
थेम्स नदी के मुहाने से लगभग 6 से 7 किलोमीटर समुद्र के बीचों-बीच खड़े विशाल लोहे के किले पहली नज़र में किसी हॉरर फिल्म का सेट जैसा एहसास देते हैं। समुद्र की लहरों के थपेड़ों और तेज़ हवाओं के बीच अकेले खड़े ये टावर मानो सदियों पुराने किसी राज को बयां कर रहे हों। लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा रोमांचक है। ब्रिटेन के ये रेड सैंड्स फोर्ट सिर्फ धातु के ढांचे नहीं हैं, बल्कि अपने साथ युद्ध, बहादुरी, डर, बगावत से जुड़ी एक अनोखी विरासत समेटे हुए हैं।
दूसरे विश्व युद्ध की आग में जन्म लेने वाले ये समुद्री किले कभी लंदन की ढाल थे, फिर रेडियो क्रांति के गवाह बने और आज इतिहास बनकर खड़े हैं। इनके बनने की 77 साल पुरानी दास्तां जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही देखने लायक भी है। आइए जानते हैं रेड सैंड्स फोर्ट से जुड़े इतिहास के बारे में विस्तार से –
युद्ध का दौर और समुद्र में किले बनाने का कारण
दूसरा विश्व युद्ध अपने चरम पर था। ब्रिटेन लगातार जर्मन एयरफोर्स के हमलों का सामना कर रहा था। लंदन और कई बड़े शहर बार-बार बमबारी की चपेट में आते थे। स्थिति इतनी गंभीर थी कि ब्रिटिश सेना को जल्द ही यह समझने में देर नहीं लगी कि सिर्फ शहरों की रक्षा करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि दुश्मन को शहर तक पहुंचने से पहले ही रोकना होगा। इसी रणनीति ने समुद्र में ऐसे ठोस और ऊंचे किलों के निर्माण की जरूरत पैदा की, जहां से आने वाले दुश्मन विमानों को समय रहते पहचानकर निशाना बनाया जा सके।
किले कैसे बने और उनमें क्या थी तैनात सैनिकों की भूमिका
साल 1943 में इंजीनियर गाय मॉडसेल की अगुवाई में इन किलों का निर्माण शुरू हुआ। स्टील से बने ये सात टावर समुद्र की सतह से काफी ऊंचाई पर खड़े किए गए ताकि हवा, तूफान और समुद्री लहरें भी उनका कुछ न बिगाड़ सकें। इन टावरों को लोहे के पुलों से जोड़ा गया था, जिन पर सैनिक लगातार चहलकदमी करते रहते थे। इन किलों पर एक समय में करीब 200 से ज्यादा सैनिक तैनात रहते थे। उनका काम दिन-रात आसमान पर नजर रखना था। जैसे ही जर्मन विमान समुद्र की ओर से लंदन की दिशा में बढ़ते, ये किले सबसे पहले उन्हें पहचान लेते थे। कई बार यहां से दागे गए हथियारों ने दुश्मन के विमानों को शहर पहुंचने से पहले ही रोक दिया और इस तरह लंदन को भारी तबाही से बचाया गया। युद्ध खत्म हुआ, लेकिन किलों की कहानी आगे बढ़ती रही।
जब 1945 में युद्ध खत्म हुआ, तब इन किलों की जरूरत कम होने लगी और कुछ ही वर्षों में ब्रिटिश सेना ने इन्हें खाली कर दिया। लेकिन यह कहानी का अंत नहीं था। ये किले अपनी अगली जिंदगी में एक बिल्कुल नए किरदार में सामने आए, ऐसा किरदार जिसने ब्रिटेन के युवाओं को नई पहचान देने के साथ पॉप कल्चर को नई दिशा भी प्रदान की।
पाइरेट रेडियो से कभी ये किले बने थे संगीत का ठिकाना
1960 के दशक में ब्रिटेन में पॉप म्यूजिक की लहर तेजी से फैल रही थी, लेकिन सरकारी रेडियो चैनल सीमित कार्यक्रम ही प्रसारित करते थे। लोग कुछ नया, अलग और ताजा संगीत सुनना चाहते थे। तभी कुछ युवाओं की नजर इन खाली पड़े समुद्री किलों पर गई। उन्होंने तय किया कि जब जमीन पर जगह नहीं मिल रही, तो समुद्र में ही आज़ाद रेडियो चलाया जाए।
यहीं से शुरू हुआ समुद्री रेडियो स्टेशनों का दौर। रेड सैंड्स फोर्ट से शुरू हुआ Radio Invicta जो ब्रिटेन में बेहद लोकप्रिय हुआ था। यह स्टेशन समुद्र के बीच से ऐसा संगीत बजाता था, जिसे सुनने के लिए लाखों श्रोता रेडियो सेटों से चिपके रहते थे। लेकिन 1967 में ब्रिटिश सरकार ने नए नियम लागू किए और बिना लाइसेंस वाले इन ऑफशोर रेडियो स्टेशनों को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। धीरे-धीरे किलों में फिर सन्नाटा छा गया।
जर्जर होने लगे किले और उठी संरक्षण की मांग
कई दशक तक ये किले बिना देखभाल के समुद्री हवाओं, खारे पानी और तूफानों का सामना करते रहे। लोहा जंग खाता गया, संरचनाएं कमजोर पड़ने लगीं और कई हिस्से गिरने की कगार पर पहुंच गए। देखने में ये किले किसी पुराने जहाज के खंडहर जैसे लगने लगे, लेकिन इतिहास की परतें अब भी उनके अंदर जिंदा थीं। 21वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटेन के कुछ इतिहासकारों, पूर्व सैनिकों और इंजीनियरों ने महसूस किया कि यदि अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो यह अनोखी विरासत हमेशा के लिए खो सकती है। इसी सोच के साथ प्रोजेक्ट रेड सैंड की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य इन किलों की मरम्मत, संरक्षण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन्हें सुरक्षित रखना था।
आज कैसे नज़र आते हैं ये समुद्री किले
अगर आज कोई रेड सैंड्स फोर्ट को देखने जाए, तो उसे सबसे पहले समुद्र की लहरों के बीच खड़े विशाल लोहे के टावर नजर आते हैं। चारों ओर हवा की सीटी, नीचे गर्जन करती लहरें, और ऊपर जंग खाती संरचनाएं यह पूरा दृश्य किसी पोस्ट-एपोकैलिप्टिक फिल्म यानी तबाह हो चुकी दुनिया की कहानी जैसा लगता है।
फोटोग्राफर, इतिहास प्रेमी और डॉक्यूमेंट्री मेकर्स यहां आते हैं और हर बार इनकी वीरानी में एक नई कहानी तलाश ले जाते हैं।
रेड सैंड्स फोर्ट सिर्फ लोहे के ढांचे नहीं हैं। ये गौरवशाली इतिहास को बचाने की जिद का प्रतीक हैं। इन किलों ने न केवल लंदन की रक्षा की, बल्कि 1960 के दशक के संगीत आंदोलन को भी नई दिशा दी। आज भले ही इन पर जंग चढ़ चुकी हो, लेकिन समुद्र की लहरों के बीच खड़े ये मौन प्रहरी अब भी ब्रिटेन के इतिहास का एक अनमोल हिस्सा हैं, जो हर लहर के साथ अपनी कहानी दोहराते रहते हैं। पर्यटकों के बीच आज यह जगह एक सुकून भरा पसंदीदा स्थल बन चुकी है।
डिस्क्लेमर: इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है। ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े विवरण अलग-अलग स्रोतों में भिन्न हो सकते हैं।


