Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • मालेगांव केस में BJP का Congress पर तीखा हमला! कहा – राहुल-सोनिया अब हिंदुओं से मांगे माफी
    • समोसे की ‘साइज’ पर भड़के रवि किशन, लोग बोले- बस अब यही बचा है, धड़ल्ले से वायरल हो रहा वीडियो
    • प्रियंका गांधी का तीखा वार, बोलीं: मोदी ने इतने दोस्त बनाए, बदले में क्या मिला
    • पहले मुझसे निपट लो, PM को कहां बुलाओगे? अमित शाह ने कांग्रेस को ललकारा
    • जब सिंदूर ही उजड़ गया तो नाम क्यों रखा ‘ऑपरेशन सिंदूर’? संसद में जया बच्चन का फूटा गुस्सा!
    • Kolhapuri Chappals Markets: कोल्हापुरी स्टाइल बनी आज की यूथ की पहली पसंद, जानिए भारत के प्रमुख कोल्हापुरी चप्पल बाज़ार
    • Sahasralinga Temple Story: शलमाला नदी में बसा सहस्रलिंग मंदिर, जहां जल में छिपे हैं हजारों शिवलिंग
    • Sri Padmanabhaswamy Temple: केरल का ऐतिहासिक और रहस्यमयी मंदिर
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Rani Rupmati Ki Prem Kahani: रानी रूपमती और बाज़ बहादुर की अधूरी और दर्दनाक प्रेम कहानी
    Tourism

    Rani Rupmati Ki Prem Kahani: रानी रूपमती और बाज़ बहादुर की अधूरी और दर्दनाक प्रेम कहानी

    By December 9, 2024No Comments9 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    रानी रूपमती और बाज़ बहादुर की अधूरी और दर्दनाक प्रेम कहानी: Photo- Social Media

    Rani Rupmati ki Prem Kahani: मध्यकालीन भारत में मालवा राज्य का मांडू, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों का गढ़ था। इसी मांडू में पनपी एक अनूठी और हृदयस्पर्शी प्रेम कहानी, जो इतिहास के पन्नों में आज भी जीवित है। यह कहानी है मालवा के अंतिम स्वतंत्र शासक बाज़ बहादुर और उनकी प्रेमिका, सुरीली आवाज़ वाली रानी रूपमती की। इस कहानी में मोहब्बत, त्याग और अंत में एक त्रासदी है, जिसमें अकबर और मुग़ल सेना का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

    मांडू का ऐतिहासिक किला

    मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित मांडू का किला भारतीय वास्तुकला और प्राकृतिक सुंदरता का अद्वितीय नमूना है। विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित यह किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। यह किला मालवा सल्तनत की शान था, जहां पानी के अद्भुत जलाशय, जामी मस्जिद, जहाज़ महल, हिंडोला महल और रानी रूपमती मंडप जैसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं।

    रानी रूपमती मंडप एक ऊँची जगह पर स्थित है, जहां से नर्मदा नदी का दृश्य दिखाई देता है। कहा जाता है कि रानी रूपमती को नर्मदा से बहुत लगाव था। वह प्रतिदिन अपने ईष्ट देवी के लिए नर्मदा नदी को निहारती थीं। मांडू का किला और इसके भव्य स्मारक बाज़ बहादुर और रानी रूपमती की अमर प्रेम गाथा का प्रतीक बन गए हैं।

    रानी रूपमती और बाज़ बहादुर की पहली मुलाकात

    इतिहास के अनुसार रानी रूपमती राज्य के किसान की बेटी थीं, जो कि गाना गाया करती थीं। रानी बिल्कुल अपने नाम की तरह ही खूबसूरत और गुणी थीं। एक बार राजा ने उन्हें अपने दरबार में बतौर गायिका बुलाया, वहीं दोनों के बीच प्यार की शुरुआत हुई। उनकी सुरीली आवाज़ ने चारों दिशाओं में प्रसिद्धि पाई। बाज़ बहादुर, जो संगीत और कला के प्रेमी थे, ने पहली बार रूपमती को एक जलसा करते हुए सुना। उनके संगीत से प्रभावित होकर, बाज़ बहादुर ने रूपमती से मिलने की इच्छा व्यक्त की।

    रूपमती की आवाज़ और उनकी खूबसूरती ने बाज़ बहादुर का दिल जीत लिया। वह रूपमती को अपने किले, मांडू, में लाने के लिए उत्सुक थे। लेकिन रूपमती ने एक शर्त रखी कि जब तक वह नर्मदा नदी को देख नहीं लेंगी, तब तक वह मांडू नहीं आएंगी। बाज़ बहादुर ने उनके लिए मांडू किले में एक ऊँचा मंडप बनवाया, जिसे आज ‘रूपमती मंडप’ के नाम से जाना जाता है।

