
Sanwariya Seth Temple History
Sanwariya Seth Temple History
History of Sanwariya Seth Temple : राजस्थान का चित्तौड़गढ़ जिला न केवल अपने ऐतिहासिक किले और वीरता की कहानियों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यहाँ का सांवरिया सेठ मंदिर भी आस्था और भक्ति का एक अनूठा केंद्र है। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित यह मंदिर मंडफिया गाँव में चित्तौड़गढ़-उदयपुर राजमार्ग पर स्थित है और इसे मेवाड़ का सुप्रसिद्ध कृष्ण धाम कहा जाता है। सांवरिया सेठ के नाम से मशहूर इस मंदिर की खासियत इसकी चमत्कारी मूर्ति और भक्तों की अटूट आस्था है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और व्यापारी इसे अपने व्यवसाय की सफलता का आधार मानते हैं। इस लेख में हम सांवरिया सेठ मंदिर के इतिहास वास्तुकला सांस्कृतिक महत्व और पर्यटन के दृष्टिकोण से इसकी खासियतों को विस्तार से जानेंगे।
मंदिर का ऐतिहासिक परिचय

सांवरिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसर पंचायत समिति के मंडफिया गाँव में स्थित है। यह मंदिर लगभग 450 साल पुराना माना जाता है और इसका निर्माण मेवाड़ राजपरिवार के सहयोग से हुआ था। किंवदंती के अनुसार 1840 में भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाले को सपने में तीन दिव्य मूर्तियों के बारे में संदेश मिला जो बागुंड और भादसोड़ा गाँव की सीमा पर जमीन में दबी थीं। गाँव वालों ने उस स्थान पर खुदाई की तो भगवान श्रीकृष्ण की तीन सुंदर मूर्तियाँ मिलीं। इनमें से एक मूर्ति मंडफिया में दूसरी भादसोड़ा में और तीसरी छापर में स्थापित की गई। मंडफिया में स्थापित मूर्ति ही सांवरिया सेठ के नाम से प्रसिद्ध हुई और यह मंदिर आज देश-विदेश में विख्यात है।
सांवरिया सेठ की मूर्ति काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी है और इसे भगवान कृष्ण का सांवला रूप माना जाता है। मंदिर का नाम सांवरिया सेठ इसलिए पड़ा क्योंकि भगवान कृष्ण का सांवला रंग और उनकी व्यापारियों के प्रति कृपा उन्हें सेठों का सेठ बनाता है। मंदिर की स्थापना के बाद से यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है और विशेषकर व्यापारी अपने व्यवसाय की सफलता के लिए यहाँ दान और पूजा करने आते हैं।
सांवरिया सेठ और मीराबाई का रिश्ता
सांवरिया सेठ मंदिर का एक खास पहलू इसका मीराबाई से संबंध है। मीराबाई मेवाड़ की राजकुमारी और भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं। कहा जाता है कि मीराबाई सांवरिया सेठ को ही अपने गिरधर गोपाल के रूप में पूजती थीं। उनके भजन मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरौ न कोई में सांवरिया सेठ की ही महिमा गाई गई है। मीराबाई की भक्ति और सांवरिया सेठ की मूर्ति का सांवला रूप इस मंदिर को और भी खास बनाता है। मंदिर में विराजमान मूर्ति को मीराबाई की पूजा की गई मूर्ति से प्रेरित माना जाता है जो भक्तों के लिए एक गहरी भावनात्मक कड़ी बनाता है।
मंदिर की वास्तुकला

सांवरिया सेठ मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक राजस्थानी शैली को दर्शाती है। मंदिर का निर्माण गुलाबी बलुआ पत्थर से किया गया है जो इसे एक शाही और भव्य रूप देता है। मंदिर के खंभों और दीवारों पर जटिल नक्काशी की गई है जो राजस्थानी कला की बारीकियों को प्रदर्शित करती है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान सांवरिया सेठ की मूर्ति का केंद्र है जो काले ग्रेनाइट से बनी है और सोने-चांदी के आभूषणों से सजी रहती है। मंदिर का प्रांगण विशाल है जहाँ भक्त एकत्रित होकर भजन और कीर्तन करते हैं।
मंदिर की संरचना में कई खास तत्व हैं। प्रवेश द्वार पर बारीक नक्काशी और रंग-बिरंगे चित्र इसे आकर्षक बनाते हैं। मंदिर के अंदर फोटोग्राफी पर प्रतिबंध है ताकि पवित्रता बनी रहे। मंदिर के आसपास बने छोटे-छोटे मंडप और छतरियाँ राजस्थानी स्थापत्य की सुंदरता को बढ़ाते हैं। मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है जो भक्तों को भक्ति में डूबने का अवसर देता है।
मंदिर के दर्शन और पूजा का समय
सांवरिया सेठ मंदिर भक्तों के लिए सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और फिर दोपहर 2:30 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में कई तरह की पूजाएँ और आरतियाँ होती हैं जो भक्तों के लिए खास हैं।
सुबह की मंगल आरती 5:30 बजे होती है जो दिन की शुरुआत को पवित्र बनाती है।
राजभोग आरती दोपहर में होती है जिसमें भगवान को भोग लगाया जाता है।
शयन आरती रात 11:00 बजे होती है जो मंदिर के बंद होने से पहले की अंतिम पूजा है।
विशेष अवसरों जैसे जन्माष्टमी और दीपावली पर मंदिर में विशेष सजावट और पूजा का आयोजन होता है।
मंदिर में हर महीने अमावस्या के दिन एक विशेष मेला लगता है जिसमें भक्त दान और पूजा के लिए आते हैं। दीपावली के समय यह मेला दो महीने तक और होली के समय 40 दिन तक चलता है। इन मेलों में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
सांवरिया सेठ और व्यापारियों का रिश्ता

