Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Dudhwa Katarnia Ghat: दुधवा के जंगलों में चलने वाली ट्रेन सफारी बनी नई ट्रैवल सनसनी
    • Bihar के बाजीगर बनने की राह पर प्रशांत किशोर! जन सुराज महागठबंधन और एनडीए के लिए खतरे की घंटी
    • Bihar की राजनीति में नीलम देवी! पति अनंत सिंह के जेल जाने के बाद मोकामा का गढ़ था बचाया…
    • ट्रैवल लवर्स ध्यान दें: नवंबर में खुलने जा रहा है Egypt का Grand Museum, ट्रैवल लवर्स के लिए बना नया
    • छत्तीसगढ़ की नई विधानसभा का उद्घाटन, प्रधानमंत्री मोदी बोले- अटल जी सपना साकार हो रहा है…
    • PM Modi Rallies Impact: बिहार चुनाव में मोदी की सभाओं का असर और विपक्ष की जवाबी रणनीति
    • PM Modi in Raipur: रायपुर में आज दिखेगा ‘मोदी मैजिक’! अस्पताल, विधानसभा तक करेंगे 6 मेगा लॉन्च
    • छत्तीसगढ़ के 25 साल पूरे! योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर दी शुभकामनाएं, जनता को दिया बड़ा संदेश…
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » PM Modi Rallies Impact: बिहार चुनाव में मोदी की सभाओं का असर और विपक्ष की जवाबी रणनीति
    राजनीति

    PM Modi Rallies Impact: बिहार चुनाव में मोदी की सभाओं का असर और विपक्ष की जवाबी रणनीति

    Janta YojanaBy Janta YojanaNovember 1, 2025No Comments11 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Bihar PM Modi Rallies Impact Analysis in Bihar Assembly Election 2025 

    Bihar PM Modi Rallies Impact Analysis in Bihar Assembly Election 2025

    PM Modi Rallies Impact in Bihar Election: बिहार की 243 सीटों के लिए हो रहे विधानसभा चुनाव केवल एक राज्य का चुनाव भर नहीं बै, बल्कि यह केंद्र सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के लिए एक जनमत संग्रह बन गया है। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी सभाएं एनडीए के प्रचार का केंद्रबिंदु है। यह रिपोर्ट कुछ चुनिंदा, प्रतिनिधि सीटों के माध्यम से यह विश्लेषण करती है कि इन सभाओं का विभिन्न सीटों के उम्मीदवारों पर क्या असर रहा और विपक्ष ने इसका मुकाबला कैसे किया।

    1. वाल्मीकिनगर: राष्ट्रीय बनाम स्थानीय का समीकरण

    एनडीए उम्मीदवार: सुनील कुमार (जदयू)

    महागठबंधन उम्मीदवार: महेश्वर हजारी (राजद)

    वाल्मीकिनगर, जहाँ थारू आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी आबादी है, परंपरागत रूप से राजद का गढ़ रहा है। यहाँ सीट मोदी की सभा का केंद्रबिंदु बनी। अपनी रैली में, पीएम मोदी ने ‘बाहुबली’ और ‘दिल्ली की सरकार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके महागठबंधन पर हमला बोला। उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं का श्रेय लेते हुए विकास की गंगा बहने की बात कही।

    मोदी सभा का असर: इस सभा ने स्थानीय जदयू उम्मीदवार सुनील कुमार के लिए एक राष्ट्रीय एजेंडा प्रदान किया। इससे जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर एक व्यापक हिंदू वोट बैंक, विशेष रूप से ऊपरी जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के एक हिस्से को साधने में मदद मिली। मोदी के चरित्र ने भाजपा-जदयू के मतदाताओं में उत्साह पैदा किया और मतदान प्रतिशत को बनाए रखने में भूमिका निभाई।

    विपक्ष की काउंटर रणनीति: महागठबंधन के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने तुरंत जवाबी हमला बोला। उन्होंने मोदी की सभा को ‘झूठ का पुलिंदा’ बताया और स्थानीय मुद्दों—बेरोजगारी, पलायन, और स्थानीय सिंचाई योजनाओं के ठप पड़ने—को केंद्र में रखा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चुनाव बिहार के मुद्दों पर है, न कि दिल्ली के। उनकी रणनीति मोदी के राष्ट्रीय नरेटिव को स्थानीय जमीन से जोड़कर काउंटर करने की थी।

