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    Sabse Takatvar Dam: पृथ्वी की सबसे ताकतवर डेम, जिसकी वजह से धरती की गति हो गई थी धीमी, आइए जानते हैं थ्री गॉर्जेस डैम को

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 30, 2025No Comments8 Mins Read
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    China Most Powerful Three Gorges Dam

    China Most Powerful Three Gorges Dam

    Three Gorges Dam History: थ्री गॉर्जेस डैम चीन के हुबेई प्रांत में यिचांग शहर के पश्चिम में यांग्त्ज़ी नदी (जिसे चांग जियांग भी कहा जाता है) पर स्थित है। जब 1994 में इस बांध का निर्माण औपचारिक रूप से शुरू हुआ, तब यह चीन का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट था। 2006 में अपने निर्माण के पूरा होने पर यह दुनिया का सबसे बड़ा बांध बन गया। इस बांध और उससे जुड़े जलविद्युत संयंत्र का निर्माण कई चरणों में और कई वर्षों तक चला। 2012 में यह अपनी पूरी विद्युत उत्पादन क्षमता तक पहुँचा। यह बांध महासागरीय मालवाहक जहाजों के आवागमन को संभव बनाता है और जलविद्युत शक्ति भी उत्पन्न करता है। इसे बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भी बनाया गया था, हालांकि इस पहलू पर इसकी प्रभावशीलता को लेकर बहस जारी है।

    थ्री गॉर्जेस डैम का भौतिक विवरण और क्षमता

    थ्री गॉर्जेस डैम एक सीधा शिखर वाला कंक्रीट ग्रैविटी डैम है, जिसकी लंबाई 2,335 मीटर (7,660 फीट) और अधिकतम ऊंचाई 185 मीटर (607 फीट) है। इसके निर्माण में 2.8 करोड़ घन मीटर (3.7 करोड़ घन गज) कंक्रीट और 4,63,000 मीट्रिक टन इस्पात का उपयोग हुआ है। यह डैम क़ुतांग, वू और शीलिंग गॉर्जेस के बड़े क्षेत्रों को लगभग 600 किलोमीटर (375 मील) तक डुबोता है, जिससे एक विशाल गहरे पानी का जलाशय बनता है। यह जलाशय महासागरीय मालवाहक जहाजों को पूर्वी चीन सागर के शंघाई से 2,250 किलोमीटर (1,400 मील) अंदर देश के चोंगछिंग शहर तक पहुँचने की सुविधा देता है।

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    डैम और जलाशय के दोनों सिरों पर बने पांच-स्तरीय शिप लॉक्स के माध्यम से 10,000 टन तक के जहाजों को डैम पार कराने की सुविधा है। इसके अलावा, एक शिप लिफ्ट भी बनाया गया है जो 3,000 टन तक के जहाजों को तेजी से डैम पार करने की सुविधा देता है। 2015 के अंत में पूरा हुआ यह शिप लिफ्ट, जो 120 मीटर (394 फीट) लंबा, 18 मीटर (59 फीट) चौड़ा और 3.5 मीटर (11 फीट) गहरा है, उस समय दुनिया का सबसे बड़ा शिप लिफ्ट था।

    विद्युत उत्पादन क्षमता

    2003 में सीमित स्तर पर जलविद्युत उत्पादन शुरू हुआ और धीरे-धीरे अतिरिक्त टरबाइन जेनरेटर चालू होते रहे। 2012 तक सभी 32 टरबाइन जेनरेटर इकाइयाँ संचालन में आ गईं। इन इकाइयों के साथ, दो अतिरिक्त जेनरेटरों को मिलाकर डैम की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 22,500 मेगावाट हो गई, जिससे यह दुनिया का सबसे अधिक उत्पादन क्षमता वाला जलविद्युत डैम बन गया। वर्ष 2020 में, इस जलविद्युत संयंत्र ने 111.88 टेरावाट-घंटा विद्युत उत्पादन कर वार्षिक उत्पादन का नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया।

