
Pithoragarh Mein Ghoomne ki Jagah (Image Credit-Social Media)
Pithoragarh Mein Ghoomne ki Jagah
Pithoragarh Mein Ghoomne ki Jagah: कुमाऊँ क्षेत्र के पूर्वी छोर पर स्थित पिथौरागढ़ उत्तराखंड का वह जिला है जिसे इसकी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, ऊँचे हिमालयी पर्वतों, प्राचीन मंदिरों, सांस्कृतिक धरोहर और सामरिक महत्त्व के कारण ‘लघु कश्मीर’ भी कहा जाता है। यह जिला भारत-नेपाल और भारत-तिब्बत (चीन) की सीमाओं के निकट होने के कारण न सिर्फ पर्यटन के लिए प्रमुख है बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यहाँ का भूभाग पर्वतीय है—जिसमें गहरी घाटियाँ, हरे-भरे जंगल, हिमालय की ऊँची चोटियाँ, बर्फ से ढकी पर्वत-श्रृंखलाएँ, झरने और अलौकिक सौंदर्य से भरी प्राकृतिक बस्तियाँ हैं। जनपद का मुख्यालय पिथौरागढ़ नगर समुद्र तल से लगभग 1,650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो पर्यटकों के लिए एक शांत, स्वच्छ और प्राकृतिक स्थल प्रदान करता है।
यहाँ की संस्कृति कुमाऊँनी परंपराओं पर आधारित है—फूलदेई, हरेल, छठिया, ज्येष्ठा-अष्टमी और जागर जैसे पर्व जीवन में रचे-बसे हैं। लोक संगीत, हुड़का नृत्य और चांचरी यहाँ की पहचान है।
इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
पिथौरागढ़ का इतिहास कत्यूरियों और चंद राजवंशों से गहराई से जुड़ा है। यह क्षेत्र प्राचीन काल से व्यापार का प्रमुख मार्ग रहा है, जो तिब्बत और नेपाल से भारत को जोड़ता था। पुरातात्त्विक अवशेषों, मंदिरों और किलों में इसकी ऐतिहासिक झलक मिलती है।
राजा पिथोरा चंद के नाम पर इस जिले का नाम पड़ा। चंद राजाओं ने इस क्षेत्र को सांस्कृतिक और प्रशासनिक रूप से समृद्ध बनाया। आज भी उनके बनवाए मंदिर और गढ़ पर्यटक आकर्षण हैं।
मुख्य नदियाँ और प्राकृतिक धरोहर
● काली नदी – भारत-नेपाल की सीमा बनाती है, एंग्लिंग और रिवर-राफ्टिंग के लिए प्रसिद्ध।
● गोरीगंगा – मिलम ग्लेशियर से निकलकर बर्फीले पानी के साथ घाटियों में बहती है।
● सरयू नदी – बागेश्वर से निकलकर जिले के कुछ हिस्सों में बहती हुई सांस्कृतिक पहचान बनाती है।
इसके अलावा यहाँ कई हिमालयी झीलें, ग्लेशियर, चौड़े बुग्याल (घास के मैदान) और विशिष्ट जैव-विविधता पाई जाती है।
पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण
नीचे पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों का विस्तृत वर्णन दिया जा रहा है:
पिथौरागढ़ किला
चंद राजाओं द्वारा निर्मित यह ऐतिहासिक किला पिथौरागढ़ शहर के ठीक ऊपर स्थित है। यहाँ से पूरी घाटी, हिमालय की चोटियाँ और शहर का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है। फोटोग्राफी के लिए यह बेहद लोकप्रिय बिंदु है।
मुनस्यारी — मिलम ग्लेशियर का प्रवेश द्वार
यह जिला का सबसे प्रमुख पर्यटन केंद्र है। समुद्र तल से 2,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मुनस्यारी पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
खासियत:
• ट्रेकिंग के लिए स्वर्ग
• मिलम, रालम और नमिक ग्लेशियर का बेस प्वाइंट
• विदेशी पर्वतारोहियों का प्रमुख केंद्र