    परिणाम: यह सीट एक करीबी मुकाबला है। अंततः महागठबंधन के महेश्वर हजारी ने बढ़त बना रखी है। इससे साबित हुआ कि वाल्मीकिनगर जैसी सीटों पर, जहाँ विपक्ष का सामाजिक आधार मजबूत है, मोदी की एकल रैली स्थानीय नेतृत्व और जातीय गठजोड़ों को पूरी तरह से नहीं तोड़ सकती। हालाँकि, रैली ने मुकाबला काफी कठिन बना दिया।

    2. गया: धर्म, विकास और जाति का त्रिकोण

    एनडीए उम्मीदवार: प्रेम कुमार (भाजपा)

    महागठबंधन उम्मीदवार: सुदय नारायण यादव (जदयू-विरोधी धड़ा, महागठबंधन के समर्थक)

    गया, एक धार्मिक महत्व का शहर होने के कारण, भाजपा के लिए एक अहम सीट रही है। पीएम मोदी ने यहाँ अपनी रैली में राम मंदिर और राष्ट्रवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। साथ ही, उन्होंने ‘डबल इंजन की सरकार’ के तहत गया के बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर दिया।

    मोदी सभा का असर: गया में मोदी की रैली ने एनडीए के मूल वोट बैंक (ऊपरी जाति, तेलि, बनिया, और कुर्मी) को मजबूती से एकजुट किया। धार्मिक मुद्दे यहाँ अधिक प्रभावी साबित हुए। इसने स्थानीय भाजपा उम्मीदवार प्रेम कुमार के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया और यह सुनिश्चित किया कि पार्टी का जनाधार बिखरे नहीं।

    विपक्ष की काउंटर रणनीति: विपक्ष सीधे तौर पर धार्मिक मुद्दों पर बहस में नहीं पड़ा। इसके बजाय, उन्होंने आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा, छोटे व्यवसायों पर पड़े असर, और स्थानीय उद्योगों के पतन को चुनावी मुद्दा बनाया। उनका नारा था, “गया का विकास थम गया है।”

    परिणाम: एनडीए के प्रेम कुमार ने इस सीट पर बढ़त हासिल की। गया जैसी सीटों पर, जहाँ भाजपा का सामाजिक आधार पहले से मजबूत है, मोदी की रैली ने एक ‘कैटेलिस्ट’ का काम किया। इसने मतदाताओं को लामबंद किया और विपक्ष के लिए जीतना मुश्किल बना दिया।

    3. हाजीपुर: जातिगत समीकरण बनाम सुशासन

    एनडीए उम्मीदवार: नीतीश कुमार (जदयू)

    महागठबंधन उम्मीदवार: अजीत शर्मा (भाजपा के पूर्व सहयोगी, महागठबंधन के उम्मीदवार)

    हाजीपुर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सीट होने के नाते, पूरे चुनाव का एक प्रतीकात्मक केंद्र है। पीएम मोदी ने यहाँ नीतीश कुमार के ‘सुशासन’ और विकास के मॉडल को पूरी ताकत से उठाया। उन्होंने नीतीश कुमार और भाजपा के गठबंधन को बिहार की प्रगति के लिए अनिवार्य बताया।

    मोदी सभा का असर: इस रैली का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि इसने जदयू और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता का संचार किया। मोदी ने व्यक्तिगत रूप से नीतीश कुमार के लिए समर्थन जताकर यह संदेश दिया कि गठबंधन टूटेगा नहीं। इसने महागठबंधन द्वारा फैलाए जा रहे गठबंधन में दरार के अफवाहों को हवा नहीं लगने दी।

    विपक्ष की काउंटर रणनीति: विपक्ष ने हाजीपुर में सुशासन के दावों पर सीधा हमला किया। उन्होंने सड़कों की खराब हालत, बाढ़ की समस्या, और युवाओं के सामने मौजूद चुनौतियों को उजागर किया। उनका लक्ष्य नीतीश कुमार की छवि को ‘विकास पुरुष’ के रूप में धूमिल करना था और दिखाना था कि सुशासन का मॉडल अब काम नहीं कर रहा है।

