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    Home » Pok Beautiful Places: आज पाकिस्तान के कब्जे में हैं ये स्थल, जानिए पाक अधिकृत कश्मीर की खोई हुई खूबसूरती
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    Pok Beautiful Places: आज पाकिस्तान के कब्जे में हैं ये स्थल, जानिए पाक अधिकृत कश्मीर की खोई हुई खूबसूरती

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 28, 2025No Comments14 Mins Read
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    Pok Beautiful Hidden Places

    Pok Beautiful Hidden Places

    Hidden Places Of POK: धरती पर स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर, अपनी बर्फीली वादियों, शांत झीलों और हरे-भरे जंगलों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। लेकिन यह सौंदर्य अधूरा है, क्योंकि इसका एक अमूल्य हिस्सा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके), भारत से अलग हो चुका है। यह क्षेत्र केवल भूगोल की दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से भी भारत की एक अनमोल विरासत है। यदि यह हिस्सा आज भारत में होता, तो इसकी वादियाँ भी श्रीनगर की डल झील जितनी ही प्रसिद्ध होतीं। पीओके आज भी अपने नैसर्गिक सौंदर्य और ऐतिहासिक स्थलों के लिए पहचाना जाता है, मगर विश्व की नजरों से कहीं छिपा हुआ है।

    मीरपुर (Mirpur)

    मीरपुर, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शहर है, जिसे कभी भारत की सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा माना जाता था। यह शहर झेलम नदी के किनारे बसा हुआ है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य, हरियाली तथा मंगला डैम जैसी विशाल जलसंरचना के लिए जाना जाता है। विभाजन से पहले मीरपुर एक समृद्ध हिन्दू-सिख बहुल क्षेत्र था, जहाँ शिक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियाँ पूरे जोरों पर थीं। यहां के मंदिर, हवेलियाँ और पुरानी गलियाँ आज भी उस स्वर्णिम युग की याद दिलाते हैं। हालांकि, 1947 में विभाजन के समय मीरपुर एक बड़े नरसंहार और पलायन का गवाह बना, जिसे “मीरपुर नरसंहार” के नाम से जाना जाता है। इस दौरान हजारों निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और कई परिवार हमेशा के लिए बिछड़ गए। आज का मीरपुर, प्रवासी पाकिस्तानियों के निवेश के कारण “मिनी इंग्लैंड” के रूप में जाना जाता है, लेकिन भारत के दृष्टिकोण से यह शहर एक ऐसा भूभाग है, जो केवल एक नक्शे में खोया हुआ इलाका नहीं, बल्कि हमारी आत्मा से जुड़ा हुआ एक ऐतिहासिक और भावनात्मक केंद्र है।

    मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad)


    मुज़फ़्फ़राबाद, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की राजधानी है, जो नीलम और झेलम नदियों के संगम पर स्थित है। यह शहर अपनी भौगोलिक स्थिति, सुंदर घाटियों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए महत्वपूर्ण है। मुज़फ़्फ़राबाद चारों ओर ऊँची पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है, जो प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। ऐतिहासिक रूप से, यह क्षेत्र कभी डोगरा शासकों और कश्मीर के राजा हरि सिंह के अधीन था, और इसका भारत से गहरा संबंध रहा है। यहाँ के महल, किले और धार्मिक स्थल उस गौरवशाली इतिहास की झलक देते हैं।

    मुज़फ़्फ़राबाद, भारत-पाकिस्तान की विवादित सीमा के नजदीक होने के कारण रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। विभाजन के बाद यह पाकिस्तान के कब्जे में आ गया, लेकिन यह शहर भारतीयों के लिए केवल एक भूगोलिक स्थल नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और ऐतिहासिक धरोहर है। “रेड फोर्ट” (चकोरी किला) और नीलम घाटी (जो कभी किशनगंगा घाटी के नाम से जानी जाती थी) इस क्षेत्र के प्रमुख ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल हैं। यदि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होता, तो न केवल इसकी सुरक्षा और विकास सुनिश्चित होता, बल्कि यह शहर श्रीनगर और लेह की तरह एक प्रमुख वैश्विक पर्यटन केंद्र बन सकता था।