    बाढ़ नियंत्रण में भूमिका

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    डैम को यांग्त्ज़ी नदी बेसिन में समय-समय पर आने वाली विनाशकारी बाढ़ों से करोड़ों लोगों को बचाने के उद्देश्य से भी बनाया गया था। हालांकि, इसकी प्रभावशीलता को लेकर बहस होती रही है। 2020 में, चीन ने पिछले तीन दशकों की सबसे भारी बाढ़ का सामना किया, और डैम का जलाशय लगभग अपनी अधिकतम क्षमता तक भर गया, जो 2003 में जल संग्रहण शुरू होने के बाद से उच्चतम स्तर था। अधिकारियों ने दावा किया कि डैम ने बाढ़ से होने वाले नुकसान और जनहानि को कम किया, जबकि आलोचकों ने कहा कि इस भीषण बाढ़ ने डैम की सीमाओं को उजागर कर दिया और इसके बाढ़-नियंत्रण उद्देश्य पर सवाल खड़े कर दिए।

    तकनीकी चमत्कार से वैश्विक चिंता तक

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    दुनिया का सबसे बड़ा बांध माने जाने वाला थ्री गॉर्जेस डैम अब विभिन्न विवादों का केंद्र बनता जा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, इस बांध में विशाल मात्रा में जल संग्रहण के कारण पृथ्वी की गति पर प्रभाव पड़ रहा है। 2005 में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में यह निष्कर्ष सामने आया कि यह बांध पृथ्वी के घूर्णन की गति को धीमा कर रहा है।

    दरअसल, इस विषय पर सबसे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने 2004 में आई विनाशकारी सुनामी के बाद ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने बताया कि थ्री गॉर्जेस डैम के जलाशय के कारण पृथ्वी पर द्रव्यमान वितरण (मास डिस्ट्रीब्यूशन) में परिवर्तन हुआ है, जिससे पृथ्वी के घूमने की क्षमता प्रभावित हुई है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि सुनामी के प्रभाव से पृथ्वी पर एक दिन की लंबाई 2.68 माइक्रोसेकंड घट गई थी।

    थ्री गॉर्जेस डैम के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण और विशाल जलविद्युत उत्पादन था। विशेष रूप से 1954 में यांग्त्ज़ी नदी में आई भयानक बाढ़, जिसमें लाखों चीनी नागरिकों की जान चली गई थी, ने इस परियोजना की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसके बाद चीनी सरकार ने ऐसा शक्तिशाली बांध बनाने की योजना बनाई, जो भविष्य में इस तरह की भीषण बाढ़ों को रोक सके और साथ ही बड़े पैमाने पर बिजली भी उत्पन्न कर सके।

    आज, थ्री गॉर्जेस डैम के भीतर लगे कई जनरेटर संग्रहीत जल की संभावित ऊर्जा का उपयोग कर विद्युत उत्पादन करते हैं, जिससे यह चीन के ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है।

    डेम निर्माण से जुड़े तथ्य और आंकड़े

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    * थ्री गॉर्जेस डैम 610 फुट (लगभग 186 मीटर) ऊंची दीवार होगी, जो एक तट से दूसरे तट तक 1.3 मील (लगभग 2.1 किलोमीटर) तक फैली होगी।

    • इस डैम के जलभराव से बनने वाला जलाशय नदी के ऊपरी हिस्से में 360 मील (लगभग 580 किलोमीटर) तक फैलेगा, जो कैलिफोर्निया राज्य की लगभग आधी लंबाई के बराबर है।

    • एक बार पूरी तरह चालू हो जाने पर, यह बांध 15 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बराबर ऊर्जा का उत्पादन करेगा।

    • परियोजना के 2009 तक पूरा होने का अनुमान है, जिसकी लागत 30 अरब डॉलर से अधिक थी।

    • पिछले 2,000 वर्षों में, यांग्त्ज़ी नदी में 215 विनाशकारी बाढ़ें आ चुकी हैं।

    • 1998 में उस क्षेत्र में आई बाढ़, जिसे डैम के जरिए नियंत्रित किया जाना था, में 4,000 लोग मारे गए, 1.4 करोड़ लोग बेघर हुए और 24 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।

    • थ्री गॉर्जेस डैम के लिए रास्ता बनाने हेतु 15 लाख लोगों को अपने घर छोड़ने होंगे। अब तक 1,60,000 से अधिक नागरिकों को स्थानांतरित किया जा चुका है।

    • डैम पूरा होने के बाद, 1,300 से अधिक ज्ञात पुरातात्विक स्थलों को हमेशा के लिए जलमग्न कर दिया गया.