    परिणाम: नीतीश कुमार ने हाजीपुर से जीत दर्ज करने का काम पूरा कर लिया। यहाँ मोदी की सभा ने एक ‘ शील्ड’

    का काम किया। इसने गठबंधन की एकजुटता को मजबूत किया और मुख्यमंत्री के खिलाफ उभरे स्थानीय असंतोष को राष्ट्रीय नेतृत्व के समर्थन से काउंटर-बैलेंस किया।

    4. दिनारा: पिछड़ा वर्ग की राजनीति का अखाड़ा

    एनडीए उम्मीदवार: लक्ष्मण प्रसाद (भाजपा)

    महागठबंधन उम्मीदवार: जयकुमार सिंह (राजद)

    दिनारा जैसी सीटें बिहार की पिछड़ा वर्ग की जटिल राजनीति की मिसाल हैं। यहाँ कोइरी और कुर्मी जातियों का दबदबा है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं, जैसे मुद्रा लोन और उज्ज्वला योजना, का जिक्र किया।

    मोदी सभा का असर: रैली ने पिछड़ा वर्ग के उन मतदाताओं को लक्षित किया जो आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़े हैं। भाजपा का लक्ष्य कोइरी वोटों (जो पारंपरिक रूप से जदयू के साथ थे) को अपनी ओर खींचना था। मोदी की उपस्थिति ने स्थानीय भाजपा उम्मीदवार की छवि को बढ़ावा दिया और उसे एक राष्ट्रीय पहचान प्रदान की।

    विपक्ष की काउंटर रणनीति: राजद ने यहाँ अपने पारंपरिक जातीय गठजोड़ (यादव-मुस्लिम) को मजबूत करने पर काम किया। साथ ही, उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग को एक प्रमुख मुद्दा बनाया। उनका आरोप था कि एनडीए पिछड़ा वर्ग के हक की बात तो करती है, लेकिन जनगणना के जरिए उनकी वास्तविक स्थिति सामने लाने से डरती है। यह एक मजबूत काउंटर था।

    परिणाम: इस सीट पर महागठबंधन के जयकुमार सिंह आगे दिख रहे हैं। इससे पता चलता है कि जहाँ सीधे जातीय समीकरण प्रबल हैं, वहाँ मोदी की एक रैली जातिगत निष्ठा को पूरी तरह से बदलने में सक्षम नहीं है। हालाँकि, इसने मुकाबले को काफी कड़ा जरूर बना दिया था।

    समग्र विश्लेषण और निष्कर्ष

    प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं का बिहार के चुनावी परिदृश्य पर एक बहु-स्तरीय प्रभाव रहा:

    एजेंडा सेटिंग: मोदी के भाषणों ने चुनावी बहस के विषय तय किए। विपक्ष को अक्सर उनके उठाए गए मुद्दों (जैसे पाकिस्तान, राष्ट्रवाद) का जवाब देने में समय बिताना पड़ा।

    मोबिलाइजेशन: ये सभाएं एनडीए के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए ऊर्जा का केंद्र बनी। ये मतदान के दिन लोगों को बूथ तक लाने का काम करेंगी।

    क्लोज फाइट में निर्णायक भूमिका: उन सीटों पर जहाँ मुकाबला बराबरी का था, वहाँ मोदी के चरित्र और उनके द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रीय नरेटिव ने 2-3% का स्विंग पैदा करके एनडीए के पक्ष में जीत सुनिश्चित की है।

    हालाँकि, बिहार का चुनाव यह भी साबित करता है कि मोदी की रैलियाँ ‘ सिल्वर बुलेट’ नहीं हैं। जहाँ विपक्ष का सामाजिक आधार मजबूत और सुसंगठित था (जैसे वाल्मीकिनगर, दिनारा), वहाँ स्थानीय मुद्दों और जातीय निष्ठा ने राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रभाव को काफी हद तक नकार दिया।

