
Pratapgarh Tourism (Image Credit-Social Media)
Pratapgarh Tourism
Pratapgarh Tourism: प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन, धार्मिक और कृषि–औद्योगिक जिला है, जो सई, गंगा और गोमती जैसी नदियों की पवित्र धारा से घिरा हुआ है। इतिहास, संत–परंपरा, तीर्थ–परंपरा और समृद्ध कृषि–भूमि के कारण यह जनपद पुरातन भारत से लेकर आधुनिक उत्तर प्रदेश तक अपनी विशेष पहचान बनाता है।
यह जिला धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की जन्मभूमि होने के कारण सनातन परंपरा, वेदांत और धर्मशास्त्रों की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
धर्म और आध्यात्मिक परंपरा
बेल्हा देवी मंदिर (बेल्हा धाम)
प्रतापगढ़ का सबसे प्रमुख धार्मिक केंद्र—मां बेल्हा देवी का मंदिर, जहाँ देवी के शक्तिपीठों से जुड़ी कथाएँ प्रचलित हैं।
यहाँ दशहरा, चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के अवसर पर विशाल मेला आयोजित होता है।
भक्ति धाम, मनगढ़
प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित भक्ति धाम मनगढ़ आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भक्ति–आंदोलन का केंद्र माना जाता है। यहाँ विशाल सत्संग–भवन, भक्ति–शिक्षा केंद्र, राम–कृपालु मंदिर और नियमित आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
बाबा भयहरण नाथ धाम (चरणदह)
शिव–भक्तों का अत्यंत लोकप्रिय तीर्थ। मान्यता है कि यह स्थान ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित प्राचीन शिव–तीर्थ है, जहाँ श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु आते हैं।
घुस्मेश्वर नाथ धाम
पुराणों में वर्णित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में उल्लेखित घुस्मेश्वर परंपरा से जुड़ा यह स्थल पूरे दोआब क्षेत्र का प्रमुख शिव–धाम है।
— हाल के वर्षों में इस स्थल का व्यापक सुंदरीकरण और धार्मिक–पर्यटन विकास किया गया है।
इतिहास और सांस्कृतिक पहचान
प्रतापगढ़ का उल्लेख रामायण, महाभारत और पुराने ग्रंथों में मिलता है।
* ऐसा माना जाता है कि भगवान राम और लक्ष्मण वनगमन के दौरान सई नदी के तट से गुजरे थे।
* यह क्षेत्र कौशाम्बी–प्रयागराज–अयोध्या के बीच का प्राचीन धार्मिक मार्ग भी रहा है।
यहाँ की लोक–संस्कृति, लोकगीत, ब्रजभाषा–अवधी मिश्रित बोली और संत परंपरा ने इसे सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बनाया है।
– प्रतापगढ़ को “बेल्हा नगरी” का नाम भी इसी सांस्कृतिक–धार्मिक परंपरा के कारण मिला है।
कृषि, उद्योग और आधुनिक आर्थिक पहचान
प्रतापगढ़ पूरे देश में आंवला (Amla) उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
भारत के सर्वाधिक आंवला–उत्पादक जिलों में यह अग्रणी है—
* यहाँ का आंवला ताज़ा, उच्च–गुणवत्ता वाला और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
* प्रतापगढ़ का आंवला मुरब्बा, आंवला कैंडी, आंवला जूस और अन्य प्रोसेस्ड उत्पाद देश–विदेश में निर्यात होते हैं।
* ODOP (One District One Product) योजना के तहत प्रतापगढ़ को औपचारिक रूप से “आंवला जिला” घोषित किया गया है।
इसके अलावा—
* सरसों, धान, सब्ज़ियों और दलहन की बंपर पैदावार
* खाद–बीज, ट्रांसपोर्ट, आंवला–प्रोसेसिंग और कृषि–उद्यम तेजी से उभर रहे हैं
– प्रतापगढ़ पूर्वांचल का एक उभरता हुआ एग्रो–इंडस्ट्रियल हब बन रहा है।
प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक–पर्यटन मार्ग
प्रतापगढ़ में कई प्राकृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल आधुनिक पर्यटन के लिए विकसित किए जा रहे हैं—
प्रमुख स्थल
* बेल्हा देवी मंदिर
* भक्ति धाम, मनगढ़
* बाबा भयहरण नाथ धाम
* घुस्मेश्वर नाथ शिव धाम
* अमृत जल–तट और सई नदी किनारे के हालिया सौंदरीकरण स्थल
* करेला झील और अन्य जल–पक्षी स्थल (इको–टूरिज्म के नए केंद्र)
आधुनिक–पर्यटन विकास
– प्रतापगढ़ को “अयोध्या–प्रयागराज धार्मिक सर्किट” में जोड़ते हुए एक नया कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है।
– मनगढ़ को अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।
– आंवला–उद्योग से जुड़े प्रोसेसिंग पार्क और कृषि–टूरिज्म मॉडल गाँव स्थापित किए जा रहे हैं।
पहुंच मार्ग
* NH–931, NH–330, NH–31, UPSH–36
* प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन
* प्रयागराज एयरपोर्ट – 75 किमी
* चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट, लखनऊ – 144 किमी
* लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट, वाराणसी – 137 किमी


