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    Home » Prayagraj Tourism: त्रिवेणी संगम की दिव्यता, करीब से जाने प्रयागराज को
    Tourism

    Prayagraj Tourism: त्रिवेणी संगम की दिव्यता, करीब से जाने प्रयागराज को

    Janta YojanaBy Janta YojanaDecember 7, 2025No Comments4 Mins Read
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    Prayagraj Tourism (Image Credit-Social Media)

    Prayagraj Tourism

    Prayagraj Tourism: प्रयागराज, जिसे प्राचीन ग्रंथों में प्रयाग और तीर्थराज कहा गया है, भारत के सबसे पवित्र नगरों में से एक है। यह वही स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और गुप्त सरस्वती का दिव्य संगम है। यही त्रिवेणी संगम हिंदू धर्म में मोक्ष–दायी स्थल माना गया है।

    यह शहर सदियों से आध्यात्मिकता, दर्शन, विद्या, साहित्य, राजनीति और संस्कृति का केंद्र रहा है। यह देश का एकमात्र नगर है जहाँ माघ मेला (हर वर्ष), कुम्भ (हर 6 वर्ष) और महाकुम्भ (हर 12 वर्ष) जैसे विश्व–महत्त्वपूर्ण आयोजन होते हैं, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं।

    धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

    त्रिवेणी संगम

    संगम का दर्शन, नौकाविहार, पवित्र स्नान और संगम तट पर किए जाने वाले अनुष्ठान, प्रयागराज को विश्व पर्यटन के केंद्र में स्थापित करते हैं।

    यहां आधुनिक सुविधाओं जैसे LED आरती घाट, क्रूज सेवा और पर्यटन मार्गदर्शन केंद्रों का विकास हाल के वर्षों में तेज़ी से हुआ है।

    लेटे हनुमान जी मंदिर

    संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान जी का मंदिर—जहाँ हनुमान जी लेटी हुई अवस्था में विराजते हैं—प्रयागराज का अद्वितीय और अत्यंत प्रसिद्ध तीर्थ है।

    अलोपी देवी मंदिर

    यह देवी–स्थल भारत के उन कुछ शक्तिपीठों में से एक है जहाँ मूर्ति की बजाय अलोकिक शून्य–स्थल (अलोपी पीठ) की पूजा होती है।

    ललिता देवी मंदिर

    यह भी शक्तिपीठ माना जाता है और स्थानीय श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत पूजनीय है।

    श्रृंगवेरपुर

    गंगा तट पर स्थित यह स्थान निषादराज गुह के राज्य का प्राचीन केंद्र माना जाता है।

    मान्यता है कि यहीं निषादराज ने भगवान राम को गंगा पार कराई थी।

    इतिहास, कला और स्थापत्य

    प्रयागराज किला (इलाहाबाद किला)

    सम्राट अकबर द्वारा 1583 में निर्मित यह किला संगम के पास स्थित है, जहाँ—

    * अशोक स्तंभ

    * सरस्वती कुआँ

    * पातालपुरी मंदिर

    आज भी प्रमुख आकर्षण हैं।

    खुसरो बाग

    मुगलकालीन स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना—जहाँ सलीम के पुत्र खुसरो और परिवार के मकबरे स्थित हैं।

    चंद्रशेखर आज़ाद पार्क (अल्फ्रेड पार्क)

    स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख इतिहास यहाँ दर्ज है।

    यहीं अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेजों से अंतिम संघर्ष किया था।

    आनंद भवन एवं नेहरू–परिवार का इतिहास

    प्रयागराज भारत की राजनीति और स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र रहा है—

    * आनंद भवन

    * स्वराज भवन

    यहाँ के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं (इन्हें चाहें तो आप अपने लेख में शामिल कर सकते हैं)।

    शिक्षा और सांस्कृतिक पहचान

    प्रयागराज भारत की शैक्षणिक राजधानी भी रहा है।

    * इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1887) — पूर्वी भारत का “ऑक्सफोर्ड” कहा जाता है।

    * मोटिलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT)

    * इस्लामिया कॉलेज

    * सरकारी व निजी शिक्षण संस्थानों का बड़ा नेटवर्क

    — प्रयागराज प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है।

    उद्योग और आधुनिक पहचान

    प्रयागराज में परंपरागत और आधुनिक दोनों प्रकार के उद्योग विकसित हैं—

    * कृषि–उद्योग (धान, गेहूँ, सब्ज़ियाँ)

    * संगम और religious-tourism आधारित उद्यम

    * बुनाई, लकड़ी, फर्नीचर उद्योग

    * शिक्षा–सेवा आधारित बिज़नेस

    * हाल के वर्षों में संगम तट पर विकसित क्रूज, रोपे–वे, LED घाट और स्मार्ट–सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर ने पर्यटन को नई पहचान दी है।

    प्रमुख पर्यटक स्थल

    * त्रिवेणी संगम

    * लेटे हनुमान जी मंदिर

    * अलोपी देवी मंदिर

    * ललिता देवी मंदिर

    * श्री अखिलेश्वर महादेव

    * श्रृंगवेरपुर

    * खुसरो बाग

    * मिंटो पार्क (मदन मोहन मालवीय पार्क)

    * प्रयागराज फोर्ट

    * चंद्रशेखर आज़ाद पार्क

    * जवाहर तारामंडल

    * संग्रहालय

    * नवीन रामूना ब्रिज

    * सरस्वती घाट (नवीन पर्यटन विकास के साथ उभरता प्रमुख स्थल)

    * कुम्भ मेला थीम–गैलरी और संगम तट का आधुनिक कॉरिडोर

    पहुंच मार्ग

    सड़क मार्ग

    – NH 330, NH 19, NH 30 और NH 35

    रेल मार्ग

    – प्रयागराज जंक्शन

    – प्रयागराज सिटी

    – प्रयागराज छिवकी

    हवाई मार्ग

    – प्रयागराज एयरपोर्ट (बमरौली) – शहर से 10–12 किमी

    – लखनऊ, वाराणसी और कानपुर एयरपोर्ट भी निकट विकल्प हैं

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