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    Home » Politician Misa Bharti Wikipedia: राजनीतिक विरासत की उत्तराधिकारी से जननेता तक का सफर
    राजनीति

    Politician Misa Bharti Wikipedia: राजनीतिक विरासत की उत्तराधिकारी से जननेता तक का सफर

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 22, 2025No Comments6 Mins Read
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    Politician Misa Bharti Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Politician Misa Bharti Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    Misa Bharti Biography: मीसा भारती भारतीय राजनीति में एक चर्चित और प्रभावशाली नाम हैं। जिनकी पहचान सिर्फ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की नेता के रूप में नहीं बल्कि बिहार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने वाली लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की पुत्री के रूप में भी है। उनका जीवन राजनीति, परिवार, शिक्षा, संघर्ष, और आलोचना के साथ-साथ सार्वजनिक सेवा के संकल्प से जुड़ा रहा है। वर्तमान समय में मीसा भारती बिहार के पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से 18वीं लोकसभा की सदस्य हैं। उन्होंने 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी राम कृपाल यादव को हराकर यह सीट जीती थी। इससे पहले मीसा भारती 2016 से 2024 तक राज्यसभा की सदस्य थीं। उनका कार्यकाल 3 जून 2024 को समाप्त हुआ जिसके बाद उन्होंने 4 जून 2024 से लोकसभा सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला। मीसा भारती राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उनकी जीत ने बिहार में महिला नेतृत्व की संभावनाओं को और भी मजबूत किया है।

    प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

    मीसा भारती का जन्म 22 मई वर्ष 1976 में बिहार के एक अत्यंत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में हुआ। वे लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सबसे बड़ी संतान हैं। जो दोनों ही बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे कुल नौ भाई-बहनों सात बेटियां और दो बेटे में सबसे बड़ी हैं। मीसा का नाम अपने आप में एक राजनीतिक प्रतीक है। उनका नाम ‘मीसा’ उन दिनों लगाए गए कुख्यात Maintenance of Internal Security Act (MISA) से लिया गया। जिसके तहत उनके पिता लालू प्रसाद यादव को आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया था। यह नाम ही मीसा भारती के राजनीतिक भविष्य की नींव और उसकी गंभीरता का संकेत देता है।

    शैक्षणिक जीवन और विवाद

    मीसा भारती की स्कूली शिक्षा सामान्य रूप से पूरी हुई लेकिन उनकी उच्च शिक्षा पर कई बार विवाद उठे। 1993 में उन्होंने जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश लिया। यह दाखिला टाटा स्टील (टिस्को) के कोटे के तहत हुआ जबकि मीसा या उनके परिवार का कंपनी से कोई संबंध नहीं था। कहा जाता है कि इस विशेष कोटे का लाभ उनके पिता के राजनीतिक प्रभाव के चलते मिला।

    बाद में सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में स्थानांतरित कर दिया गया। यह स्थानांतरण और परीक्षा में प्रथम आना कई विवादों में घिरा रहा। उन पर आरोप लगे कि उन्होंने परीक्षा में अवैध तरीके से टॉप किया। हालांकि इन आरोपों की पुष्टि किसी न्यायिक निर्णय से नहीं हुई परंतु इसने उनके शैक्षणिक जीवन को हमेशा विवादित बनाए रखा। उन्होंने डॉक्टर बनने के बाद कभी प्रैक्टिस नहीं की और इसे उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों व विवाह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिणाम बताया।

    व्यक्तिगत जीवन

    मीसा भारती का विवाह 10 दिसंबर 1999 को शैलेश कुमार से हुआ जो पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं। यह विवाह उस समय सुर्खियों में रहा जब इसे बिहार की सबसे भव्य शादियों में से एक कहा गया। शैलेश कुमार राजनीति से दूर रहते हैं और सार्वजनिक जीवन में कम दिखाई देते हैं। इस दंपति के तीन बच्चे हैं दो बेटियां और एक बेटा। मीसा अपने परिवारिक जीवन को काफी प्राथमिकता देती हैं और इसे अपने राजनीतिक संतुलन का आधार भी मानती हैं।