    नीलम वैली (Neelum Valley)

    नीलम वैली, जिसे ऐतिहासिक रूप से किशनगंगा घाटी कहा जाता है, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आज़ाद कश्मीर क्षेत्र में स्थित है। इसे “धरती पर छुपा स्वर्ग” या (Paradise of Kashmir)कहा जाता है, और यह मुज़फ़्फ़राबाद से लगभग 240 किलोमीटर तक फैली हुई है। नीलम नदी, जो भारत में किशनगंगा के नाम से जानी जाती है, इस घाटी से बहती है और इसे अद्वितीय सुंदरता प्रदान करती है। घाटी अपनी हरी-भरी वादियों, झरनों, देवदार के जंगलों और बर्फ से ढकी चोटियों के लिए प्रसिद्ध है।

    नीलम वैली का ऐतिहासिक महत्व भी है, विशेष रूप से शारदा, जहाँ एक प्रसिद्ध हिंदू विश्वविद्यालय और मंदिर हुआ करता था। शारदा पीठ भारतीय शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र था, जहां शंकराचार्य ने भी दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया था। अन्य प्रमुख स्थल जैसे अरंग केल, ताओबट, और केल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।

    हालांकि नीलम वैली आज पाकिस्तान के नियंत्रण में है, इसका इतिहास, भूगोल और सांस्कृतिक धरोहर भारत से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। यदि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होता, तो यह न केवल धार्मिक और शैक्षणिक केंद्र के रूप में विकसित होता, बल्कि पर्यटन में भी श्रीनगर और गुलमर्ग जैसी वादियों को टक्कर देता।

    लेपा वैली (Leepa Valley)

    लेपा वैली (Leepa Valley), पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की एक अत्यंत सुंदर और शांति से भरी घाटी है, जो लगभग 1,921 मीटर (6,300 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और मुज़फ़्फ़राबाद से लगभग 100-110 किलोमीटर दूर है। यह घाटी नीलम वैली की तरह बर्फ से ढकी चोटियों, हरियाली और पहाड़ियों से घिरी हुई है। लेपा घाटी तक पहुँचने का मार्ग घुमावदार, घने देवदार के जंगलों और छोटी पहाड़ी बस्तियों से होकर जाता है, जो यात्रा को अविस्मरणीय बना देता है।

    यहाँ की पारंपरिक कश्मीरी शैली की लकड़ी से बनी मकान और स्थानीय गाँव जैसे चौंकी, लेपा, रेशियन, और दौड़नियाँ इस घाटी की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। सर्दियों में यह पूरी तरह बर्फ से ढक जाती है, जबकि गर्मियों में यहाँ की वादियाँ हरे रंग से भरी होती हैं।

    लेपा घाटी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध कश्मीर के अन्य हिस्सों से गहरे रूप से जुड़ा है, और इसकी भाषा, रहन-सहन, और रीति-रिवाज भारतीय कश्मीर से मेल खाते हैं। आज भी यह घाटी भारतीयों के दिलों में एक खोई हुई जन्नत के रूप में जीवित है।

    बाघ (Bagh)

    बाघ (Bagh), पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का एक प्रमुख जिला है, जो समुद्र तल से लगभग 1,500 मीटर (4,900 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने देवदार के जंगलों, पहाड़ी नदियों और सुरम्य घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। बाघ जिले की सीमाएँ मुज़फ़्फ़राबाद, हवीली और पुंछ जैसे ऐतिहासिक क्षेत्रों से मिलती हैं, और इसका भौगोलिक स्थान इसे रणनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।

    यहां का मौसम वर्षभर सुहावना रहता है, और गर्मियों में यह क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य के चरम पर होता है। प्रमुख स्थल जैसे लास डंडा, हिलान, हंस चौकी और सुदन गली (जो लगभग 2,000 मीटर ऊँचाई पर स्थित है) ट्रेकिंग और हाइकिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। इन क्षेत्रों से बर्फ से ढके पहाड़ों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।