    • हर साल यांग्त्ज़ी नदी में 265 अरब गैलन से अधिक असंसाधित सीवेज डाला जाता है। अभी तक नदी इस गंदगी को बहाकर समुद्र में ले जाती है, लेकिन डैम पूरा होने पर ये गंदगी जलाशय में एकत्र हो जाएगी।

    विवाद

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    Three Gorges Dam (Image Credit-Social Media)

    प्रकृति और प्रगति के बीच हमेशा संघर्ष रहा है। अधिकांश विकासशील देशों की तरह, चीन ने भी पर्यावरण और उद्योग, संरक्षण और जीविका के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है।

    इस विशाल परियोजना का सबसे विवादास्पद पहलू वह भारी कीमत थी जो सदियों से यांग्त्ज़ी नदी के किनारे बसे ग्रामीणों को चुकानी पड़ी। डैम के विशाल जलाशय के लिए रास्ता बनाने के मकसद से लगभग 14 लाख लोगों को अपने पैतृक घरों से बेदखल कर दिया गया। उनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया, समुदायों को तोड़ दिया गया और उनकी खेती योग्य जमीनें पानी में डूब गईं।

    थ्री गॉर्जेस डैम के निर्माण के कारण जितने लोगों को विस्थापित होना पड़ा, वह संख्या चीन में इसके पहले बनाए गए तीन सबसे बड़े डैमों से विस्थापित हुए लोगों की कुल संख्या से भी अधिक थी। इस जलाशय के बनने से नदी किनारे स्थित दो बड़े शहर, 114 कस्बे और 1,680 गांव जलमग्न हो गए।

    थ्री गॉर्जेस डैम परियोजना देश को स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करने का वादा करती है, जहां वायु प्रदूषण दुनिया में सबसे अधिक है। साथ ही, यह उन विनाशकारी बाढ़ों को नियंत्रित करने की उम्मीद करती है, जिन्होंने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है।

    हालांकि, यह परियोजना दुर्लभ वन्यजीवों, प्राचीन धरोहरों और प्राकृतिक वातावरण के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न करती है, जिसे यह स्वयं बदलने का प्रयास कर रही है।

    थ्री गॉर्जेस डैम (Three Gorges Dam) के निर्माण ने कई फायदे तो दिए हैं, लेकिन इसके गंभीर दुष्परिणाम भी सामने आए हैं। इस डैम के बन जाने से आसपास के क्षेत्रों में भूस्खलन (Mudslide) और भूकंप का खतरा काफी बढ़ गया है, क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही भूकंप-संवेदनशील (Seismic Zone) माना जाता है।

    इसके अलावा, डैम के कारण 300 से अधिक मछलियों की प्रजातियों और कई अन्य जीव-जंतुओं के आवागमन में बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे उनके विकास और अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।

    विशाल जलाशय के जलभराव से कई जंगल, उपजाऊ खेत और मिट्टी के विस्तृत मैदान पानी में समा गए हैं। इससे मिट्टी का कटाव (Erosion) तेज हो गया है और यह गाद (Silt) के रूप में नदी की तलहटी व जलाशय में जमा होने लगी है। परिणामस्वरूप, आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, उपजाऊ मिट्टी के जलाशय में जमा हो जाने से नदियों के किनारे स्थित खेतों की भूमि की उर्वरता (Fertility) में भी भारी गिरावट आई है।

    इतना ही नहीं, इस परियोजना के चलते लगभग 14 लाख लोगों को अपने घर-बार छोड़कर जबरन दूसरी जगहों पर बसाया गया, जिससे बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक विस्थापन (Displacement) हुआ।

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