सुप्रीम कोर्ट में वक़्फ़ संशोधन क़ानून के विचाराधीन होने के बीच ही केंद्र सरकार वक़्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए पोर्टल लॉन्च करने जा रही है। मीडिया रिपोर्टों में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार 6 जून को ‘उम्मीद’ पोर्टल लॉन्च करेगी। दावा है कि यह पोर्टल देश भर में वक़्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण को डिजिटाइज़ और सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से शुरू किया जा रहा है, ताकि इन संपत्तियों का प्रबंधन अधिक पारदर्शी और प्रभावी ढंग से किया जा सके।
‘उम्मीद’ यानी Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency, and Development पोर्टल का प्राथमिक लक्ष्य वक़्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाना और इसे एक केंद्रीकृत डिजिटल मंच पर लाना है। यह पोर्टल वक़्फ़ संशोधन अधिनियम के तहत लागू किया जा रहा है। इस पोर्टल के माध्यम से सभी वक़्फ़ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा और इसे अगले छह महीनों के भीतर पूरा करना होगा।
पोर्टल पर पंजीकरण के लिए संपत्तियों की डाइमेंशन, geo-tagged locations जैसी ज़रूरी जानकारी सहित पूरा विवरण देना होगा। यह क़दम न केवल संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा, बल्कि उनके प्रबंधन को भी आसान बनाएगा।
रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर दी गई है कि यदि कोई वक़्फ़ संपत्ति इस पोर्टल पर पंजीकृत नहीं होगी तो उसे विवादित माना जा सकता है। यह नियम वक़्फ़ संपत्तियों के स्वामित्व और उपयोग को लेकर उठने वाले विवादों को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। पंजीकरण की प्रक्रिया राज्य वक़्फ़ बोर्डों के माध्यम से की जाएगी, जो इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएंगे।
‘उम्मीद’ पोर्टल का शुभारंभ वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा क़दम माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह पोर्टल न केवल पंजीकरण प्रक्रिया को डिजिटल बनाएगा, बल्कि संपत्तियों के प्रबंधन, निगरानी और उपयोग के लिए एक पारदर्शी सिस्टम भी लाएगा। इससे वक़्फ़ संपत्तियों से संबंधित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा।
मुख्य रूप से धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक कल्याण के लिए उपयोग की जाने वाली वक़्फ़ संपत्तियाँ देश भर में लाखों की संख्या में हैं। इन संपत्तियों का प्रबंधन लंबे समय से चुनौतीपूर्ण रहा है और इस पोर्टल के माध्यम से सरकार इस दिशा में एक व्यवस्थित और तकनीकी समाधान लाने की कोशिश कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौतियाँ
हालाँकि, इस पहल को लेकर कुछ क़ानूनी चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। वक़्फ़ संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हाल ही में पूरी हो चुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है। इसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ द्वारा की गई। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि यदि कोई संपत्ति सरकारी है तो सरकार को उसे वापस लेने का पूरा अधिकार है, भले ही उसे वक़्फ़ घोषित किया गया हो। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 1923 से वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है, और यह अधिनियम केवल प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का प्रयास है।
याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ बताया। उन्होंने तर्क दिया कि यह कानून संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति जैसे प्रावधानों पर सवाल उठाया। कलेक्टर को वक़्फ़ संपत्तियों से संबंधित विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार देने का प्रावधान विवादास्पद रहा है।
वक़्फ़ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन केंद्र सरकार ने साफ़ किया है कि वह इस दिशा में आगे बढ़ेगी। ‘उम्मीद’ पोर्टल का शुभारंभ इस बात का संकेत है कि सरकार वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर गंभीर है और इसे और अधिक व्यवस्थित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस पोर्टल के शुभारंभ की घोषणा के बाद एक्स पर कई यूज़रों ने इस क़दम का स्वागत किया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह क़दम वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा, जबकि कुछ ने इसकी तकनीकी और क़ानूनी चुनौतियों पर सवाल उठाए हैं।
‘उम्मीद’ पोर्टल का शुभारंभ वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में एक अहम क़दम है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पहल कितनी प्रभावी साबित होती है।