Shree Salasar Balaji Mandir History
Shree Salasar Balaji Mandir History: भारत के राजस्थान राज्य के चुरू जिले के सालासर शहर में स्थित यह सालासर बालाजी का मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है,जो प्रभु श्रीराम के भक्त माने जाते हैं। इस मंदिर में हजारों की तादाद में भक्त प्रतिदिन दर्शन को आते हैं। यह मंदिर धार्मिक होने के साथ अपनी स्थापत्य कला का भी परिचय देता है। यहां के हनुमान जी का गोल चेहरा और साथ दाढ़ी मूंछ इस मंदिर को विशेष बनाता है। इस तरह के रूप में पूजे हनुमान जी की पूजा किये जाने वाला यह भारत का एकमात्र मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां हनुमान जी के दर्शन मात्र से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और कई बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।
इस मंदिर में हनुमान जी को प्रसाद के रूप में लड्डू न चढ़ाकर नारियल चढ़ाया जाता है।
हर साल चैत्र और आश्विन पूर्णिमा पर यहां बड़े मेले का आयोजन होता है। वैसे प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को भक्त यहां भगवान के दर्शन करने भारी संख्या में आते हैं। खासकर पूर्णिमा के दिन भक्त यहां स्थित एक प्राचीन वृक्ष पर नारियल बांध कर अपनी मुराद पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर में बालाजी की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर की है।
इसे सिंदूरी रंग में सजाया गया है। साथ ही यह मूर्ति सोने से भी सुसज्जित है। यहां भगवान हनुमान का दिन में कई बार पोशाक बदलकर भव्य श्रृंगार किसा जाता है। गुलाब, मोगरा जैसे फूलों से इनकी झांकी सजाई जाती है। इस मंदिर में भगवान के प्रतिष्ठा के बाद से ही एक अखण्ड दीप प्रज्ज्वलित है।
सालासर बालाजी मंदिर से जुड़ी कथा :
इस मंदिर में इस रूप में पूजे जाने वाले हनुमान जी की एक रोचक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि किसी समय राजस्थान के एक गांव में खेती करते हुए एक किसान को हल से टकराई एक शिला दिखाई दी। जब किसान ने उस जगह की खुदाई की तो उसे वहां से मिट्टी में लथपथ हनुमान जी की एक मूर्ति मिली। उस दिन शनिवार का दिन था और श्रावण महीने की शुक्ल नवमी थी। इस घटना के बारे में किसान ने वहां के लोगों को बताया। इस घटना के बाद ऐसा कहा जाता है कि एक बार बालाजी ने रात में किसान के सपने में आकर इस मूर्ति को चुरू जिले के सालासर स्थान में स्थापित करने की बात कही। उस रात सपने में हनुमान जी दाढ़ी मूंछ वाले रूप में दर्शन दिए थे और इसी रूप में स्थापित करने की बात कही थी । इसलिए इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति दाढ़ी और मूछ वाले रूप में पूजी जाती है।
इस मन्दिर में बालाजी के उस भक्त मोहनदास जी की समाधि भी है जिसके सपने में भगवान ने प्रकट होने की बात कही थी। ऐसी मान्यता है कि भक्त इनके समाधि की पहले दर्शन कर बाद में बालाजी के दर्शन करते हैं। मोहनदास जी द्वारा प्रज्वलित वह अग्नि कुंड जहां धूनी जलाई जाती है आज भी यहां मौजूद है। मान्यता अनुसार अपने दुखों का नाश कर सभी कष्टों के दूर होने की मंशा से भक्त इस अग्नि कुंड की विभूति अपने साथ ले जाते हैं।
सालासर बालाजी कैसे पहुंचें
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां से सालासर धाम लगभग 185 किमी की दूरी पर है। हवाई अड्डे से टैक्सी द्वारा इस स्थल तक पहुंचा जा सकता है।
जोधपुर हवाई अड्डे से भी सालासर टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। जोधपुर से सालासर बालाजी मंदिर की दूरी करीब 283 किमी है।
रेल मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन है। यहां से मंदिर लगभग 27 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्टेशन भारत के कई बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, जयपुर आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस, टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग द्वारा प्रमुख शहरों से यह सालासर बालाजी तीर्थस्थल अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह सालासर धाम राजस्थान के चुरू जिले में जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। राजस्थान के प्रमुख शहरों जैसे जयपुर, उदयपुर और जोधपुर आदि से सालासर पहुंचने के लिए कई निजी बसें भी प्रतिदिन चलाई जाती है।
सालासर बालाजी घूमने का समय :
सर्दियों के दौरान सालासर बालाजी जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। अक्टूबर से मार्च तक यहां मौसम सुहावना रहता है। राजस्थान का चूरू जिला गर्मियों में अपने चरम तापमान में रहता है, जिसमें इस जगह आकर घूमना कठिन होता है।
सालासर धाम में ‘श्री बालाजी मंदिर’ और ‘श्री हनुमान सेवा समिति’ ट्रस्ट द्वारा वहां ठहरने की उचित व्यवस्था की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा भी वहां ठहरने के लिए कई होटल मिल जाएंगे। तो देर किस बात की, सर्दियों के इस मौसम में इस अनोखे हनुमान जी के दर्शन कर मौसम और स्वास्थ्य का भी आनंद उठाएं।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)