Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Bihar Election 2025: बिहार में कांग्रेस का ‘रील कैप्टन’ कौन? राहुल या कोई और? अपने ही भ्रमजाल में फंसी कांग्रेस
    • PM शरीफ ने माना भारत के ऑपरेशन सिंदूर से नूरखान एयरबेस समेत कई ठिकाने हुए तबाह
    • औरंगजेब पर लाखों खर्च: क्या सच में एक साधारण मकबरे पर पर मेहरबान भारत सरकार, आइए जाने कब्र की सियासत
    • टूट गई आम आदमी पार्टी, 13 पार्षदों ने दिया इस्तीफा, फिर बनाई नई पार्टी
    • सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंजूरी के ‘एक्स-पोस्ट-फैक्टो’ रास्ते को अवैध घोषित किया
    • क्या दक्षिण भारत में अब कमल खिलाएंगे शशि थरूर
    • राष्ट्रपति के 14 सवालों का सचः संवैधानिक नैतिकता का पतन
    • सच का सामनाः राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की गाइडलाइंस से ही फैसला दिया
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Sambhal Neja Mela History: नेजा मेला, एक विरासत, एक आस्था, एक विवाद जानिए नेजा मेले की पूरी सच्चाई
    Tourism

    Sambhal Neja Mela History: नेजा मेला, एक विरासत, एक आस्था, एक विवाद जानिए नेजा मेले की पूरी सच्चाई

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 13, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Neza Mela (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Neza Mela (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Sambhal Neja Mela History in Hindi: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले (Sambhal) में एक परंपरा है, जिसे सदियों से निभाया जाता रहा है नेजा मेला (Neza Mela Sambhal)। ये मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक रहा है। परंतु हाल ही में, इस आयोजन को लेकर विवाद गहरा गया है। प्रशासन ने 2025 में मेले की इजाज़त नहीं दी, जिससे समुदाय में असंतोष और बहस का माहौल पैदा हो गया। आखिर क्या है ये नेजा मेला? क्यों होता है इसका आयोजन? और किस मुगल बादशाह की याद इससे जुड़ी है? आइए विस्तार से जानते हैं।

    नेजा मेला क्या है (Sambhal Neja Mela Ka Itihas)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नेजा मेला एक पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे मुख्यतः मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह मेला मुहर्रम (Muharram) के अवसर पर आयोजित होता है। लेकिन इसका स्वरूप पूरी तरह शिया परंपराओं से अलग होता है। इसमें नेजा (भाला या बरछा) को प्रतीकात्मक रूप से सजाया जाता है और जुलूस के रूप में निकाला जाता है। नेजा, बहादुरी और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। यह मेला हजरत इमाम हुसैन (Hazrat Imam Hussain) और उनके साथियों की शहादत की स्मृति में आयोजित होता है, पर इसका विशेष संबंध एक मुगल शहज़ादे से भी जुड़ा है।

    किस मुगल की याद में होता है नेजा मेला

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नेजा मेला विशेष रूप से सैयद सालार मसूद गाजी (Ghazi Saiyyad Salar Masud) से जुड़ा वो विवादित मुद्दा है, जो भारत की उस ऐतिहासिक विडंबना को दर्शाता है, जहां आस्था और इतिहास अक्सर टकरा जाते हैं। एक ओर यह आयोजन समुदाय विशेष की श्रद्धा का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह राष्ट्र की सांस्कृतिक स्मृति और आत्मसम्मान से भी जुड़ा प्रश्न बन गया है। ऐसे में आवश्यक है कि हम इतिहास की सच्चाइयों को स्वीकार करें, परंतु सांप्रदायिक सद्भाव को भी यथासंभव बनाए रखें। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में ‘नेजा मेला’ पर लगे प्रतिबंध से जुड़ी है और यह एक संवेदनशील एवं ऐतिहासिक मुद्दा बन चुका है। आइए इसे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और समकालीन परिप्रेक्ष्य में समझते हैं।

    सैयद सालार मसूद गाजी: इतिहास बनाम लोकविश्वास

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    सैयद सालार मसूद गाजी, जिन्हें गाजी मियां के नाम से भी जाना जाता है, इसका उल्लेख 17वीं सदी के हजियाग्रंथ ‘मीरात-ए-मसूदी’ में मिलता है। जिसे अब्दुर्रहमान चिश्ती ने लिखा। यह ग्रंथ हैगियोग्राफी (धार्मिक संतों की महिमा गाथा) की श्रेणी में आता है, न कि प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज़ में। इस ग्रंथ के अनुसार, वे महमूद गजनवी के भांजे थे और वह 11वीं सदी में भारत आए और भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के प्रचार के उद्देश्य से सैन्य अभियानों में सम्मिलित हुए। हालांकि, मुख्यधारा के फारसी व इस्लामी इतिहासकारों में उनका नाम स्पष्ट रूप से नहीं मिलता, जिससे उनके ऐतिहासिक अस्तित्व और भूमिका पर संशय बना रहता है। फिर भी उत्तर भारत के मुस्लिम समुदायों में उन्हें एक वीर और संत के रूप में श्रद्धा से देखा जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह माना जाता है कि उन्होंने कुछ स्थानों पर लड़ाइयां लड़ीं और मुस्लिम शासन की स्थापना के प्रयास किए। यह मेला मुख्यतः संभल, मुरादाबाद और बहराइच जैसे जिलों में आयोजित होता रहा है।

    हालांकि, हाल के वर्षों में यह आयोजन राजनीतिक और वैचारिक बहस का विषय बन गया है। हिंदू संगठनों का मानना है कि सैयद सालार मसूद गाजी एक विदेशी आक्रांता थे जिन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत पर आघात किया। उनका तर्क है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति की स्मृति में मेला आयोजित करना भारतीय सभ्यता के अपमान के बराबर है।

    प्रशासनिक हस्तक्षेप और वर्तमान स्थिति

    2025 में संभल के एसएसपी द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया कि “भारत में लूटमार और कत्लेआम मचाने वाले विदेशी आक्रांता के नाम पर किसी भी तरह का मेला आयोजित नहीं किया जाएगा।” इसके पश्चात न केवल संभल, बल्कि बहराइच और मुरादाबाद में भी मेले पर प्रतिबंध की मांग उठने लगी।

    विवाद क्यों है?