    बाज बहादुर की सल्तनत का दायरा बढ़ा

    1555 में बाज बहादुर और रानी रूपमती ने मुस्लिम और हिंदू परंपराओं के अनुसार विवाह किया और उनकी मोहब्बत समय के साथ और गहरी होती गई। बाज बहादुर रूपमती के प्रति इतना समर्पित थे कि उन्होंने धीरे-धीरे शासन के कार्यों से खुद को दूर कर लिया। इस दौरान शेरशाह सूरी के बेटे, सलीम शाह सूरी, ने अपने साम्राज्य को विस्तार देने की योजनाएँ बनानी शुरू कर दीं।

    सलीम शाह सूरी के शक्तिशाली सेनापति दौलत खान ने मालवा पर अधिकार करने के इरादे से बाज बहादुर पर हमला किया। लेकिन बाज बहादुर ने वीरता से मुकाबला करते हुए न केवल दौलत खान को हराया, बल्कि उसका वध कर दिया। दौलत खान का सिर सारंगपुर के किले के द्वार पर लटका दिया गया और बाज बहादुर ने अपने राज्य के उन हिस्सों को फिर से हासिल कर लिया, जिन पर दौलत खान ने कब्जा कर लिया था।

    हालांकि, इस सफलता के बाद बाज बहादुर पूरी तरह संगीत, कला, और विलासिता में डूब गए। उन्होंने राज्य के प्रशासनिक कार्यों से ध्यान हटा लिया, जिससे साम्राज्य में अव्यवस्था फैलने लगी। अधिकारियों और सामंतों ने जनता पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।

    इन घटनाओं की खबर मुग़ल सम्राट अकबर तक पहुँची। अकबर, जो अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे, ने मालवा की बिगड़ती स्थिति को एक अवसर के रूप में देखा। यही वह समय था जब अकबर ने मालवा पर कब्जा करने की योजना बनाई, जो अंततः बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के दुखद अंत की ओर ले गई।

    प्रेम और संगीत का साम्राज्य

    बाज़ बहादुर और रूपमती का प्रेम समय के साथ गहराता गया। दोनों ने संगीत को अपने प्रेम का माध्यम बनाया। बाज़ बहादुर खुद भी एक कुशल संगीतकार थे और रूपमती उनकी संगिनी बनीं। मांडू में संगीत और प्रेम का साम्राज्य था। किले की दीवारों से लेकर पहाड़ियों तक, हर जगह उनकी मोहब्बत की गूँज सुनाई देती थी।लेकिन इस प्रेम कहानी का अंत उतना ही दुखद था, जितना कि यह शुरुआत में सुखद।

    अकबर की भूमिका और मुग़ल सेना का हमला

    मालवा की भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक महत्व ने इसे मुग़ल साम्राज्य की निगाह में ला दिया। जब अकबर ने भारत में अपने साम्राज्य को विस्तार देना शुरू किया, तो मालवा पर कब्जा करना उसकी रणनीतिक योजनाओं का हिस्सा बन गया।

    1561 में अकबर ने अपने सेनापति आदम खान को मांडू पर आक्रमण करने का आदेश दिया। आदम खान की सेना विशाल और सुसज्जित थी, जबकि बाज़ बहादुर की सेना तुलनात्मक रूप से छोटी और कमजोर थी। मांडू का किला भले ही मजबूत था। लेकिन बाज़ बहादुर की सेना मुग़लों के सामने टिक नहीं पाई।आक्रमण के समय, बाज़ बहादुर और उनकी सेना ने वीरता से लड़ाई लड़ी। लेकिन अंततः हार गए। बाज़ बहादुर को किला छोड़कर भागना पड़ा। मांडू पर मुग़ल सेना का कब्जा हो गया।

    रानी रूपमती का बलिदान

    राजा के युद्ध हारते ही अकबर की सेना रानी रूपमती को लेने के लिए निकल पड़ी,मुग़ल सेना के मांडू पर कब्जा करने के बाद, आदम खान की निगाह रानी रूपमती पर पड़ी। उसकी खूबसूरती और संगीत के चर्चे उसने सुन रखे थे। वह रानी को बंदी बनाना चाहता था। लेकिन रानी को जैसे ही इस बात की भनक लगी उन्होंने हीरा निगल कर अपने प्राण त्याग दिए।

    इस प्रकार रानी रूपमती ने अपने प्रेम और सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए। उनका बलिदान इतिहास में अमर हो गया। बाज़ बहादुर, जिन्होंने इस त्रासदी को देखा, अपने प्रेम को बचाने में असमर्थ रहे। बाद में उन्होंने अकबर की शरण ली और एक साधारण जीवन जीते हुए अपने दिनों को पूरा किया।

    मांडू के किले का सांस्कृतिक महत्व

    मांडू का किला आज भी बाज़ बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी का गवाह है। यह किला मध्यकालीन भारत के वास्तुशिल्प और कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। किले के अंदर स्थित रूपमती मंडप, बाज़ बहादुर का महल और अन्य संरचनाएँ उस युग की भव्यता और रोमांस को जीवंत करती हैं।

    यह किला सिर्फ एक प्रेम कहानी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उस दौर की राजनीतिक और सांस्कृतिक जटिलताओं का भी गवाह है। मांडू आज भी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

