
Indian Politician Sanjay Uttamrao Deshmukh Bio
Indian Politician Sanjay Uttamrao Deshmukh Bio
Sanjay Uttamrao Deshmukh Bio: वक़्त बदलता है, पर कुछ नाम ऐसे होते हैं जो अपने कार्यों से लोगों के दिलों में स्थायी जगह बना लेते हैं। महाराष्ट्र के दिग्रस क्षेत्र में एक ऐसा ही नाम है संजय उत्तमराव देशमुख, जिन्हें लोग प्यार से ‘संजय भाऊ’ कहकर पुकारते हैं। उनकी राजनीति सिर्फ़ कुर्सी तक सीमित नहीं रही, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की एक सतत यात्रा रही है। इनका एक सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर विधायक और मंत्री तक का उनका सफर न केवल प्रेरणादायी है, बल्कि यह दिखाता है कि दृढ़ संकल्प, पारदर्शिता और सेवा-भावना के साथ राजनीति भी समाज का सशक्त साधन बन सकती है।संजय उत्तमराव देशमुख वर्तमान में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के नेता हैं। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र से इसी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
21 अप्रैल,1968 को यवतमाल जिले के चिंचोली गांव में जन्मे संजय भाऊ का बचपन सादगी और अनुशासन में बीता। उनके पिता उत्तमराव खुशालराव देशमुख गांव के पुलिस पाटिल थे और माता सविताबाई देशमुख एक घरेलू महिला थीं। चार भाई-बहनों में संजय भाऊ का पालन-पोषण पारिवारिक मूल्यों, परिश्रम और सेवा की भावना के साथ हुआ। दिग्रस के दीनबाई विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अमरावती विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनकी पत्नी वैशालीताई संजयराव देशमुख ने हमेशा उनके सामाजिक कार्यों में भागीदारी निभाई है। दंपति के दो बच्चे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता से सेवा और नेतृत्व के संस्कार ग्रहण किए हैं।
राजनीति में प्रवेश और प्रारंभिक सफलता
संजय भाऊ ने जब 30 वर्ष की उम्र में राजनीति की दुनिया में कदम रखा, तब उनके पास न कोई सियासी विरासत थी, न ही कोई बड़ा संगठनात्मक समर्थन। बावजूद इसके, वे 1996 में यवतमाल जिले से शिवसेना के जिला अध्यक्ष बने। राजनीति में कदम रखते ही उन्होंने संगठन के प्रति अपनी निष्ठा और कार्यशैली से लोगों को प्रभावित किया।
1999 में उन्होंने पहली बार दिग्रस विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और एनसीपी के वरिष्ठ नेता ख्वाजा बेग को मात्र 126 वोटों से हराकर विधायक बने। यह जीत छोटी होते हुए भी ऐतिहासिक थी, क्योंकि यह जनता के भरोसे की जीत थी।
2004 में उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और शिवसेना के श्रीकांत मुंगिनवार को 2,518 मतों के अंतर से हराकर फिर से विधायक बने। एक बार फिर उन्होंने निर्दलीय रहते हुए बड़े राजनीतिक दलों को चुनौती दी।
उनकी कार्यशैली में निर्णय क्षमता, जनसंवाद और पारदर्शिता झलकती है। यही कारण है कि वे पार्टी लाइन से ऊपर उठकर जनता के नेता बने।
राजनीतिक सफर
1996 में शिवसेना (मूल) के यवतमाल जिला अध्यक्ष बने।
1999-2009: दिग्रस विधानसभा क्षेत्र से दो बार निर्दलीय विधायक चुने गए।
2001-2004: महाराष्ट्र सरकार में खेल मंत्री के रूप में कार्य किया।उनका कार्यकाल खिलाड़ियों को संसाधन, प्रशिक्षण और ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देने के लिए याद किया जाता है।
2009-2017: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे।
2017-2019: भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
2019-2022: फिर से निर्दलीय रहे।
2022-वर्तमानः शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) में शामिल हुए और 2024 में सांसद चुने गए।
उनकी यह यात्रा दर्शाती है कि उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ काम किया है, लेकिन वर्तमान में वे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सक्रिय सदस्य हैं।
सामाजिक सरोकार और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
राजनीतिक उपलब्धियों से परे, संजय भाऊ ने सामाजिक क्षेत्र में भी गहरा असर छोड़ा है। उन्होंने ईश्वर फाउंडेशन, ईश्वर देशमुख फाउंडेशन, संजय भाऊ मित्र मंडल जैसे कई संस्थानों की स्थापना की, जो ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के लिए काम कर रहे हैं। श्री दुर्गामाता बहुदेशीय क्रीड़ा एवं शैक्षणिक संस्था और ईश्वर देशमुख इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, दिग्रस गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों को मुफ्त शिक्षा, प्रशिक्षण और भोजन उपलब्ध कराते हैं।
इन संस्थानों में आज हजारों छात्र अध्ययन कर रहे हैं, जिनमें से कई ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की है।
महिला सशक्तिकरण और युवाओं के लिए विशेष पहल
संजय भाऊ की सोच में महिलाओं और युवाओं को समाज का मजबूत स्तंभ बनाने की दृष्टि स्पष्ट रूप से नजर आती है। उनके नेतृत्व में महिला सुरक्षा कार्यशालाएं, स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर और उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गांवों की महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर और छोटे व्यवसायों की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। युवाओं के लिए करियर गाइडेंस, प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग और रोजगार मेले आयोजित कर उन्हें बेहतर भविष्य की राह दिखाई जाती है।
लोकप्रियता और जनसमर्थन
संजय भाऊ सिर्फ़ एक नेता नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे बिना किसी बड़े राजनीतिक दल के झंडे के भी दो बार विधायक बने। जनता के बीच उनकी छवि एक कर्मठ, ईमानदार और जमीन से जुड़े नेता की है। वे किसी भी कार्यक्रम में समय से पहले पहुंचने और आम लोगों से सीधा संवाद करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी सादगी, सहजता और सबको साथ लेकर चलने की नीति ने उन्हें यवतमाल जिले का सबसे भरोसेमंद नेता बना दिया है।
वर्तमान दृष्टिकोण और भविष्य की योजना
आज भी संजय भाऊ सामाजिक कार्यों में उतनी ही सक्रियता से जुटे हैं जितना वे अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान थे। उनकी योजनाओं में ग्रामीण युवाओं के लिए डिजिटल साक्षरता केंद्र, कृषि नवाचार प्रयोगशाला और आधुनिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना शामिल है। वे मानते हैं कि समाज की सबसे बड़ी जरूरत ‘मौके’ हैं। शिक्षा के मौके, रोजगार के मौके और आत्मनिर्भरता के मौके।
संजय उत्तमराव ने साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ हो, सोच विकासोन्मुख हो और कार्य जनहितैषी हो, तो किसी राजनीतिक दल की छाया के बिना भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
उनकी यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो राजनीति को बदलाव का माध्यम मानता है और समाज के लिए कुछ करना चाहता है। संजय भाऊ, सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक सोच हैं, विकास की सोच, सेवा की सोच और सबको साथ लेकर चलने की सोच।