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    Home » Pamban Bridge Ka Itihas: न्यू पंबन ब्रिज का इतिहास, भारत की समुद्री इंजीनियरिंग का चमत्कार
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    Pamban Bridge Ka Itihas: न्यू पंबन ब्रिज का इतिहास, भारत की समुद्री इंजीनियरिंग का चमत्कार

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 6, 2025No Comments3 Mins Read
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    New Pamban Bridge History and Intresting Facts 

    New Pamban Bridge History and Intresting Facts 

    New Pamban Bridge History: पुराना पंबन ब्रिज जिसे 1914 में शुरू किया गया था। रामेश्वरम द्वीप को तमिलनाडु की मुख्य भूमि से जोड़ने वाला भारत का पहला समुद्री रेल पुल था। परंतु 100 साल से ज्यादा समय तक सेवा देने के बाद, वह पुल संरचनात्मक दृष्टि से कमजोर हो चुका था। इसके चलते भारतीय रेलवे ने नया पुल बनाने का निर्णय लिया। इस न्यू पंबन ब्रिज का निर्माण 2019 में शुरू हुआ, जिसकी कुल लागत लगभग ₹535 करोड़ रुपये आंकी गई।

    आइए जानते हैं न्यू पंबन ब्रिज से जुड़ी खूबियों के बारे में –

    न्यू पंबन ब्रिज की तकनीकी विशेषताएं

    1 – वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म

    यह पुल भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज है। पुल का लगभग 72 मीटर लंबा हिस्सा बीच में ऊपर उठाया जा सकता है। यह सेक्शन इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम से नियंत्रित होगा, जिससे जहाजों को गुजरने के लिए केवल 3 मिनट में रास्ता दिया जा सकेगा।

    2 – मजबूत निर्माण सामग्री

    अत्यधिक संक्षारक (corrosive) समुद्री वातावरण को सहन करने के लिए *स्टेनलेस स्टील और मरीन ग्रेड कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है।

    नींव को मजबूत करने के लिए रिवेटेड गार्डर्स और पाइलिंग तकनीक का उपयोग किया गया है।

    3. रेल संरचना

    यह पुल एकल रेलवे ट्रैक के साथ डिज़ाइन किया गया है। लेकिन भविष्य में दोहरे ट्रैक का विकल्प छोड़ा गया है।

    रेलगाड़ियों को 100 km/h की रफ्तार से चलने के लिए बनाया गया है, जो पुराने पुल की तुलना में 3 गुना तेज है।

    4. कुल लंबाई और खंभों की संख्या

    – कुल लंबाई: 2.05 किलोमीटर

    – इसमें 99 पायलों (pillars) और 100 से अधिक गार्डर्स का प्रयोग हुआ है।

    न्यू पंबन ब्रिज निर्माण की चुनौतियां

    न्यू पंबन ब्रिज निर्माण के दौरान कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ा है। निर्माण के दौरान अक्सर समुद्र में उच्च ज्वार और चक्रवातों के कारण काम में व्यवधान आया।कोस्टल रेगुलेशन जोन (CRZ) नियम के तहत पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त करना एक चुनौती था, क्योंकि यह क्षेत्र एक संरक्षित तटीय क्षेत्र है। कोविड-19 महामारी के चलते काम में कई बार रुकावट आई और समय सीमा में विस्तार हुआ।

    सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

    रामेश्वरम हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। नया पुल तीर्थयात्रियों के लिए आसान, तेज़ और सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगा।

    पुल की खूबसूरती और तकनीकी विशेषता इसे स्वयं एक आकर्षण का केंद्र बनाने में सक्षम होगी। समुद्र के ऊपर से गुजरती ट्रेन की दृश्यता पर्यटकों के लिए एक अनोखा अनुभव होगा।

    स्थानीय रोजगार और व्यवसाय

    न्यू पंबन ब्रिज निर्माण कार्य ने हज़ारों लोगों को रोजगार दिया।रेल सुविधा से स्थानीय व्यापार और मछुआरा समुदाय को भी लाभ मिलेगा। भारत का दक्षिणी छोर होने के कारण यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।आपदा या सैन्य आपात स्थिति में यह पुल तेज़ी से सैनिकों और सामग्री की आवाजाही में सहायक होगा। इसके अलावा भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के लिए यह एक वैकल्पिक रसद मार्ग की तरह काम करेगा।

    भविष्य की योजनाएं

    न्यू पंबन ब्रिज के निर्माण के साथ ही सरकार इस क्षेत्र को रामायण सर्किट और धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। संभावित भविष्य में सड़क पुल (पैरेलल) निर्माण की योजना भी है। इस क्षेत्र में इलेक्ट्रिक रेललाइन के लिए तैयारी हो रही है, जिससे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील यात्रा संभव हो सके। न्यू पंबन ब्रिज न सिर्फ एक संरचनात्मक चमत्कार है, बल्कि यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल, धार्मिक आस्था, और आर्थिक भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शाब्दिक और प्रतीकात्मक रूप से यह पुल भारत के उन क्षेत्रों को जोड़ता है, जो लंबे समय से अवरुद्ध थे।

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