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    Home » Politician K. Navas Kani Wikipedia: के. नवास कानी…तमिलनाडु की सियासत में मुस्लिम लीग की दमदार आवाज
    राजनीति

    Politician K. Navas Kani Wikipedia: के. नवास कानी…तमिलनाडु की सियासत में मुस्लिम लीग की दमदार आवाज

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 14, 2025No Comments6 Mins Read
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    Politician K. Navas Kani Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Politician K. Navas Kani Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Politician K. Navas Kani Wikipedia: भारतीय राजनीति में ऐसे कई चेहरे हैं जिन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय की न केवल मजबूत आवाज़ बने, बल्कि संसदीय व्यवस्था के भीतर रहकर क्षेत्रीय विकास, सामाजिक न्याय और धार्मिक समरसता की दिशा में अहम भूमिका निभाई। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के के. नवास कानी ऐसे ही एक नेता हैं, जिन्होंने तमिलनाडु जैसे सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से विविध राज्य से संसद तक का सफर तय किया है। 2019 से रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे नवास कानी आज IUML के चार सांसदों में से एक हैं और पार्टी की नई पीढ़ी का चेहरा माने जाते हैं।

    के. नवास कानी वर्तमान में दो प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं जिनमें से एक लोकसभा सांसद (रामनाथपुरम, तमिलनाडु) के तौर पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के प्रतिनिधि के रूप में 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। 2024 के आम चुनावों में उन्होंने पुनः जीत हासिल की और 18वीं लोकसभा के सदस्य बने। दूसरा ये 19 सितंबर 2024 से तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, वे संसद की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्थायी समिति तथा शिपिंग मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी हैं।

    प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

    के. नवास कानी का जन्म 14 मई 1979 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ। उनके पिता खादर मीरा गनी और माता रामजन बीवी ने उन्हें धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के बीच पाला-पोसा। परिवार सामान्य पृष्ठभूमि से था, लेकिन शिक्षा और सार्वजनिक सेवा के महत्व को अच्छी तरह समझता था। अपनी स्कूली शिक्षा नवास कानी ने अरुपुकोट्टई के एक सीनियर ग्रेड स्कूल से पूरी की। पढ़ाई में औसत लेकिन सामाजिक गतिविधियों में बेहद सक्रिय नवास कानी की युवावस्था से ही रुचि जनसेवा में थी। उन्होंने शिक्षा को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना और बाद में समाज में बदलाव लाने का माध्यम भी बनाया।

    राजनीतिक सफर की शुरुआत

    2011 में नवास कानी ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग में औपचारिक रूप से प्रवेश किया। यह वह समय था जब IUML दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक पकड़ को दोबारा मज़बूत करने की दिशा में कार्यरत थी। नवास कानी की संगठनात्मक क्षमताओं को जल्द ही पहचाना गया और उन्हें पार्टी के राज्य आधिकारिक सलाहकार की भूमिका दी गई। उन्होंने निचले स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करना शुरू किया और IUML को तमिलनाडु में एक सशक्त राजनीतिक विकल्प के रूप में उभारने में योगदान दिया। उनकी कार्यशैली, विनम्र स्वभाव और संगठन के प्रति निष्ठा ने उन्हें पार्टी की केंद्रीय इकाई में भी एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया।

    लोकसभा में एंट्री और संसदीय कार्य

    2019 के आम चुनावों में नवास कानी ने तमिलनाडु के रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र से IUML के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह जीत कई मायनों में ऐतिहासिक थी। पहली बार 1957 के बाद तमिलनाडु से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का कोई नेता लोकसभा में पहुंचा। एस.एम. मोहम्मद शरीफ (पेरियाकुलम) के बाद नवास कानी दूसरे और वर्तमान समय में एकमात्र IUML सांसद हैं जो तमिलनाडु से चुने गए।

    संसद में उनका कार्यकाल अब तक सक्रिय और मुद्दों पर केंद्रित रहा है। नवास कानी को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया, जो देश की स्वास्थ्य नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों पर संसद को सलाह देती है। साथ ही वे शिपिंग मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति में भी सदस्य हैं, जो विशेष रूप से समुद्री गतिविधियों और तटीय क्षेत्रों से जुड़े विषयों पर चर्चा और सुझाव देती है। पूर्व में वे श्रम संबंधी स्थायी समिति (2019-2020) के सदस्य रहे, जहां उन्होंने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों को उठाया।