    बाज़ बहादुर और रानी रूपमती की कहानी का महत्व

    बाज़ बहादुर और रानी रूपमती की कहानी न केवल एक प्रेम गाथा है, बल्कि यह मानवीय मूल्यों, त्याग और स्वाभिमान की मिसाल है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे प्रेम और संगीत की दुनिया राजनीति और युद्ध की कठोरता के सामने टिक नहीं पाई।

    अकबर के साम्राज्य विस्तार की नीतियों ने कई राज्यों की स्वतंत्रता को छीन लिया, और मांडू भी उनमें से एक था। लेकिन मांडू की दीवारों में आज भी वह प्रेम गूँजता है, जो इतिहास में अमर हो गया है।

    अकबर पर पड़ा गहरा असर

    इस घटना ने बादशाह अकबर पर गहरा प्रभाव डाला, उसका पश्चाताप करने के लिए बादशाह ने 1568 में एक मकबरे का निर्माण करवाया। जहां राजा बाज बहादुर के मकबरे पर आशिक-ए-सादिक और रूपमती की समाधि पर शहीद-ए-वफा लिखवाया। कुछ इस तरह से इस प्रेम कहानी के खत्म होने का कारण बादशाह अकबर रहे।

    रानी रूपमती का महल

    रानी रूपमती का महल, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। महल से नर्मदा नदी का लुभावना दृश्य दिखता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि रानी रूपमती प्रतिदिन मां नर्मदा के दर्शन और पूजा के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करती थीं।

    इस बलुआ पत्थर से निर्मित संरचना को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि रानी अपने निवास से ही नदी के दर्शन कर सकें। यह बाज बहादुर द्वारा रानी से किए गए वादे का प्रतीक है। महल की वास्तुकला में मुगल और मालवा शैलियों का अद्भुत समन्वय है, जो उस समय के सांस्कृतिक मेलजोल को दर्शाता है।

    बाज बहादुर का महल

    कुछ ही दूरी पर स्थित बाज बहादुर का महल, कला और संगीत के प्रति सुल्तान के प्रेम का प्रमाण है। 16वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित यह महल अपनी विशाल प्रांगण, भव्य हॉल और अद्वितीय वास्तुकला के लिए जाना जाता है। महल के मुख्य हॉल में बड़े मेहराब और प्रभावशाली ध्वनिकी हैं, जो कभी संगीत और कविता के लिए गूंजते थे। यह वही स्थान था जहां बाज बहादुर और रानी रूपमती अपने प्रेम के पलों को साझा करते थे।महल का डिज़ाइन सादगी और सुंदरता का अनूठा संगम है। इसके बड़े आंगन और अनेक कमरे उस युग की भव्यता को प्रतिबिंबित करते हैं। इसमें राजपूत और मुगल स्थापत्य शैलियों का मेल, उस समय के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है।

    रानी रूपमती और बाज बहादुर के ये महल उनकी कालजयी प्रेम कहानी के मूक साक्षी हैं। ये मांडू की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित रखते हैं और आगंतुकों को प्रेम, भक्ति और शौर्य की याद दिलाते हैं।

    मांडू आने वाले यात्रियों के लिए रानी रूपमती और बाज बहादुर के महल देखना एक अविस्मरणीय अनुभव है। जैसे ही सूरज इस प्राचीन शहर के ऊपर ढलता है, पत्थर की संरचनाएं सुनहरी आभा से दमकने लगती हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो इन दीवारों में कभी प्रेम के गीत गूंजते थे और उनका प्यार अब भी यहां की हर एक ईंट में जीवित है।मांडू के अन्य आकर्षणों में जहाज महल, हिंडोला महल और रूपमती मंडप के सुंदर बगीचे शामिल हैं। ये ऐतिहासिक स्थल मांडू की भव्यता को और बढ़ाते हैं और इस शहर को भारत की सांस्कृतिक धरोहर में एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं।

    बाज़ बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। मांडू का किला, उनका प्रेम और रानी रूपमती का बलिदान सब मिलकर इस कहानी को जीवंत बनाए रखते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम के लिए समर्पण और सम्मान कितना महत्वपूर्ण है, भले ही इसके लिए कितने ही बलिदान क्यों न देने पड़ें।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleKumbhalgarh Kile Ka Itihas: एक ऐसा किला जिसे कभी जीत नहीं जा सका, दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है यहाँ पर
    Next Article 14.10 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान के साथ 2024 बना इतिहास का सबसे गर्म साल

    Related Posts

    Kolhapuri Chappals Markets: कोल्हापुरी स्टाइल बनी आज की यूथ की पहली पसंद, जानिए भारत के प्रमुख कोल्हापुरी चप्पल बाज़ार

    July 30, 2025

    Sahasralinga Temple Story: शलमाला नदी में बसा सहस्रलिंग मंदिर, जहां जल में छिपे हैं हजारों शिवलिंग

    July 30, 2025

    Sri Padmanabhaswamy Temple: केरल का ऐतिहासिक और रहस्यमयी मंदिर

    July 30, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.