    विपक्ष की सफलता इस बात में रही कि उन्होंने एक स्पष्ट, दोहरी रणनीति अपनाई: एक ओर, तेजस्वी यादव जैसे युवा नेता स्थानीय मुद्दों (नौकरी, शिक्षा) और जातिगत समीकरणों (जनगणना) पर जोर देकर अपना आधार मजबूत कर रहे थे, तो दूसरी ओर, वे सोशल मीडिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोदी के हर दावे का तत्काल तथ्यात्मक खंडन करके उनके प्रभाव को सीमित करने की कोशिश कर रहे थे।

    अंततः, बिहार चुनाव के परिणाम ने दर्शाया कि भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रीय नेतृत्व और स्थानीय समीकरण दोनों का ही अपना-अपना स्थान है। प्रधानमंत्री मोदी की सभाएं एनडीए के लिए एक शक्तिशाली बल थीं, लेकिन बिहार की जमीन पर, स्थानीय नदियों का बहाव भी उतना ही ताकतवर साबित हुआ।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में चुनावी सभाएं एनडीए (भाजपा, जेडीयू, एलजेपी आदि) के चुनाव प्रचार का एक प्रमुख हिस्सा थीं। इन सभाओं का उद्देश्य एनडीए के उम्मीदवारों को बढ़ावा देना और मतदाताओं को आकर्षित करना था। हालांकि, चुनाव परिणामों पर इन सभाओं के सटीक और क्वांटिफाइड प्रभाव को मापना मुश्किल है, क्योंकि किसी चुनावी नतीजे पर कई कारक एक साथ असर डालते हैं।

    फिर भी, रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषण के आधार पर कुछ बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है:

    प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं का असर कहाँ और कैसा रहा?

    1. एनडीए की मजबूत सीटों पर सकारात्मक प्रभाव:

    वे सीटें जहाँ एनडीए (भाजपा/जेडीयू) पहले से मजबूत थी, वहाँ पीएम मोदी की सभाओं ने मतदाताओं में उत्साह बढ़ाया और मतदान प्रतिशत को बनाए रखने में मदद की। उदाहरण के लिए, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, और सारण जैसे क्षेत्रों में उनकी सभाओं ने एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया।

    2. दबाव वाली सीटों पर “क्लोज फाइट” में भूमिका:

    कुछ सीटें ऐसी थीं जहाँ प्रतिस्पर्धा अधिक थी और परिणाम कम अंतर से आए। ऐसी सीटों पर पीएम मोदी की रैलियों ने एनडीए उम्मीदवारों को “फायदे का अंतर” दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो सकती है। मोदी के चरित्र और केंद्र सरकार की योजनाओं पर चलाया गया चुनाव प्रचार दलगत समीकरणों से ऊपर उठकर काम करता दिखा।

    3. विषयों को सेट करना:

    इन सभाओं ने चुनावी एजेंडा तय किया। पीएम मोदी ने अपने भाषणों में राष्ट्रवाद, राम मंदिर, केंद्र सरकार की योजनाओं (जैसे- आवास, नल से जल, डबल इंजन की सरकार) और “विपक्ष की नकारात्मकता” पर जोर दिया। इसने विपक्ष को एक रक्षात्मक स्थिति में ला खड़ा किया और उन्हें इन्हीं मुद्दों पर जवाब देने के लिए मजबूर किया।

    4. सीट-विशेष असर की सीमाएँ:

    यह मानना गलत होगा कि हर सभा ने सीधे उस क्षेत्र की सीट जीत ली। बिहार में जातिगत और स्थानीय समीकरण बहुत मजबूत हैं। कई सीटों पर स्थानीय उम्मीदवारों की लोकप्रियता और जातीय गठजोड़ ने राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रभाव को सीमित कर दिया। उदाहरण के लिए, महागठबंधन को कुछ सीटों पर सफलता मिली, जो दर्शाता है कि स्थानीय कारक भी कम महत्वपूर्ण नहीं थे।

    विपक्ष ने मोदी की सभाओं के प्रभाव को काउंटर करने के लिए क्या किया?