• बर्फबारी का अद्भुत अनुभव
• साहसिक खेलों के लिए उपयुक्त
धारचूला:
काला नदी के किनारे बसा सुंदर शहर, जो नेपाल की सीमा के ठीक पास है। लिपुलेख दर्रा जाने का मार्ग यहीं से जाता है।
कैलाश-मंसरोवर यात्रा का मुख्य पड़ाव होने के कारण इसकी प्रतिष्ठा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ओम पर्वत और आदि कैलाश
यह स्थान हिंदू आस्था का केंद्र है। ओम पर्वत पर प्राकृतिक रूप से “ॐ” का चिन्ह दिखाई देता है।
आदि कैलाश को शिव का दूसरा कैलाश माना जाता है, और यह अपनी दिव्यता और कठिन ट्रेकिंग मार्ग के लिए प्रसिद्ध है।
चौकोड़ी
चाय-बागानों से घिरा यह हिल स्टेशन हिमालय दर्शन के लिए अत्यंत लोकप्रिय है।
● सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य
● हिमालय की नंदा देवी, त्रिशूल, पंचाचूली चोटियाँ स्पष्ट दिखाई देती हैं
पाताल भुवनेश्वर
काफी प्रसिद्ध गुफा-तीर्थस्थल, जहाँ अद्भुत प्राकृतिक शिलाएं, शिव-लिंग और पौराणिक प्रतीक मिलते हैं। कहा जाता है कि यहाँ 33 कोटि देवताओं का निवास है।
जन्मालय मंदिर – गंगोलीहाट
भगवान शिव और भगवती के प्रमुख मंदिर, जो अपने दिव्य वातावरण और धार्मिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
थल, डीडीहाट और बर्थी फॉल
ये छोटे लेकिन प्राकृतिक रूप से अत्यंत सुंदर कस्बे और झरने हैं, जहां पर्यटक शांति और प्रकृति का सुकून लेने आते हैं।
यहाँ आने का सर्वोत्तम समय
पिथौरागढ़ जिले में पूरे वर्ष यात्रा संभव है, लेकिन सबसे उपयुक्त मौसम—
अप्रैल से जून – सुहावना मौसम, हिमालय दर्शन, ट्रेकिंग
सितंबर से नवंबर – साफ आसमान, पर्वतों का स्पष्ट दृश्य
दिसंबर से मार्च – मुनस्यारी समेत ऊँचे क्षेत्रों में बर्फबारी देखने का सर्वोत्तम समय
यहाँ पहुँचने का तरीका
सड़क मार्ग:
पिथौरागढ़ उत्तराखंड और उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी सड़क से जुड़ा है।
• राष्ट्रीय राजमार्ग 309A और 125 से पहुँच
• दिल्ली → हल्द्वानी → अल्मोड़ा → पिथौरागढ़ मार्ग सबसे लोकप्रिय है।
रेल मार्ग:
निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन:
• टनकपुर (170 किमी)
• काठगोदाम (220 किमी)
वायु मार्ग:
• पिथौरागढ़ नैनी सैनी एयरपोर्ट (आंतरिक उड़ानों के लिए)
• निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा – पंतनगर (240 किमी)
अर्थव्यवस्था और उद्योग
● सेब, आलू, राजमा, दालें और चौलाई यहां के प्रमुख कृषि उत्पाद
● चाय-उत्पादन वाले कई बागान और स्थानीय कुमाऊँनी चाय की पहचान
● हस्तशिल्प—ऊन, पाषाण कला, ऊनी वस्त्र, हथकरघा
● सीमावर्ती व्यापार और पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था
● मुनस्यारी के आसपास ऊनी वस्त्र और स्थानीय हस्तकला विशेष प्रसिद्ध
● पिथौरागढ़ जिला भारत-नेपाल और भारत-चीन सीमा के कारण सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ आईटीबीपी, एसएसबी और भारतीय सेना की कई महत्वपूर्ण इकाइयाँ तैनात हैं।
● यह जिला ‘कैलाश-मांसरोवर यात्रा’ और ‘आदि कैलाश यात्रा’ के मुख्य मार्ग होने के कारण धार्मिक-पर्यटन की दृष्टि से विश्वस्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहा है।