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    1. इतिहास का मतभेद:

    हिंदू संगठनों और कई इतिहासकारों का यह तर्क है कि सैयद सालार मसूद गाजी एक विदेशी आक्रांता थे, जिन्होंने भारत में लूटपाट और धार्मिक हमलों में हिस्सा लिया।

    2. राजनीतिक-सांस्कृतिक मुद्दा:

    वर्तमान में इसे भारत की सांस्कृतिक पहचान और इतिहास के पुनर्पाठ से जोड़ा जा रहा है। एसएसपी संभल का बयान भी इसी संदर्भ में आया कि “विदेशी आक्रांता के नाम पर कोई मेला नहीं होगा।”

    3. सांप्रदायिक तनाव की संभावना:

    प्रशासन का कहना है कि यह आयोजन सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकता है, इसलिए एहतियातन इसकी इजाजत नहीं दी गई।

    सैयद सालार मसूद गाजी की बहराइच की दरगाह का महत्व

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह बहराइच में स्थित है, जो कई मुस्लिम समुदायों के लिए आस्था का केंद्र रही है। यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और यह क्षेत्रीय धार्मिक टूरिज्म का केंद्र भी रहा है। ‘नेजा मेला’ अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह इतिहास, राजनीति, सांप्रदायिकता और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा मुद्दा बन गया है।

    जहां एक ओर इसे आस्था का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर इसे ‘आक्रांताओं के महिमामंडन’ के रूप में देखा जा रहा है और यही इस प्रतिबंध और विरोध का केंद्र है।

    नेजा मेले की विशेषताएं (Features of Neza Fair)

    नेजा मेले की मुख्य विशेषता नेजा का जुलूस है। धूम धाम से सजाए गए नेजा नगर में ये जुलूस स्थानीय लोगों के बीच रोमांच सबब माना जाता रहा है। इस मेले में शहादत की याद में कव्वालियां और मातम आयोजित होता है। परंपरागत रूप से इस मैके में सभी समुदायों की भागीदारी रही है। मेले जैसा माहौल खाने-पीने की दुकानें, बच्चों के लिए झूले और लोक संस्कृति का प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है।

    क्या कहती है जनता?

    स्थानीय लोगों की मानें तो यह मेला सदियों से शांतिपूर्वक होता आया है और इससे किसी प्रकार की अशांति नहीं होती। कुछ लोगों ने कहा कि राजनीतिक कारणों से धार्मिक आयोजनों को टारगेट किया जा रहा है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि हर आयोजन की अनुमति कानून-व्यवस्था के मुताबिक दी जानी चाहिए।

    आस्था बनाम आशंका

    नेजा मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामुदायिक भावना और विरासत की अभिव्यक्ति है। इसके ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। बुद्धिजीवियों के अनुसार प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसा रास्ता निकालना होगा, जिससे आस्था भी बनी रहे और शांति-व्यवस्था भी।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleईरानी अधिकारियों ने अपने ही सर्वोच्च नेता खामेनेई को बोला – ट्रंप के सामने सरेंडर कर दो, वरना जलजला आ जाएगा
    Next Article Ladakh Changthang Valley प्रकृति की गोद में बसी चांगथांग घाटी, एक अद्वितीय अनुभव
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    औरंगजेब पर लाखों खर्च: क्या सच में एक साधारण मकबरे पर पर मेहरबान भारत सरकार, आइए जाने कब्र की सियासत

    May 17, 2025

    Top 5 Destination in India: भारत में जिप लाइनिंग के 5 रोमांचक स्थल, प्रकृति की गोद में रोमांच का अनुभव

    May 16, 2025

    Hathila Baba Dargah History: कौन थे हठीले शाह ? जिनकी दरगाह हैं सांप्रदायिक समरसता का प्रतीक, यहां के ऐतिहासिक रौजा मेला पर क्यों लगा है प्रतिबंध?

    May 16, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025

    पलायन का दुश्चक्र: बुंदेलखंड की खाली स्लेट की कहानी

    April 30, 2025

    शाहबाद के जंगल में पंप्ड हायड्रो प्रोजेक्ट तोड़ सकता है चीता परियोजना की रीढ़?

    April 15, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    PM शरीफ ने माना भारत के ऑपरेशन सिंदूर से नूरखान एयरबेस समेत कई ठिकाने हुए तबाह

    May 17, 2025

    पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत बड़े पैमाने पर पानी निकालने वाला है, पाकिस्तान में इस प्रोजेक्ट पर मची है दहशत

    May 16, 2025

    नीरव मोदी को फिर से बड़ा झटका, यूके हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की

    May 16, 2025
    एजुकेशन

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025

    NEET UG 2025 एडमिट कार्ड जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड

    April 30, 2025

    योगी सरकार की फ्री कोचिंग में पढ़कर 13 बच्चों ने पास की UPSC की परीक्षा

    April 22, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.