
Pakistan Mata Hinglaj Temple History
Pakistan Mata Hinglaj Temple History
Pakistan Hinglaj Temple History: भारत में देवी-देवताओं की पूजा का बहुत पुराना इतिहास रहा है, और इनमें से कुछ देवी-देवताओं के बारे में ऐसी रहस्यमयी कहानियाँ हैं, जो आज भी लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ती हैं। माता हिंगलाज का रहस्य भी कुछ ऐसा ही है। यह देवी प्राचीन काल से ही पूजनीय रही हैं और उनका मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। हिंगलाज माता का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी इसे एक विशेष स्थान प्राप्त है। इस लेख में हम माता हिंगलाज के रहस्य को समझेंगे, उनके मंदिर के महत्व, वहां के धार्मिक पर्वों और साथ ही इस मंदिर से जुड़ी कुछ अनोखी घटनाओं पर चर्चा करेंगे।
माता हिंगलाज का परिचय

माता हिंगलाज हिंदू धर्म में शक्ति की एक प्रमुख देवी मानी जाती हैं। वे देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं, जिन्हें शक्तिपीठों का विशेष स्थान प्राप्त है। हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लसबेला जिले में, हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर प्राचीन काल से स्थापित है और इसे नानी मंदिर या नानी पीर के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए पवित्र माना जाता है, जहां दोनों धर्मों के लोग श्रद्धा से आते हैं।
माता हिंगलाज का पौराणिक महत्व

माता हिंगलाज का संबंध देवी सती की कथा से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने दक्ष यज्ञ में आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने उनके मृत शरीर को लेकर क्रोध में तांडव किया। भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित किया, जो पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरे और उन्हें शक्तिपीठ कहा गया। हिंगलाज वह स्थान है जहां सती के सिर का पिछला हिस्सा (ब्रह्मरंध्र) गिरा था, इसलिए इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि हिंगलाज को धरती पर माता का प्रथम स्थान भी कहा जाता है।
हिंगलाज नाम का अर्थ
हिंगलाज नाम ‘हिंग’ (हींग) और ‘लाज’ (आधार या सम्मान) से बना है। संस्कृत में ‘हिंगुला’ शब्द का अर्थ सिंदूर भी होता है, इसलिए हिंगलाज माता को सुहाग की रक्षा करने वाली देवी के रूप में भी पूजा जाता है। वे शक्ति, समृद्धि और सृष्टि के संरक्षण की देवी मानी जाती हैं। उनका पूजन विशेष रूप से संकट निवारण, रोग मुक्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है।
कहाँ स्थित है,मंदिर?

हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान(Pakistan) के बलूचिस्तान(Balochistan) के लसबेला जिले के एक पहाड़ी, दुर्गम और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर हिंगोल नेशनल पार्क के बीचों-बीच, हिंगोल नदी के किनारे एक गुफा में बना हुआ है। मंदिर वास्तव में एक प्राकृतिक गुफा है, जिसमें माता का विग्रह एक आकारहीन पत्थर के रूप में है, जिसे सिंदूर से पुता गया है। यहां कोई पारंपरिक मूर्ति नहीं है, बल्कि इसी पत्थर को ही माता के रूप में पूजा जाता है। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग ऐतिहासिक रूप से कठिन रहा है। श्रद्धालुओं को पहाड़ी रास्तों, रेगिस्तानी इलाकों, और नदी पार कर गुफा तक पहुंचना पड़ता है। पुराने समय में यह यात्रा कई दिनों की होती थी, हालांकि अब सड़क मार्ग बनने से यह कुछ आसान हो गई है, लेकिन फिर भी यह एक चुनौतीपूर्ण यात्रा मानी जाती है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, यहां पहाड़, घाटियां, नदी और वन्य जीवन मौजूद हैं, जो इसे और भी पवित्र और आकर्षक बनाते हैं। मंदिर के आसपास कई अन्य छोटे धार्मिक स्थल भी हैं, जैसे गणेश देव, काली माता, गुरु गोरखनाथ, ब्रह्मकुंड, तीरकुंड, आदि।
मंदिर और यात्रा की विशेषताएं
हिंगलाज माता का मंदिर एक गुफा में स्थित है, जिसमें माता का विग्रह पिंडी स्वरूप में है। मंदिर में कोई दरवाजा नहीं होता, और तीर्थयात्री गुफा के एक मार्ग से प्रवेश कर दूसरी ओर निकलते हैं। मंदिर के साथ ही गुरु गोरखनाथ का चश्मा, ब्रह्मकुंड, तीरकुंड आदि तीर्थ स्थल भी हैं। मंदिर की सुरक्षा स्थानीय बलूच मुसलमान करते हैं, जो इसे ‘नानी पीर’ के नाम से भी पूजते हैं। यह स्थान इतना पवित्र है कि यहां की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी कठिन मानी जाती है, जिसमें लंबी पैदल यात्रा, कठिन पहाड़ और रेगिस्तान पार करना पड़ता है। यात्रा शुरू करने से पहले भक्तों को दो शपथ लेनी पड़ती हैं, जो यात्रा की कठिनाइयों और अनुशासन को दर्शाती हैं।
धार्मिक और सामाजिक महत्व