सांवरिया सेठ मंदिर की एक अनूठी विशेषता यह है कि यहाँ व्यापारी भगवान को अपने व्यवसाय का हिस्सेदार मानते हैं। कई व्यापारी अपनी कमाई का एक हिस्सा मंदिर में दान करते हैं और मानते हैं कि सांवरिया सेठ उनकी सफलता का कारण हैं। मंदिर के दानपात्र से हर साल करोड़ों रुपये सोना और चांदी निकलता है जो इसकी लोकप्रियता और भक्तों की आस्था को दर्शाता है। उदाहरण के लिए अप्रैल 2024 में मंदिर के दानपात्र से 25 करोड़ रुपये से अधिक की राशि और सोना-चांदी निकला जो एक रिकॉर्ड था।
कहा जाता है कि सांवरिया सेठ नानी बाई का मायरा करने के लिए स्वयं इस रूप में प्रकट हुए थे। इसीलिए व्यापारी उन्हें अपने व्यवसाय का साझेदार मानते हैं और अपनी कमाई का हिस्सा भेंट करते हैं। यह परंपरा मंदिर को एक अनूठा आर्थिक और आध्यात्मिक महत्व देती है।
मंदिर की चमत्कारी कहानियाँ
सांवरिया सेठ मंदिर अपनी चमत्कारी कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है। भक्तों का मानना है कि सांवरिया सेठ उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। कई लोग बताते हैं कि यहाँ दर्शन करने के बाद उनके व्यवसाय में अपार सफलता मिली और निजी जीवन में सुख-शांति आई। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अगर कोई सच्चे मन से यहाँ आता है तो उसकी हर इच्छा पूरी होती है।
जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और यहाँ का वातावरण भक्ति और उत्साह से भर जाता है। मंदिर के आसपास के गाँवों में भी सांवरिया सेठ की कहानियाँ लोककथाओं का हिस्सा हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं।
पर्यटन के दृष्टिकोण से

सांवरिया सेठ मंदिर पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है। यह चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किलोमीटर और उदयपुर के डबोक हवाई अड्डे से 65 किलोमीटर दूर है। मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। चित्तौड़गढ़ और उदयपुर से नियमित बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। मंदिर के आसपास सांवरिया सेठ बस स्टैंड भी है जो 7 किलोमीटर दूर है।
मंदिर के आसपास घूमने की कई जगहें हैं जैसे चित्तौड़गढ़ किला जो अपनी ऐतिहासिकता और वीरता की कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। उदयपुर की झीलें और महल भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण इसे एक आदर्श तीर्थस्थल बनाता है।
मंदिर का संरक्षण और वर्तमान स्थिति
सांवरिया सेठ मंदिर का प्रबंधन श्री सांवरिया सेठ मंदिर मंडल द्वारा किया जाता है। मंदिर की सुरक्षा और रखरखाव के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। हालाँकि कुछ समय पहले मंदिर के भंडार से अफीम मिलने की खबरें चर्चा में थीं लेकिन मंदिर प्रशासन ने इसे नियंत्रित किया और भक्तों की आस्था पर कोई असर नहीं पड़ा। मंदिर में ऑनलाइन दान की सुविधा भी उपलब्ध है जिसके लिए यूपीआई आईडी प्रदान की गई है।सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान का एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जो भक्ति और चमत्कार का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण के सांवले रूप और मीराबाई की भक्ति से जुड़ा यह मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। इसकी राजस्थानी वास्तुकला विशाल दान राशि और व्यापारियों से गहरा रिश्ता इसे अनूठा बनाता है। चाहे आप भक्त हों या पर्यटक सांवरिया सेठ मंदिर की यात्रा आपको एक अविस्मरणीय अनुभव देगी। यहाँ का शांत वातावरण भक्ति भरे भजन और चमत्कारी मूर्ति हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है।