    विचारधारा और सामाजिक प्रतिबद्धता

    नवास कानी केवल एक राजनीतिक चेहरा नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक सरोकारों से भी गहराई से जुड़े हैं। वे मानते हैं कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा केवल नारेबाज़ी से नहीं, बल्कि संस्थागत और संवैधानिक हिस्सेदारी से ही संभव है। यही वजह है कि वे हमेशा संसद में शिक्षण संस्थानों, रोजगार योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं में मुस्लिम समुदाय के समावेश की बात करते हैं। उनकी पहल पर रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र में कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड किया गया, ग्रामीण सड़क योजनाओं को गति मिली, और शिक्षा के क्षेत्र में छात्रवृत्ति वितरण में पारदर्शिता लाई गई। वे महिलाओं की शिक्षा और स्वरोजगार को लेकर भी काफी गंभीर हैं।

    कोविड-19 महामारी के दौरान नवास कानी ने अपने संसदीय क्षेत्र में मास्क, सैनिटाइज़र और राशन वितरण के लिए एक स्वयंसेवी नेटवर्क का गठन किया। उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन से समन्वय कर ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई।

    चुनावी राजनीति में रणनीति और सफलता

    नवास कानी की 2019 में जीत IUML के लिए दक्षिण भारत में नई उम्मीद लेकर आई। उन्होंने AIADMK और DMK जैसे बड़े दलों के बीच खुद को एक सशक्त विकल्प के रूप में पेश किया। उनकी छवि एक सौम्य लेकिन असरदार वक्ता की रही है, जिसने धार्मिक मसलों को संतुलन के साथ उठाया और साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे विकासात्मक मुद्दों पर जोर दिया। उनके चुनाव अभियान में युवाओं की भागीदारी काफी देखने को मिली। उन्होंने सोशल मीडिया और डिजिटल प्रचार माध्यमों का प्रभावी उपयोग किया, जिससे वे युवाओं के बीच लोकप्रिय बने। साथ ही, पारंपरिक समुदाय आधारित संपर्क को भी उन्होंने नहीं छोड़ा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पकड़ मजबूत बनी रही।

    अंतर्राष्ट्रीय नजरिया और मुस्लिम दुनिया से संवाद

    IUML हमेशा से मुस्लिम दुनिया के साथ भारत के रिश्तों में दिलचस्पी रखती रही है। नवास कानी ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने अरब देशों के प्रतिनिधियों और दूतावासों के साथ संवाद कायम किया है, विशेषकर प्रवासी भारतीयों के अधिकारों और कल्याण से जुड़े मामलों में। वे हाजी समिति और अल्पसंख्यक मामलों से जुड़े विभिन्न मंचों पर भी सक्रिय रहते हैं।

    चुनौतियां और भविष्य की दिशा

    राजनीति में नवास कानी की सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि वे एक ऐसे राज्य से आते हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं का बंटवारा कई दलों के बीच है। ऐसे में IUML को क्षेत्रीय राजनीतिक वर्चस्व के बीच जगह बनाना कठिन रहा। बावजूद इसके, नवास कानी ने शांतिपूर्ण, नीति-आधारित और मुद्दों पर केंद्रित राजनीति से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। भविष्य की राजनीति में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है। खासतौर से तब, जब देश में धार्मिक ध्रुवीकरण के मुद्दे पर बहस तेज हो और अल्पसंख्यक समुदाय को प्रतिनिधित्व देने की मांग बढ़ रही हो। IUML को नवास कानी जैसे युवा, पढ़े-लिखे और ज़मीन से जुड़े नेताओं की ज़रूरत है, जो 21वीं सदी की राजनीति में संतुलन बना सकें। के. नवास कानी का अब तक का राजनीतिक और सामाजिक सफर यह दिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, शालीनता और नीतिगत प्रतिबद्धता के साथ एक नेता न केवल अपनी पार्टी को मजबूती दे सकता है, बल्कि संसद में जनता की आवाज़ भी बन सकता है। वे तमिलनाडु में IUML की नई उम्मीद हैं, और अगर उनका कार्य इसी दिशा में जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में वे राज्य और केंद्र, दोनों ही स्तरों पर एक प्रभावशाली भूमिका में नज़र आ सकते हैं।

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