    राजनीतिक सफर

    मीसा भारती का राजनीतिक प्रवेश स्वाभाविक था। क्योंकि वे उस परिवार से आती हैं जिसने बिहार की राजनीति को दशकों तक प्रभावित किया है। लेकिन राजनीति में उनका प्रवेश सरल नहीं रहा। उनके लिए यह एक संघर्षमय और आलोचनाओं से भरा सफर था।

    2014 लोकसभा चुनाव पहली राजनीतिक परीक्षा

    मीसा भारती ने 2014 में पहली बार राजनीति में सीधा प्रवेश किया। जब उन्होंने पाटलिपुत्र से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। यह वही क्षेत्र था जहां से उनके पिता लालू प्रसाद कभी चुनाव लड़ते थे। परंतु पहली ही बार में उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा और वे भारतीय जनता पार्टी के राम कृपाल यादव से हार गईं। यह हार उनके लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि राम कृपाल कभी उनके पिता के सबसे विश्वस्त माने जाते थे।

    राज्यसभा सदस्यता (2016)

    2016 में राष्ट्रीय जनता दल ने उन्हें राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया। वे राम जेठमलानी के साथ निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुनी गईं। यह मीसा भारती के राजनीतिक पुनरुत्थान का संकेत था। इस दौरान उन्होंने संसद में अपनी सक्रियता के माध्यम से अपनी भूमिका को मजबूती दी।

    2019 लोकसभा चुनाव पुनः हार

    2019 में मीसा भारती ने फिर से पाटलिपुत्र से किस्मत आजमाई लेकिन उन्हें एक बार फिर राम कृपाल यादव से शिकस्त का सामना करना पड़ा। यह हार भी उनके राजनीतिक आत्मविश्लेषण का कारण बनी।

    2024 लोकसभा चुनाव निर्णायक जीत

    2024 के लोकसभा चुनावों में मीसा भारती ने एक सशक्त वापसी की और पाटलिपुत्र सीट से राम कृपाल यादव को 85,174 वोटों से हराया। यह जीत सिर्फ एक चुनावी सफलता नहीं बल्कि उनकी राजनीतिक दृढ़ता, निरंतरता और जनता के साथ संवाद की जीत थी। इस बार उन्होंने स्थानीय मुद्दों, युवाओं, महिलाओं और किसानों से जुड़े विषयों पर व्यापक संवाद किया और धरातल पर काम किया।

    सामाजिक सरोकार और सार्वजनिक छवि

    मीसा भारती का सामाजिक सरोकार महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, स्वच्छता, और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से जुड़ा रहा है। राज्यसभा सदस्य रहते हुए उन्होंने महिला सशक्तिकरण से संबंधित कई बहसों में भाग लिया और बालिकाओं की शिक्षा के क्षेत्र में भी आवाज़ उठाई। वे सामाजिक मीडिया के ज़रिए युवाओं से संवाद करती रही हैं और अपनी बात बेबाकी से रखती हैं। हालांकि उन पर वंशवाद और पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण विशेष अवसर मिलने के आरोप लगते रहे हैं। परंतु उन्होंने सार्वजनिक सेवा में अपनी छवि गढ़ने का प्रयास लगातार किया है।

    आलोचनाएं और विवाद

    मीसा भारती का करियर शुरू से ही विवादों से घिरा रहा है। उनके दाखिले से लेकर राजनीतिक उभार तक कई बार उन पर पारिवारिक पहुंच और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। इसके अतिरिक्त 2017 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके और उनके पति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की थी। हालांकि बाद में उन्हें राहत मिली लेकिन इससे उनकी राजनीतिक छवि को धक्का लगा।

    मीसा भारती एक ऐसी नेता हैं जो संघर्षों, असफलताओं और आलोचनाओं के बीच खड़ी रहीं और 2024 की निर्णायक जीत के साथ यह सिद्ध किया कि राजनीति सिर्फ विरासत से नहीं चलती बल्कि सतत प्रयास, जनता से जुड़ाव और सेवा भावना से चलती है। उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान परिवार के प्रभाव से आगे बढ़कर स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया है। फिलहाल वे राष्ट्रीय जनता दल की सबसे प्रमुख महिला चेहरा बनकर उभरी हैं। बिहार की राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने और युवाओं को राजनीति से जोड़ने में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

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