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    Home » Rajasthan Kankwari Fort History: वो किला जिसमें औरंगजेब ने अपने भाई को कैद करके रखा था, आइए जानते हैं इसका पूरा इतिहास
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    Rajasthan Kankwari Fort History: वो किला जिसमें औरंगजेब ने अपने भाई को कैद करके रखा था, आइए जानते हैं इसका पूरा इतिहास

    By February 15, 2025No Comments6 Mins Read
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    Rajasthan Kankwari Kila Ka Itihas

    Rajasthan Kankwari Kila Ki Kahani: भारत अपने ऐतिहासिक किलों और विरासत स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं किलों में से एक है कांकवाड़ी किला, जो राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह किला अपने अद्वितीय स्थापत्य, ऐतिहासिक घटनाओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। इस लेख में हम कांकवाड़ी किले के इतिहास, स्थापत्य, किले में घटी महत्वपूर्ण घटनाओं और उसके वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

    किले का भूगोलिक स्थिति और महत्व

    कांकवाड़ी किला राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है। यह किला अरावली पर्वतमाला के ऊँचाई पर स्थित है, जिससे यहाँ से आसपास के पूरे क्षेत्र का भव्य दृश्य दिखाई देता है। किला सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग और युद्ध के दौरान रणनीतिक स्थान के रूप में कार्य करता था।

    इस किले के नीचे एक झील स्थित है, जो सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए आश्रय स्थल बन जाती है। किले में बहुत सारे कमरे और दालान हैं जो दीवारों पर बने डिज़ाइन और नक्काशी से खूबसूरती से बनाए गए हैं। दीवारों पर डिज़ाइन उकेरे गए हैं जिन्हें रंगीन तरीके से रंगा गया है। कमरों के अलावा खुली जगहें, बालकनी और खुली गैलरी हैं जहाँ से कोई भी ताज़ी प्राकृतिक हवा और आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकता है। ऊपर से देखने पर कहीं भी शहर की अराजकता की झलक नहीं दिखती। इसके अलावा, किले के भीतर प्रवेश करने पर चारों तरफ खजूर के पेड़ दिखाई देते हैं। मुगलकाल में खजूर का सेवन शारीरिक रूप से ताकतवर बने रहने के लिए किया जाता था, जिससे यह परंपरा किले के आसपास भी देखी जा सकती है।

    कांकवाड़ी किले का निर्माण

    आमेर के राजा जयसिंह द्वितीय ने 17वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण करवाया था। अलवर के संस्थापक महाराजा प्रताप सिंह ने कांकवाड़ी किले का पुनर्निर्माण करवाया था।वे खुद यहां छह माह तक रहे थे।

    इस किले में मुगल स्थापत्य कला की झलक भी देखने को मिलती है। औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को इस किले में धोखे से कैद कर रखा था। बाद में उसकी हत्या भी करवा दी थी।किले को मुख्य रूप से सामरिक दृष्टि से तैयार किया गया था ताकि यह क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखने में सहायक हो।

    औरंगजेब और दारा शिकोह की कहानी

    कांकवाड़ी किले का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संदर्भ तब आता है जब शाहजहाँ और उनकी बड़ी बहन जहाँआरा चाहते थे कि शाहजहाँ के शासनकाल के बाद दाराशिकोह अगला उत्तराधिकारी बने। हालाँकि, दूसरा बेटा मुही-उद-दीन-मुहम्मद (जिसे औरंगजेब के नाम से जाना जाता है) इससे खुश नहीं था क्योंकि वह अगला उत्तराधिकारी बनना चाहता था।

    इसलिए औरंगजेब ने अपनी गद्दी पाने के लिए अपने भाई दाराशिकोह को कांकवारी किले में कैद कर लिया। औरंगजेब ने अपने भाई को कैद करने के लिए इस किले को इसलिए चुना क्योंकि यह उसके हिसाब से दिल्ली से उचित दूरी पर था. 1658 में, जब औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को कैद कर सत्ता हथिया ली, तब उसने दारा शिकोह को कई महीनों तक इस दूरस्थ किले में कैद रखा। यहाँ पर दारा शिकोह को अत्यंत कठिन परिस्थितियों में रखा गया था, और अंततः उसे आगरा ले जाया गया, जहाँ उसकी हत्या कर दी गई।ऐसा माना जाता है कि दारा शिकोह की गतिविधियों की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह भाग न जाए, लगभग हज़ारों सैनिकों को चौबीसों घंटे किले में रहने का आदेश दिया गया था।