    बाघ कभी जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा था, और इसका भारत से गहरा सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध रहा है। 1947 के विभाजन के बाद इसे पाकिस्तान के नियंत्रण में ले लिया गया, लेकिन इसकी हरियाली और पर्वतीय संस्कृति आज भी भारतीय कश्मीर से मेल खाती है। बाघ भारतीय कश्मीर की एक यादगार धरोहर और उस समृद्ध सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, जो कभी एक था।

    रावलकोट (Rawalakot)

    रावलकोट (Rawalakot), पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का एक प्रमुख शहर और ऐतिहासिक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुरम्य परिवेश के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर पुंछ जिले में स्थित है और लगभग 1,000 मीटर (3,280 फीट) की ऊँचाई पर बसा हुआ है। रावलकोट को “मिनी कश्मीर” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की वादियाँ और पहाड़ कश्मीर की खूबसूरती की याद दिलाते हैं। यहां के घने जंगल, बर्फ से ढकी चोटियाँ और शांत वातावरण इसे पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं।

    रावलकोट का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यह क्षेत्र कभी जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा था। विभाजन के बाद यह पाकिस्तान के नियंत्रण में आ गया, लेकिन इसका भारत से गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध आज भी जीवित है। रावलकोट के प्रमुख पर्यटन स्थल जैसे ताली, बाबर खली, और धंजार गाँव अपने अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए प्रसिद्ध हैं।

    आज रावलकोट का यह क्षेत्र पर्यटन, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है, और यदि यह भारत का हिस्सा होता, तो यह कश्मीर और श्रीनगर के साथ मिलकर एक प्रमुख पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र बन सकता था।

    हाजीरा (Hajira) और तारारखल (Tararkhal)

    हाजीरा (Hajira) और तारारखल (Tatta Pani), पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के दो प्रमुख और सुंदर स्थल हैं, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध हैं। हाजीरा, मुज़फ़्फ़राबाद से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है, और अपनी हरी-भरी वादियों, शांत वातावरण और पर्वतीय दृश्यों के लिए जाना जाता है। तारारखल, हाजीरा के पास स्थित एक प्रसिद्ध गर्म जलस्रोत स्थल है, जहां खनिज तत्वों से भरपूर गर्म पानी प्राकृतिक चिकित्सा के लिए उपयोगी माना जाता है। यहाँ की गर्म झील भी एक प्रमुख आकर्षण है।

    हाजीरा और तारारखल के बीच लगभग 30 किलोमीटर की दूरी है, और यह इलाका सुरम्य पर्वतीय मार्गों से जुड़ा हुआ है। इन दोनों स्थलों का ऐतिहासिक संबंध कश्मीर रियासत से है, और विभाजन के बाद ये पाकिस्तान के नियंत्रण में आ गए। यदि ये क्षेत्र भारत का हिस्सा होते, तो यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकते थे। हाजीरा और तारारखल की सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर आज भी भारतीय कश्मीर के साथ जुड़ी हुई है।

    कोटली (Kotli)

    कोटली पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का एक प्रमुख शहर है, जो मुज़फ़्फ़राबाद से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से 700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह शहर अपनी ऐतिहासिक महत्व, सुरम्य पहाड़ी दृश्यों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। कोटली, पुंछ जिले का हिस्सा है और यहाँ के हरे-भरे जंगल, शांत वातावरण और घाटियाँ इसे आकर्षक बनाती हैं।

    कोटली का इतिहास समृद्ध है और यह कभी जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा था। विभाजन के बाद यह पाकिस्तान के नियंत्रण में आ गया। यहाँ की संस्कृति, जीवनशैली और लोककला भारतीय कश्मीर से गहरे रूप से जुड़ी हुई हैं। कोटली के आसपास के इलाकों जैसे न्यूटाउन, लारन और कानी काठ प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं।

    कोटली की प्रमुख विशेषताएँ यहाँ की बर्फ से ढकी चोटियाँ, देवदार के जंगल और सुंदर झीलें हैं, जो इसे आदर्श पर्यटन स्थल बनाती हैं। सुर्रोती और अलीपुर जैसे कस्बे भी यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं। यदि यह भारत का हिस्सा होता, तो यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल और सांस्कृतिक केंद्र बन सकता था।

