
Pahalgam Baisaran Valley Terrorist Attack
Pahalgam Baisaran Valley Terrorist Attack
Pahalgam Attack Effect Of Kashmir Tourism: कश्मीर घाटी, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढकी हिमालयी चोटियों, हरे-भरे चमन और शांत झीलों के कारण दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। लेकिन इस स्वर्ग पर समय-समय पर आतंक की स्याह परछाईं पड़ी है, जिसने न केवल इसकी खूबसूरती को गहराई से चोट पहुँचाई है, बल्कि पर्यटन उद्योग की जड़ें भी हिला दी हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुआ आतंकी हमला(Pahalgam Terror Attack) एक बार फिर इस जन्नत की शांति को छलनी कर गया है। इस हमले ने न केवल सुरक्षा बलों की चिंताओं को बढ़ाया है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के मन में डर और असमंजस भी भर दिया है। ऐसे में इस आतंकी हमले का कश्मीर पर्यटन पर क्या असर होगा, सबके मन में यह सवाल है?
यह लेख कश्मीर में पर्यटन के इतिहास, पिछले पाँच वर्षों के आँकड़ों, हाल ही के हमले के बाद की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर रोशनी डालता है।
खौफनाक पहलगाम हमला(The terrifying Pahalgam attack)

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित खूबसूरत बैसरन घाटी, जो पहलगाम के पास है, वहां हुए एक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस भयावह हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, जबकि 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हमला उस समय हुआ जब कश्मीर का पर्यटन अपने चरम पर था और देश-विदेश से हजारों सैलानी वादियों का आनंद लेने पहुंचे थे। वर्षों की मेहनत से घाटी में जो शांति और सामान्य स्थिति लौट रही थी, उस पर इस एक घटना ने बड़ा आघात पहुंचाया है। पर्यटन उद्योग, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, इस हमले से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।
पहलगाम हमले के तात्कालिक प्रभाव(Immediate effects of the Pahalgam attack)

पहलगाम हमले के बाद घाटी में दहशत का माहौल है। श्रीनगर एयरपोर्ट पर पर्यटकों की भीड़ जमा हो गई और हजारों सैलानी घाटी छोड़ने लगे।
देशभर की ट्रैवल एजेंसियों को बुकिंग रद्द करने के अनुरोध मिल रहे हैं। श्रीनगर के ट्रैवल ऑपरेटरों के अनुसार, करीब 80% टूर पैकेज रद्द हो चुके हैं और अगले एक महीने की बुकिंग भी धड़ाधड़ रद्द की जा रही है।
एयरलाइंस को किराया न बढ़ाने की हिदायत दी गई है, जबकि होटल और ट्रैवल एजेंट्स को कैंसिलेशन चार्ज न वसूलने के निर्देश दिए गए हैं।
ट्रैवल फेडरेशन के अधिकारियों का कहना है कि यह हमला पर्यटन क्षेत्र के लिए कई सालों की मेहनत पर पानी फेर सकता है।
अनुच्छेद 370 के पहले की स्थिति(Kashmir Before Article 370)
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, जिससे उसे अपनी संविधान सभा, अलग संविधान और कई मामलों में स्वायत्तता मिली थी। कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर था, क्योंकि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक स्थल और जलवायु देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करती थी। इस क्षेत्र में हजारों स्थानीय लोग होटल, हाउस बोट्स, टैक्सी, हस्तशिल्प और गाइडिंग सेवाओं से जुड़े थे। हालांकि, 1990 के दशक में आतंकवाद के चरम पर पहुँचने के कारण पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ था और पर्यटकों की आवाजाही लगभग रुक गई थी।
2011 से 2018 तक पर्यटन में धीरे-धीरे सुधार हुआ, जब सरकार ने विभिन्न पर्यटन उत्सव, सांस्कृतिक आयोजन और प्रचार अभियान चलाए। इस दौरान गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग और डल झील जैसे स्थल फिर से पर्यटकों से गुलजार हो गए। 2011 में जम्मू-कश्मीर में 1.3 करोड़ घरेलू और 71,593 विदेशी पर्यटक आए थे, जो 2012 में बढ़कर 1.24 करोड़ घरेलू और 78,802 विदेशी पर्यटक हो गए। हालांकि, 2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद अशांति के चलते पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई, लेकिन 2017-2018 में स्थिति में सुधार हुआ। 2018 में जम्मू-कश्मीर में कुल 1.94 करोड़ घरेलू पर्यटक आए, जिनमें 8.5 लाख घाटी क्षेत्र से थे।
बार-बार की अशांति और सुरक्षा चुनौतियाँ पर्यटन के लिए बड़ी बाधा साबित हुईं, और विशेष राज्य का दर्जा होने के कारण बाहरी निवेशकों के लिए भूमि खरीदने और होटल-रिसॉर्ट्स में निवेश करना कठिन था, जिससे बुनियादी ढांचे का विकास सीमित रहा।
अनुच्छेद 370 रद्द होने के बाद की स्थिति(Kashmir After Article 370)

