षा पहाड़िया जनजाति की प्रमुख समस्या है। इनकी साक्षरता दर झारखंड और बिहार के अन्य जनजातीय समुदायों की तुलना में सबसे कम है। स्कूलों की कमी, शिक्षकों की अनुपलब्धता और सामाजिक जागरूकता की कमी बच्चों को शिक्षा से दूर रखती है। पहाड़िया जनजाति के लोग स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित हैं। इन इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) की कमी है, लोगों को उपचार के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। कुपोषण, मलेरिया, और संक्रामक रोग यहां आम हैं।बाल विवाह और अंधविश्वास जैसी कुरीतियां पहाड़िया जनजाति में अभी भी प्रचलित हैं।

    पहाड़िया जनजाति की समस्याएं और चुनौतियां: पहाड़िया जनजाति का रहन-सहन मुख्यतः जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में होता है, जहां वे खेती और शांतिपूर्ण जीवन यापन पर निर्भर रहते हैं। हालांकि, पिछले एक दशक में यह जनजाति अनेक समस्याओं और चुनौतियों का सामना कर रही है।

    भूमि और आर्थिक शोषण: पहाड़िया जनजाति की भूमि पर धीरे-धीरे बाहरी लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है। इनके इलाके में खनन और अन्य गतिविधियों के माध्यम से बाहरी लोग करोड़ों-अरबों कमा रहे हैं, जबकि पहाड़िया समुदाय खुद आर्थिक दयनीयता का शिकार है।

    शिक्षा की कमीः शैक्षणिक वातावरण का अभाव इनकी प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। अधिकांश पहाड़िया बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं, क्योंकि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्कूलों और शिक्षण सुविधाओं का अभाव है।

    स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव: पहाड़िया जनजाति सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहती है, जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचना कठिन है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की अनुपलब्धता और जागरूकता की कमी के कारण कई बार गंभीर बीमारियों का समय पर उपचार नहीं हो पाता।

    पेयजल की समस्या: पहाड़िया समुदाय स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की समस्या से भी जूझ रहा है। जल स्रोतों की कमी और दूषित जल का उपयोग इनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

    ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी): सबसे गंभीर समस्या है ट्रैफिकिंग। पहाड़िया जनजाति के युवाओं और युवतियों को छल-प्रपंच से बहलाकर देश के विभिन्न महानगरों में ले जाया जाता है, जहां उन्हें मजदूरी और अन्य कार्यों में लगाया जाता है। इस समस्या का मुख्य कारण गरीबी, शिक्षा की कमी, और जागरूकता का अभाव है।

    सरकारी प्रयास और योजनाएं: सरकार ने पहाड़िया जनजाति के विकास और संरक्षण के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इनमें प्रमुख हैं:

    आदिम जनजाति विकास योजना: इस योजना के तहत पहाड़िया जनजाति के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के अवसर प्रदान किए जाते हैं।

    वन अधिकार अधिनियम 2006: इस अधिनियम के तहत जनजातीय समुदायों को जंगल और भूमि पर अधिकार दिए गए हैं।

    झारखंड सरकार की विशेष योजनाएं: झारखंड सरकार ने पहाड़िया जनजाति के लिए विशेष स्कूल, छात्रवृत्ति और पोषण योजनाएं चलाई हैं।

    स्वास्थ्य सेवाएं: मोबाइल स्वास्थ्य वैन और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

    झारखंड में दो प्रकार पहाड़िया जनजाति हैं-

    पहली, सौरिया पहाड़िया:सौरिया पहाड़िया झारखंड की एक आदिम जनजाति है, जो मुख्य रूप से साहेबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका और जामताड़ा जिलों के संथाल परगना क्षेत्र में निवास करती है। चन्द्रगुप्त मौर्य (ई.पू. 302) ने भारत भ्रमण के दौरान राजमहल पहाड़ियों के उपनगरों में रहने वाली जंगली आदिम प्रजातियों का उल्लेख माली (मानव) या सौरी के रूप में किया है। इस जनजाति की पहचान एक लड़ाकू कबीले के रूप में है, जो अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए सदैव संघर्ष करता रहा है।इस जनजाति का कद छोटा, नाक चौड़ा, कपाल धड़या, रंग हल्का भूरा तथा बाल घने और लहरदार होते हैं। यह जनजाति प्रोटोस्ट्रोलॉइड प्रजातियों को संरक्षित करती है। सौरिया पहाड़िया जनजाति माल्टो भाषा बोलती है, जो द्रविड़ भाषा समूह से संबंधित है।सौरिया पहाड़िया जनजाति एक अंतरजातीय जनजाति है, जिनके बीच जनजाति जैसे सामाजिक संगठन का अभाव है। इस जनजाति का परिवार पितृसत्तात्मक होता है।