    विपक्ष, खासकर महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, वाम दल आदि) ने पीएम मोदी की सभाओं और उनके भाषणों के जवाब में कई रणनीतियाँ अपनाईं:

    1. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना:

    विपक्ष ने बिहार में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा-स्वास्थ्य की खराब स्थिति, और कृषि संकट जैसे स्थानीय मुद्दों को उठाया। उनका तर्क था कि केंद्र सरकार ने बिहार के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। तेजस्वी यादव ने “10 लाख नौकरियाँ” के वादे को दोहराया और “बेरोजगारी” को प्रमुख मुद्दा बनाया।

    2. जातीय समीकरणों को मजबूत करना:

    महागठबंधन ने अपने पारंपरिक जातीय वोट बैंक (MY- मुस्लिम-यादव) को साधने और दूसरे पिछड़े वर्गों (OBC) तथा अति पिछड़ा वर्ग (EBC) में अपनी पैठ बनाने पर जोर दिया। उन्होंने जनगणना और आरक्षण को लेकर भाजपा पर सवाल उठाए।

    3. “डबल इंजन की सरकार” के दावे को चुनौती देना:

    विपक्ष ने कहा कि “डबल इंजन की सरकार” होने के बावजूद बिहार विकास में पिछड़ा हुआ है। उन्होंने केंद्र और राज्य की भाजपा-युक्त सरकारों पर बिहार को उसका हक नहीं देने का आरोप लगाया।

    4. प्रेस कॉन्फ्रेंस और सोशल मीडिया के जरिए तत्काल जवाब:

    पीएम मोदी के भाषणों में उठाए गए विषयों (जैसे- संविधान में बदलाव का आरोप) का विपक्ष ने तुरंत जवाब दिया। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात रखी और भाजपा पर “झूठ फैलाने” का आरोप लगाया।

    5. रैलियों और रोड शो का जवाबी दौर:

    विपक्षी नेताओं ने भी व्यापक रैलियाँ और रोड शो किए। हालाँकि उनकी रैलियों को पीएम मोदी जितना कवरेज नहीं मिलता था, लेकिन उन्होंने अपने समर्थकों को जुटाने और अपना पक्ष रखने का काम किया।

    निष्कर्ष:

    प्रधानमंत्री मोदी की सभाएँ एनडीए के लिए एक फोर्स मल्टीप्लायर (बल गुणक) का काम करती हैं। उन्होंने एनडीए के मतदाताओं में उत्साह पैदा किया, चुनावी एजेंडा तय किया और कड़े मुकाबल वाली सीटों पर फायदा पहुँचाया। हालाँकि, बिहार की जटिल सामाजिक-राजनीतिक संरचना के कारण, उनका प्रभाव हर सीट पर निर्णायक साबित नहीं हो सका। विपक्ष ने स्थानीय मुद्दों, जातीय समीकरणों और त्वरित प्रतिक्रिया देकर इस प्रभाव को काउंटर करने की कोशिश की। अंततः चुनावी नतीजा इन सभी कारकों के जटिल परस्पर प्रभाव का परिणाम था।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticlePM Modi in Raipur: रायपुर में आज दिखेगा ‘मोदी मैजिक’! अस्पताल, विधानसभा तक करेंगे 6 मेगा लॉन्च
    Next Article छत्तीसगढ़ की नई विधानसभा का उद्घाटन, प्रधानमंत्री मोदी बोले- अटल जी सपना साकार हो रहा है…
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    Bihar के बाजीगर बनने की राह पर प्रशांत किशोर! जन सुराज महागठबंधन और एनडीए के लिए खतरे की घंटी

    November 1, 2025

    Bihar की राजनीति में नीलम देवी! पति अनंत सिंह के जेल जाने के बाद मोकामा का गढ़ था बचाया…

    November 1, 2025

    छत्तीसगढ़ की नई विधानसभा का उद्घाटन, प्रधानमंत्री मोदी बोले- अटल जी सपना साकार हो रहा है…

    November 1, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025

    दिल्ली विश्वविद्यालय में 9500 सीटें खाली, मॉप-अप राउंड से प्रवेश की अंतिम कोशिश

    September 11, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.