    हावेली (Haveli)

    हावेली (Haveli), पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो मुज़फ़्फ़राबाद से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है। यह क्षेत्र अपनी खूबसूरत पहाड़ी वादियों, घने जंगलों और सुरम्य घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। हावेली जिला कभी जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा था, और इसका भारतीय कश्मीर से गहरा सांस्कृतिक और भौगोलिक जुड़ाव रहा है।

    यहाँ के प्रमुख स्थान जैसे बड़गाम, शहीद चौक, और धारकोट इसकी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। यहाँ की पारंपरिक कारीगरी, लोक संगीत और हस्तशिल्प भारतीय कश्मीर के समान हैं। हावेली ने 1947 के विभाजन के बाद दर्द और बिखराव का सामना किया, लेकिन इसकी सांस्कृतिक पहचान आज भी भारतीय कश्मीर से मेल खाती है।

    यदि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होता, तो इसका प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना सकता था। हावेली, भारतीय कश्मीर की उस खोई हुई कश्मीरियत का प्रतीक है, जो कभी सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और एक था।

    शारदा पीठ

    शारदा पीठ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के नीलम घाटी में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो प्राचीन समय में एक महत्वपूर्ण हिंदू शिक्षा केंद्र और मंदिर के रूप में प्रसिद्ध था। यह स्थल शारदा नदी के किनारे स्थित है और अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। शारदा पीठ का नाम शारदा देवी से लिया गया है, जिन्हें भारतीय उपमहाद्वीप में ज्ञान और कला की देवी माना जाता है।

    प्राचीन काल में, शारदा पीठ एक प्रमुख धार्मिक और शैक्षिक केंद्र था, जहां संस्कृत, दर्शनशास्त्र, और धार्मिक अध्ययन की शिक्षा दी जाती थी। यह स्थल भारतीय उपमहाद्वीप के महान धार्मिक केंद्रों में से एक था और यहाँ भारतीय और तिब्बती बौद्ध धर्म के भी प्रभाव देखे जाते थे।

    शारदा पीठ का इतिहास अत्यंत गौरवमयी है, और यह कभी कश्मीर के सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने का हिस्सा था। विभाजन के बाद यह स्थल पाकिस्तान के कब्जे में आ गया, और आज भी यह स्थल ऐतिहासिक रूप से भारतीय कश्मीर से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में शारदा पीठ का अधिकांश हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता आज भी जीवित है।

    Gilgit(गिलगित)

    गिलगित पाकिस्तान के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र का एक प्रमुख शहर है, जो हिमालय, कराकोरम और हिंदु कुश पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। यह ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है, क्योंकि यह भारत, चीन और मध्य एशिया के व्यापार मार्गों का मिलन बिंदु था। गिलगित को “गिलगित-बलतिस्तान का द्वार” भी कहा जाता है, क्योंकि यह भारत, पाकिस्तान और चीन की सीमा के करीब स्थित है।

    गिलगित का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यधिक आकर्षक है, यहाँ की बर्फ से ढकी चोटियाँ, हरी-भरी घाटियाँ, और बहती नदियाँ ट्रैकिंग, पर्वतारोहण और अन्य साहसिक गतिविधियों के लिए आदर्श हैं। गिलगित नदी क्षेत्र को जीवन और सुंदरता देती है।

    ऐतिहासिक दृष्टि से, गिलगित भारत के साथ गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों में था। यह प्राचीन समय में गांधारा सभ्यता का हिस्सा था और यहाँ बौद्ध संस्कृति का प्रभाव भी था। आज गिलगित पाकिस्तान के नियंत्रण में है, लेकिन इसकी भूगोलिक और सांस्कृतिक विरासत भारत से जुड़ी हुई है। यदि यह भारत का हिस्सा होता, तो यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल और सांस्कृतिक केंद्र बन सकता था।

    Skardu(स्कार्डू)

