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    Home » Sahara Desert History: अफ्रीका में सहारा मरुस्थल क्यों और कैसे बना? आइये जानते है
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    Sahara Desert History: अफ्रीका में सहारा मरुस्थल क्यों और कैसे बना? आइये जानते है

    By March 19, 2025No Comments6 Mins Read
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    Sahara Desert History (Photo – Social Media)

    Sahara Desert History (Photo – Social Media)

    Sahara Desert History: सहारा मरुस्थल दुनिया का सबसे बड़ा गरम मरुस्थल है, जो अफ्रीका महाद्वीप(Africa Continent) के उत्तरी भाग में स्थित है। यह लगभग 92 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो इसे अमेरिका जैसे विशाल महाद्वीप के क्षेत्रफल के बराबर बनाता है। सहारा मरुस्थल कई देशों में फैला हुआ है, जिनमें मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, माली, नाइजर, चाड, सूडान और मॉरिटानिया शामिल हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह मरुस्थल कैसे बना और इसके बनने के पीछे क्या कारण हैं? इस लेख में हम सहारा मरुस्थल के बनने की प्रक्रिया, उसके कारण और उसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

    सहारा मरुस्थल बनने के कारण – Causes of the Formation of the Sahara Desert

    1. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

    सहारा मरुस्थल के निर्माण में जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा योगदान रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हजारों साल पहले यह क्षेत्र घास के मैदान और जंगलों से भरा हुआ था। परंतु जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा में कमी आई, जिससे धीरे-धीरे वनस्पतियाँ समाप्त हो गईं और क्षेत्र शुष्क होने लगा।

    2. वायुमंडलीय परिवर्तन और वायुप्रवाह (Atmospheric Changes and Wind Patterns)

    सहारा मरुस्थल के बनने में पृथ्वी के वायुमंडलीय परिवर्तनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सहारा बेल्ट में उच्च दाब क्षेत्र (High Pressure Zone) बनने के कारण यहां वर्षा की संभावना कम होती गई। जब किसी क्षेत्र में उच्च दाब की स्थिति होती है, तो वहां से नमी वाली हवाएं दूर चली जाती हैं, जिससे शुष्कता बढ़ जाती है। सहारा क्षेत्र में भी यही हुआ और यह क्षेत्र धीरे-धीरे मरुस्थल में बदल गया।

    3. पृथ्वी की कक्षा और अक्षीय झुकाव (Orbital Changes and Axial Tilt)

    पृथ्वी की कक्षा (Orbit) और अक्षीय झुकाव (Axial Tilt) में परिवर्तन भी सहारा के निर्माण में सहायक रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की कक्षा में लगभग 23,000 वर्षों के अंतराल में छोटे-छोटे बदलाव होते रहते हैं। जब पृथ्वी का झुकाव अधिक होता है, तो सहारा क्षेत्र में वर्षा अधिक होती है और वहां हरियाली फैलती है। लेकिन जब यह झुकाव कम होता है, तो वर्षा में गिरावट आती है और क्षेत्र फिर से मरुस्थल में बदल जाता है। यह चक्र लाखों वर्षों से चलता आ रहा है।

    4. समुद्री धाराएँ (Ocean Currents)

    अटलांटिक महासागर की समुद्री धाराएँ भी सहारा की शुष्कता को बढ़ाने में सहायक रही हैं। कनारी धारा (Canary Current) ठंडी समुद्री धारा है, जो अफ्रीका के पश्चिमी तट के पास बहती है। यह ठंडी धारा स्थानीय हवाओं से नमी कम कर देती है, जिससे सहारा में वर्षा नहीं होती और वहां सूखा पड़ता है।

    5. वनस्पति और मिट्टी का क्षय (Deforestation and Soil Degradation)

    हजारों वर्षों पहले सहारा क्षेत्र में मनुष्य ने कृषि और पशुपालन किया, जिससे प्राकृतिक वनस्पति धीरे-धीरे कम हो गई। जब वनस्पति कम हो जाती है, तो मिट्टी को पकड़ने के लिए कोई जड़ें नहीं बचतीं, जिससे क्षेत्र और अधिक शुष्क होने लगता है। यह भी एक कारण है कि सहारा का विस्तार होता चला गया।

    कैसे बना सहारा मरुस्थल – How was the Sahara Desert formed?