हिंगलाज माता के दर्शन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्तों को मानसिक शांति मिलती है। यह मंदिर न केवल पाकिस्तान के हिंदू समुदाय के लिए बल्कि भारत सहित अन्य देशों के श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है। नवरात्रि के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। स्थानीय बलूच लोग भी माता की रक्षा करते हैं और उन्हें ‘नानी पीर’ के रूप में पूजते हैं। दुर्गा चालीसा में भी हिंगलाज भवानी का उल्लेख है, जो उनकी महिमा को दर्शाता है।
संक्षेप में, माता हिंगलाज हिंदू धर्म की एक शक्तिशाली देवी हैं जिनका मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। उनका पूजन शक्ति, समृद्धि और संकट निवारण के लिए किया जाता है। यह मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। आपके द्वारा दी गई जानकारी इस संदर्भ में सही और प्रमाणित है।
हिंगलाज माता की पूजा और अनुष्ठान

हिंगलाज माता की पूजा का एक विशिष्ट तरीका है। यहां आने वाले भक्त विशेष रूप से अपनी आस्था और भक्ति के साथ आते हैं। हिंगलाज देवी की पूजा में विशेष रूप से ‘हिंगलाज मंत्र’ का उच्चारण किया जाता है, जिसे बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ बोला जाता है। मंदिर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं को स्नान करने का आदेश दिया जाता है, और फिर वे देवी के दर्शन करते हैं।
यहां पूजा करने के अलावा, भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए मन्नतें भी मांगते हैं। कहा जाता है कि यहां की पूजा से व्यक्ति की समृद्धि और सुख-शांति में वृद्धि होती है। इसके अलावा, यहां का एक प्रमुख पर्व ‘हिंगलाज मेला’ है, जो हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला देवी के भक्तों को एकजुट करता है, और इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
हिंगलाज माता के दर्शन और यात्रा

हिंगलाज माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले बलूचिस्तान के मुख्य शहर क्वेटा से यात्रा शुरू करनी पड़ती है, और फिर वहां से गाड़ी या ट्रैक्टर के जरिए एक दूर-दराज के पहाड़ी इलाके में स्थित मंदिर तक पहुँचते हैं। यह यात्रा लगभग तीन से चार दिन की हो सकती है, क्योंकि मार्ग में नदी, पहाड़ और ऊबड़-खाबड़ रास्ते आते हैं। हालांकि यात्रा कठिन है, लेकिन भक्तों का मानना है कि माता हिंगलाज के दर्शन से उनके जीवन में सुख और शांति आती है, जिससे इस कठिन यात्रा को करने के लिए लोग तैयार रहते हैं।
हिंगलाज माता का ऐतिहासिक महत्व
माता हिंगलाज का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी इसकी एक लंबी और दिलचस्प कहानी है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व इस बात से भी जुड़ा हुआ है कि यह स्थान प्राचीन काल से ही शक्ति पूजा का केंद्र रहा है। भारत के विभिन्न हिस्सों से यहां आने वाले लोग इसे धार्मिक यात्रा के रूप में मानते हैं।
इसके अलावा, हिंगलाज मंदिर का सांस्कृतिक महत्व भी है, क्योंकि यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को जोड़ता है। भारतीय हिंदू धर्म, पाकिस्तानी संस्कृति, और बलूचिस्तान के लोग इस मंदिर को अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं, और यहां पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।