    स्थापत्य और वास्तुकला

    किले की वास्तुकला राजपूत और मुगल शैली का मिश्रण है। किले में मजबूत दीवारें, ऊँचे बुर्ज, गुप्त मार्ग और विशाल आंगन हैं। यहाँ स्थित महल, सैनिक बैरक, पानी के कुंड और प्राचीन मंदिर इसकी ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाते हैं।

    कंकवारी किला तब तक दिखाई नहीं देता जब तक आप वास्तव में इसके आधार तक नहीं पहुंच जाते, एक समय पर ड्राइव करना लगभग निरर्थक लगता है।

    किले का सामरिक महत्व

    किले का स्थान इसे एक बेहतरीन रक्षा स्थल बनाता था। अरावली पर्वतमाला की ऊँचाइयों पर स्थित होने के कारण, यह किसी भी आक्रमण से सुरक्षित रहता था। यहाँ से सैनिक पूरे क्षेत्र पर नज़र रख सकते थे और संभावित खतरे को पहले ही भांप सकते थे।

    पर्यटकों के लिए प्रतिबंध और यात्रा सुविधा

    कांकवाड़ी किले में आम शहरवासियों और पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। यहाँ प्रवेश करने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है और रिजर्व अधिकारियों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होता है। इस कारण बहुत कम लोग इस किले तक पहुँच पाते हैं।

    किले तक पहुँचने वाली सड़क के दोनों ओर पहाड़ और घना जंगल है। यह किला पूरी तरह से जंगल से घिरा हुआ है और इसका पिछला भाग अत्यंत सघन वन क्षेत्र में स्थित है। किले तक पहुँचने के लिए जंगल सफारी (जिप्सी) की सुविधा उपलब्ध है। यह किला जंगल के अंदर लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इसलिए पर्यटकों के लिए यह अत्यधिक सुझाव दिया जाता है कि वे अपने साथ कैमरा, भोजन और पानी अवश्य लेकर जाएँ, क्योंकि यह स्थान अत्यधिक दूरस्थ है।

    ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

    ब्रिटिश शासन के दौरान इस किले का उपयोग अधिक नहीं किया गया। हालांकि, यह किला स्थानीय क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए एक छिपने का स्थान बना।

    भारत की स्वतंत्रता के बाद यह किला उपेक्षित हो गया और धीरे-धीरे खंडहर में बदलने लगा।

    वर्तमान स्थिति और पर्यटन

    वर्तमान में, कांकवाड़ी किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के अंदर होने के कारण यह किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है। यहाँ पर जाने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है, क्योंकि यह एक संरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। किला अब भी अपने प्राचीन वैभव की झलक दिखाता है और इतिहास प्रेमियों के लिए एक शानदार स्थान है।किला अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है, लेकिन इसकी देखभाल की कमी के कारण यह धीरे-धीरे खंडहर में बदल रहा है। किले तक पहुँचने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है, और यह क्षेत्र घने जंगल से घिरा हुआ है।किले तक पहुँचने के लिए जंगल जिप्सी की सुविधा उपलब्ध है। किला जंगल के अंदर लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अत्यधिक सुझाव दिया जाता है कि आप अपने साथ कैमरा, भोजन और पानी ले जाएँ क्योंकि यह स्थान एक दूरस्थ स्थान पर है।

    कांकवाड़ी किला राजस्थान के गौरवशाली अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी दीवारों में समाहित इतिहास, वीरता और संघर्ष की गाथाएँ आज भी जीवंत प्रतीत होती हैं। मुगलकालीन सत्ता संघर्ष से लेकर वर्तमान पर्यटन स्थल के रूप में इसका महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इस किले का सही संरक्षण किया जाए, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुमूल्य धरोहर बना रहेगा।

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