    1. पुरातन काल (Ancient Era) में हरियाली

    सहारा आज से लगभग 10,000-12,000 वर्ष पहले बहुत हरा-भरा था। यहाँ बड़ी झीलें, घास के मैदान और घने जंगल थे। इस समय को “ग्रीन सहारा” (Green Sahara) या “अफ्रीकन ह्यूमिड पीरियड” (African Humid Period) कहा जाता है।

    2. धीरे-धीरे जलवायु परिवर्तन

    लगभग 5,000-6,000 साल पहले पृथ्वी की जलवायु में बदलाव आना शुरू हुआ। तापमान बढ़ने लगा और वर्षा कम होने लगी। इससे क्षेत्र में धीरे-धीरे वनस्पति समाप्त हो गई और सहारा की मिट्टी सूखने लगी।

    3. मरुस्थलीकरण (Desertification) की प्रक्रिया

    मरुस्थलीकरण एक धीमी प्रक्रिया होती है जिसमें किसी क्षेत्र की जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ इतनी शुष्क हो जाती हैं कि वहां मरुस्थल बनने लगता है। सहारा में भी यही हुआ, और यह विशाल मरुस्थल बन गया।

    4.टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल (Tectonic Activity)

    सहारा मरुस्थल के बनने में प्लेट टेक्टोनिक्स की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। जब अफ्रीकी और यूरेशियन प्लेटें टकराईं, तो इस क्षेत्र में भौगोलिक बदलाव हुए, जिससे हवा और बारिश के पैटर्न में परिवर्तन आया। इससे सहारा क्षेत्र में शुष्क हवाएँ बहने लगीं और धीरे-धीरे यह क्षेत्र रेगिस्तान में बदल गया।

    5.मानसून पैटर्न में बदलाव (Monsoon Shift)

    पुराने समय में सहारा क्षेत्र में अफ्रीकी मानसून का प्रभाव था, जो इसे नमी और वर्षा प्रदान करता था। लेकिन पृथ्वी की धुरी (Earth’s Axial Tilt) में बदलाव के कारण मानसून दक्षिण की ओर खिसक गया, जिससे बारिश कम हो गई और क्षेत्र सूखने लगा।

    6. आधुनिक समय में सहारा का विस्तार

    आज भी सहारा मरुस्थल धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हर साल लगभग 48 किलोमीटर की दर से दक्षिण की ओर फैल रहा है।

    सहारा मरुस्थल के प्रभाव – Effects Of Sahara Desert

    अफ्रीका के देशों की जलवायु पर प्रभाव:- सहारा मरुस्थल के कारण उत्तर अफ्रीका में अत्यधिक गर्मी और शुष्कता बनी रहती है। यहां दिन में तापमान 50°C तक पहुंच सकता है, जबकि रात में तापमान बहुत कम हो सकता है।

    वन्यजीवन और जैव विविधता पर प्रभाव:- हालांकि सहारा में बहुत कम वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं, लेकिन यहाँ कुछ अनोखी प्रजातियाँ भी हैं जो इस कठोर जलवायु में जीवित रहने के लिए अनुकूलित हो गई हैं। इनमें कैमल (ऊंट), फेनेक लोमड़ी, सहारन सिल्वर चींटी और कुछ विशेष प्रकार के सरीसृप शामिल हैं।

    मानव जीवन पर प्रभाव:- सहारा के आसपास रहने वाले जनजातीय समूह जैसे तुआरेग और बेर्बर लोग कठिन परिस्थितियों में जीने के लिए मजबूर हैं। वे आमतौर पर खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं और ऊँटों का उपयोग परिवहन और व्यापार के लिए करते हैं।

    वैश्विक मौसम पर प्रभाव:- सहारा से उड़ने वाली धूल कण (Saharan Dust) अटलांटिक महासागर में पहुंचकर वहां के मौसम को प्रभावित कर सकती है। यह धूल अमेज़न वर्षावनों तक भी पहुंचती है और वहां मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करती है।

    सहारा मरुस्थल वैश्विक प्रभाव – Global Effects Of Sahara Desert

    सहारा मरुस्थल का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया का परिणाम है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी की कक्षा में बदलाव, वायुमंडलीय परिवर्तन और समुद्री धाराओं का योगदान रहा है। यह प्रक्रिया लाखों वर्षों से जारी है और आज भी इसके प्रभाव देखे जा सकते हैं। सहारा का विस्तार जारी है, जिससे अफ्रीका में और अधिक क्षेत्र मरुस्थलीकरण की चपेट में आ सकते हैं। इसे रोकने के लिए ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’(Great Green Wall) जैसी परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य सहारा के दक्षिणी किनारे पर हरियाली को पुनर्जीवित करना है।

    इस प्रकार, सहारा मरुस्थल न केवल अफ्रीका बल्कि संपूर्ण विश्व के पर्यावरण और जलवायु को प्रभावित करता है।

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