
Politician Arun Kumar Wikipedia (Image Credit-Social Media)
Politician Arun Kumar Wikipedia (Image Credit-Social Media)
Politician Arun Kumar Sagar: शाहजहांपुर की राजनीति में एक सशक्त और प्रभावशाली चेहरा बन चुके अरुण कुमार सागर का नाम आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अरुण सागर 2019 से संसद के सदस्य हैं और अब 2024 में अपने दूसरे कार्यकाल की ओर अग्रसर हैं। उनका राजनीतिक सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है, जिसमें संघर्ष, प्रतिबद्धता और संगठनात्मक कौशल स्पष्ट रूप से झलकते हैं।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
अरुण कुमार सागर का जन्म 1 मई, 1976 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के चवर खास में हुआ। उनके पिता श्री छोटे लाल सागर एक साधारण कृषक परिवार से ताल्लुक रखते थे। भारतीय ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े अरुण सागर ने जीवन के प्रारंभिक संघर्षों को बहुत करीब से देखा और महसूस किया। शिक्षा की बात करें तो अरुण सागर ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई रामशरण सिंह विद्यालय, फुलसांदा, बिजनौर से पूरी की। उन्होंने आगे की पढ़ाई भले ही औपचारिक रूप से जारी न रखी हो, लेकिन उनकी राजनीतिक समझ, नेतृत्व कौशल और जनता से जुड़ाव उन्हें एक परिपक्व जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित करता है।
व्यक्तिगत जीवन

अरुण सागर का विवाह 16 मई, 1993 को रूपा सागर से हुआ। उनके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं। वे न केवल एक राजनेता बल्कि एक व्यवसायी और कृषक भी हैं, जो अपने व्यवसायिक अनुभव का लाभ राजनीति में नीति निर्धारण के दौरान उठाते हैं।
राजनीतिक शुरुआत, बसपा में युवा नेता
राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से की थी, जहां वे जाटव समुदाय के एक उभरते हुए युवा नेता के रूप में पहचाने जाने लगे। वे चार बार शाहजहांपुर जिले के बसपा जिलाध्यक्ष रहे और साथ ही दो बार बरेली जोन के पार्टी समन्वयक के रूप में भी कार्य किया। उनके संगठनात्मक कौशल को देखते हुए 2008 में मात्र 32 वर्ष की आयु में उन्हें राज्य निर्माण निगम का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो राज्यमंत्री के समकक्ष पद होता है। यह उनके राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें प्रदेश स्तर पर पहचान दिलाई।
2012 का विधानसभा चुनाव और पार्टी से निष्कासन

2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा ने अरुण सागर को पुवायां (शाहजहांपुर) से टिकट दिया। हालांकि उन्होंने कड़ा मुकाबला किया, परंतु समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार शकुंतला देवी से लगभग 4.2% मतों के अंतर से हार गए। इसके तीन साल बाद, 15 जून 2015 को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया गया। यह घटना उनके राजनीतिक जीवन का एक और अहम मोड़ साबित हुई।
भाजपा में नई शुरुआत
बसपा से निष्कासन के बाद अरुण सागर ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। उनकी संगठनात्मक क्षमता और क्षेत्रीय पकड़ को पहचानते हुए भाजपा ने उन्हें 2015 में ब्रज क्षेत्र इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने पार्टी के लिए पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ काम किया, जिससे उनकी छवि भाजपा में और अधिक मजबूत हुई।
2019 का ऐतिहासिक लोकसभा चुनाव
2019 के आम चुनाव में भाजपा ने शाहजहांपुर लोकसभा सीट से अरुण सागर को उम्मीदवार घोषित किया। यह फैसला पार्टी की रणनीतिक दृष्टि को दर्शाता है, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज की जगह सागर को मौका दिया। 23 मई, 2019 को चुनाव परिणाम सामने आए और अरुण सागर ने महागठबंधन के प्रत्याशी अमर चंद जौहर को 2,68,418 मतों के विशाल अंतर से पराजित कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्हें कुल 6,88,990 वोट प्राप्त हुए, जो रुहेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा जनादेश था।

जनप्रतिनिधि के रूप में भूमिका
सांसद बनने के बाद अरुण सागर ने क्षेत्र में कई विकास योजनाएं लागू कीं। उन्होंने ग्रामीण सड़कों के निर्माण, बिजली और जल आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करवाए। उनकी प्राथमिकता हमेशा अपने क्षेत्र के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने की रही है।
उन्होंने युवाओं के लिए रोजगार मेले और कौशल विकास कार्यक्रम भी शुरू करवाए, जिससे स्थानीय युवाओं को बेहतर अवसर मिले। कृषि क्षेत्र से जुड़े होने के कारण वे किसानों की समस्याओं को संसद में मजबूती से उठाते हैं।
2024 में दूसरा कार्यकाल
2024 के आम चुनाव में भी भाजपा ने उन पर विश्वास जताते हुए दोबारा टिकट दिया। जनता ने एक बार फिर उन्हें अपना समर्थन दिया और उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज कर दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की। यह जीत उनके कार्यों और जनता के साथ मजबूत जुड़ाव का प्रमाण है।
राजनीतिक छवि और समाजिक सरोकार
अरुण सागर की राजनीतिक छवि एक जमीनी नेता की है, जो आम जनता से सीधे संवाद में विश्वास रखते हैं। उनका व्यवहार सरल, सहज और विनम्र है। वे सामाजिक न्याय, दलित सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं। वे अक्सर गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद करते हैं और क्षेत्रीय मुद्दों को प्राथमिकता पर रखते हुए शासन तक पहुंचाते हैं। उन्होंने दलित और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं।

अरुण कुमार सागर का जीवन इस बात का उदाहरण है कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी मेहनत, निष्ठा और जनसेवा के बल पर राजनीति में ऊंचाईयों तक पहुंच सकता है। उनका अब तक का राजनीतिक सफर यह दर्शाता है कि जनप्रतिनिधि वही होता है जो जनता के बीच रहे, उनकी समस्याओं को सुने और समाधान के लिए निरंतर प्रयास करे।
भविष्य में अरुण सागर से जनता को और भी विकासपरक, पारदर्शी और जवाबदेह नेतृत्व की अपेक्षा है। उनकी राजनीतिक यात्रा निश्चित ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रेरणास्रोत बनी रहेगी