    इनमें एकल परिवार की बहुलता है।संयुक्त परिवार कम ही देखने को मिलता है। इस जनजाति में करीबी रिश्तेदारों के साथ विवाह संपादित नहीं किया जाता है। हालाँकि, गांव में ही शादी करना उनके लिए बुरा नहीं माना जाता है। सौरिया पहाड़िया जनजाति के बीच, ‘कोडबाह हाट’ नामक युवाओं का एक समूह पारंपरिक औपचारिक शिक्षा केंद्र के रूप में काम कर रहा है। इसके युवा महिलाओं को सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक शिक्षा देकर उनके निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।सौरिया पहाड़िया जनजाति में पैतृक पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह जनजाति आत्मा के पुनर्जन्म में विश्वास रखती है।

    दूसरे माल पहाड़िया:माल पहाड़िया लोग भारत के द्रविड़ जातीय लोग हैं, जो मुख्य रूप से झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में रहते हैं। वे राजमहल पहाड़ियों के मूल निवासी हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड की सरकारों द्वारा अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।माल पहाड़िया जनजाति भी माल्टो भाषा बोलती है, जो द्रविड़ भाषा समूह से संबंधित है। इनका समाज पितृसत्तात्मक है, जहाँ पति या वरिष्ठ पुरुष परिवार का मुखिया होता है। उनकी शादी और अन्य समारोहों की रस्में बंगाली संस्कृति के अनुकूलन को दर्शाती हैं। हालाँकि वे अपने समुदाय के लिए विशिष्ट कुछ अनुष्ठानों का पालन करते हैं। वे दिवंगत आत्मा के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए शव से प्राप्त धागे की पूजा करते हैं, जिसे मारुपा पूजा के नाम से जाना जाता है। माल पहाड़ी कृषि और वन उपज पर जीवित हैं।माल पहाड़िया अपने सौरिया पहाड़िया समकक्षों की तरह धर्मेर गोसाईं नामक एक सूर्य देवता का अनुसरण करते हैं।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleNawaz Sharif Ka Jivan Parichay: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का राजनीति से लेकर जेल तक का सफर
    Next Article अपने जीते जी ही एक परंपरा बन चुके थे श्याम बेनेगल

    Related Posts

    काशी का चमत्कारी बैंक: यहाँ मनोकामना पूरी करने के लिए लेना होता है राम नाम का लोन, लाल बहादुर शास्त्री की माता जी भी ले चुकी हैं कर्ज

    May 22, 2025

    Himachal Famous Village: उठाएं गर्मी में जन्नत की सैर का मज़ा, हिमाचल का छिपा खजाना कालगा गांव एक अनदेखा समर डेस्टिनेशन

    May 21, 2025

    Indore Low Budget Trip: बेहद कम बजट में बेस्ट समर डेस्टिनेशन ट्रिप, करें इंदौर के आसपास की इन 7 अद्भुत स्थलों की यात्रा

    May 21, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025

    पलायन का दुश्चक्र: बुंदेलखंड की खाली स्लेट की कहानी

    April 30, 2025

    शाहबाद के जंगल में पंप्ड हायड्रो प्रोजेक्ट तोड़ सकता है चीता परियोजना की रीढ़?

    April 15, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025

    NEET UG 2025 एडमिट कार्ड जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड

    April 30, 2025

    योगी सरकार की फ्री कोचिंग में पढ़कर 13 बच्चों ने पास की UPSC की परीक्षा

    April 22, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.