    स्कार्डू पाकिस्तान के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित एक खूबसूरत शहर है, जो कराकोरम पर्वत श्रृंखला के पास और स्कार्डू घाटी में बसा हुआ है। यह समुद्र तल से लगभग 2,500 मीटर (8,200 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और अपनी बर्फीली चोटियों, झीलों और हरी-भरी घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। स्कार्डू के2 जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्वतों के पास होने के कारण पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए आदर्श स्थान है।

    प्रमुख आकर्षणों में दीदार झील, शांगरी-ला रिज़ॉर्ट, रकपोशी पर्वत, और दीवसाई नेशनल पार्क शामिल हैं। स्कार्डू का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यह प्राचीन व्यापार मार्गों पर स्थित था और यहाँ बौद्ध और इस्लामिक संस्कृतियों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।

    कोंकोर्डिया (Concordia)

    कोंकोर्डिया (Concordia) पाकिस्तान के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वतारोहण स्थल है, जो कराकोरम पर्वत श्रृंखला के दिल में बसा हुआ है। यह स्थान के2 (दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत) और अन्य प्रमुख पर्वतों के पास स्थित है। कोंकोर्डिया, विशेष रूप से ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकिनों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है, क्योंकि यहाँ से के2 और गुडविन-ऑस्टिन जैसी बर्फीली चोटियों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।

    कोंकोर्डिया तक पहुँचने का मार्ग बहुत ही चुनौतीपूर्ण और रोमांचक है, और यह गोडविन-ऑस्टिन ग्लेशियर के माध्यम से जाता है। यह जगह न केवल पर्वतारोहियों के लिए, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता के प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। कोंकोर्डिया को “पृथ्वी का सबसे सुंदर कनेक्शन” माना जाता है, क्योंकि यहाँ से दुनिया के कुछ सबसे ऊँचे और प्रसिद्ध पर्वतों का दृश्य दिखाई देता है। यह स्थल साहसिक गतिविधियों के लिए आदर्श है और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्गिक अनुभव प्रदान करता है।

    हुंज़ा घाटी(Hunza Valley)

    हुंज़ा घाटी पाकिस्तान के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित एक अत्यंत खूबसूरत और प्रसिद्ध घाटी है, जो कराकोरम पर्वत श्रृंखला के तहत बसी हुई है। यह घाटी समुद्र तल से लगभग 2,438 मीटर (8,000 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फीली चोटियों, हरी-भरी वादियों और शांत वातावरण के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।

    हुंज़ा घाटी की प्रमुख आकर्षणों में तिज़नाबाद, हुसैनी ब्रिज, बाल्टिट किला, और दूसूंगी झील शामिल हैं। यहाँ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भी समृद्ध है, और यह स्थान अपने स्थानीय लोगों की मेहमाननवाजी और पारंपरिक जीवनशैली के लिए भी जाना जाता है।

    घाटी के कई गांवों में अनोखी कश्मीर शैली की वास्तुकला और पुराने किलों का महत्व है। हुंज़ा घाटी में आने वाले पर्यटक के2 और रकपोशी जैसी पर्वत श्रृंखलाओं का शानदार दृश्य देख सकते हैं। यह घाटी साहसिक पर्यटन, ट्रैकिंग, पर्वतारोहण और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। यदि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होता, तो इसकी सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल और वैश्विक आकर्षण बनाती।

    नंगा पर्वत (Nanga Parbat)

    नंगा पर्वत (Nanga Parbat) पाकिस्तान के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित है और यह दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वतों में से एक है, जिसकी ऊँचाई 8,126 मीटर (26,660 फीट) है। इसे “मौत का पर्वत” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां चढ़ाई करना बहुत कठिन और खतरनाक माना जाता है।

    नंगा पर्वत का नाम “नंगा” (नग्न) और “पर्वत” (पहाड़) से लिया गया है, क्योंकि इसके शिखर पर बर्फ की परतें कम ही रहती हैं। यह पर्वत साहसिक यात्रियों और पर्वतारोहियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। इसके आस-पास की घाटियाँ, बर्फीली चोटियाँ और घने जंगल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यदि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होता, तो नंगा पर्वत और इसके आसपास का इलाका पर्यटन और साहसिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन सकता था।

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