5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार ने सख्त सुरक्षा कदम उठाए, जिनमें इंटरनेट और फोन सेवाओं पर रोक भी शामिल थी। इन प्रतिबंधों के चलते संचार व्यवस्था महीनों तक ठप रही और मोबाइल इंटरनेट की स्पीड भी काफी समय तक सीमित रही। इस फैसले के तुरंत बाद सरकार ने पर्यटकों को घाटी छोड़ने का निर्देश दिया, जिससे होटल, ट्रैवल एजेंसियों और स्थानीय कारोबारियों को भारी नुकसान हुआ। परिणामस्वरूप कश्मीर में पर्यटन गतिविधियाँ लगभग पूरी तरह से थम गईं। आंकड़ों के अनुसार, अगस्त-दिसंबर 2018 के बीच जहां 3.16 लाख पर्यटक आए थे, वहीं 2019 की इसी अवधि में यह संख्या घटकर मात्र 43,059 रह गई, जो कि 86% की गिरावट दर्शाती है। जुलाई 2019 में 1.5 लाख से अधिक पर्यटक आए थे, लेकिन अगस्त में यह संख्या घटकर 10,130 और सितंबर में सिर्फ 4,562 रह गई। हालांकि सालभर के आंकड़े स्रोतों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, फिर भी यह स्पष्ट है कि घाटी के पर्यटन क्षेत्र को भारी झटका लगा। जब 2020 की शुरुआत में हालात थोड़े सुधरने लगे, तब कोविड-19 महामारी ने पूरे देश में पर्यटन उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया। लॉकडाउन के चलते 2020 में जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या घटकर केवल 3.5 लाख रह गई, जो एक ऐतिहासिक गिरावट थी।
कश्मीर पर्यटन पिछले पांच साल का सफर(Kashmir Tourism In Last 5 Years)

पिछले पाँच वर्षों में कश्मीर पर्यटन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वर्ष 2020 में, जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी की चपेट में थी, तब भी कश्मीर ने 34 लाख पर्यटकों का स्वागत किया, जो वैश्विक संकट के बावजूद पर्यटन में सुधार का संकेत था। 2021 में महामारी का असर जारी रहा और पर्यटकों की संख्या घटकर 6.65 लाख रह गई, जिसमें मात्र 1,614 विदेशी पर्यटक शामिल थे। इसके बावजूद धीरे-धीरे रिकवरी की शुरुआत हो गई। 2022 में घाटी में अपेक्षाकृत शांति का माहौल रहा, और पर्यटक संख्या में तेजी दर्ज की गई, हालांकि सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। 2023 पर्यटन के लिहाज़ से एक अहम मोड़ साबित हुआ, क्योंकि आतंकवादी घटनाओं में 99% तक गिरावट देखी गई, जिससे पर्यटकों का भरोसा फिर से लौटने लगा। 2024 में तो कश्मीर ने टूरिज्म के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया कुल 2.36 करोड़ पर्यटक घाटी पहुँचे, जिनमें 65,000 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कश्मीर एक बार फिर देश-दुनिया के यात्रियों के लिए पसंदीदा गंतव्य बन चुका है।
पर्यटन का कश्मीर की अर्थव्यवस्था में योगदान(Contribution of tourism to Kashmir’s economy)

पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का 7-8% है। कश्मीर का GSDP लगभग 2.65 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें पर्यटन का सालाना मूल्य 18,500–21,200 करोड़ रुपये के बीच आता है। इस उद्योग पर निर्भर हजारों परिवारों का जीवन यापन होता है, जिसमें होटल, हाउस बोट, टैक्सी ड्राइवर, टूर गाइड, घोड़े वाले, हस्तशिल्प कारोबारी और अन्य पर्यटन से जुड़े लोग शामिल हैं। राज्य सरकार ने अगले 4-5 वर्षों में पर्यटन के योगदान को 7% से बढ़ाकर 15% करने का लक्ष्य रखा है, जिससे इस उद्योग की वृद्धि और राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।
पहलगाम हमले के बाद नुकसान(Potential losses after the Pahalgam attack)
हालिया हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन उद्योग को भारी झटका लगा है, क्योंकि 80% से अधिक टूर पैकेज रद्द हो गए हैं। ट्रैवल एजेंट्स का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में बुकिंग रद्दीकरण की दर 90% तक पहुँच गई है, खासकर पूर्वी भारत, जैसे पश्चिम बंगाल से आने वाले पर्यटकों में भारी गिरावट देखी गई है। कश्मीर के पर्यटन उद्योग में करीब 21,000 करोड़ रुपये दांव पर हैं, और लाखों लोगों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। घाटी में होटल, हाउस बोट, टैक्सी, गाइड, हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लोग, जिन्होंने हाल के वर्षों में बढ़ते पर्यटन को देखते हुए निवेश किया था, अब गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर सकते हैं। इस परिस्थिति ने स्थानीय लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, और उनका भविष्य अनिश्चितता से भरा हुआ है।
पहले का कश्मीर पर्यटन बनाम पिछले पांच साल(Kashmir tourism vs last five years)

कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में 2018 तक की स्थिति और पिछले पाँच वर्षों (2020-2024) के बीच में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं। 2018 तक आतंकवादी घटनाएँ सालाना औसतन 228 तक पहुँच चुकी थीं, लेकिन 2023 में इन घटनाओं में 99% की गिरावट आई और केवल 46 घटनाएँ हुईं। इसी दौरान, पर्यटकों की संख्या भी पहले की तुलना में बढ़ी, 2018 तक यह औसतन 10-15 लाख थी, जबकि 2020 में यह संख्या 34 लाख और 2024 में 2.36 करोड़ तक पहुँच गई। विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई, 2024 में यह 65,000 तक पहुँच गई, जो पहले बहुत कम थी।
निवेश और आर्थिक सुधार में पहले की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहां पहले कश्मीर में निवेश सीमित और अस्थिर था, वहीं अब होटल और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है और निवेश में तेजी देखी जा रही है। पर्यटन का योगदान भी कश्मीर की अर्थव्यवस्था में बढ़ा है, 2024 में यह 7-8% तक पहुँच चुका है, जबकि राज्य सरकार ने इसे 15% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। पहले जहां रोजगार सीमित और अस्थिर था, अब लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। यह बदलाव दर्शाता है कि कश्मीर का पर्यटन उद्योग एक नई दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों के लिए सकारात्मक संकेत है।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ(Challenges and Opportunities of the Future)
पहलगाम हमला पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा झटका है, लेकिन अतीत में भी कश्मीर ने ऐसे झटकों के बाद वापसी की है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन ने पर्यटकों की सुरक्षा और विश्वास बहाल करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
एयरलाइंस, ट्रैवल एजेंट्स और होटल्स को लचीलापन देने के निर्देश दिए गए हैं ताकि पर्यटकों का भरोसा बना रहे।
अगर सुरक्षा व्यवस्था और विश्वास बहाल करने में कामयाबी मिलती है, तो आने वाले महीनों में पर्यटन फिर से पटरी पर लौट सकता है।