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    Secrets of Aurangzeb: औरंगजेब के वो राज़, जो किताबों में दर्ज नहीं, इतिहास की वो कहानियां जो पत्थरों में गूंजती हैं

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 30, 2025No Comments5 Mins Read
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    Secrets of Aurangzeb News (Social Media)

    Secrets of Aurangzeb News (Social Media)

    Secrets of Aurangzeb: इतिहास केवल किताबों में दर्ज तारीखों और नामों का सिलसिला नहीं होता, बल्कि यह उन दीवारों और खंडहरों में छिपी कहानियों का ज़खीरा होता है। जिनकी चुप्पी भी अनगिनत खामोश कहानियां छिपी होती है। जब आप किसी किले की सीढ़ियों पर कदम रखते हैं, तो वहां मौजूद एक-एक पत्थर में आप इतिहास को तलाशते हो। असल में ये महज पत्थर नहीं बल्कि अतीत से जुड़ी सदियों पुरानी यादें होती हैं। इसी तरह मुग़ल शासक औरंगजेब एक ऐसा नाम है, जो भारत के इतिहास में विवादों, वीरता, कठोरता और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ रहा है। भारत के इतिहास में औरंगजेब ने न सिर्फ़ कई युद्ध लड़े बल्कि कई किलों पर जीत हासिल की। कुछ को तुड़वाया और कुछ में अपनी गहरी छाप छोड़ी। उनके शासन से जुड़ी कई जगहें आज भी मौजूद हैं जहां कभी साजिशें रची गईं, जहां खजाने छुपाए गए और जहां खून से इबारतें लिखी गईं।

    आइए जानते हैं मुगल शासक औरंगजेब के जीवन से जुड़े तीन खास किलों – बुरहानगढ़ किला, सलीमगढ़ किला और शीश महल (शालीमार बाग) के बारे में विस्तार से- साथ ही इनसे जुड़े रहस्य, दर्दनाक किस्से और इतिहास के वो पन्ने, जो शायद आपने पहले कभी न सुने हों।

    बुरहानपुर किले में क्या सचमुच छिपा है औरंगजेब का खजाना

    मध्य प्रदेश की पहाड़ियों में छिपा एक रहस्यमयी किला है बुरहानपुर। यह केवल एक किला नहीं, बल्कि औरंगजेब की तिजोरी थी। यह वही जगह है जहां मुग़ल बादशाह ने कथित तौर पर अपने लूटे हुए खजाने को छिपाया था।

    स्थानीय लोग आज भी इस किले में सोने के सिक्कों की तलाश करते हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, इस किले में सुरंगों और गुप्त तहखानों का जाल बिछा हुआ है। जहां खजाना छिपाया गया था। हालांकि, इसके ठोस प्रमाण आज तक नहीं मिले हैं। लेकिन लोककथाओं और अफवाहों ने इसे एक एडवेंचर स्पॉट बना दिया है।

    छावा फिल्म का ज़िक्र और क्या थी हकीकत

    मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज पर बनी फिल्म छावा में इस किले को खासतौर पर दर्शाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि, औरंगजेब यहां छिपे खजाने की सुरक्षा को लेकर कितना सतर्क था। जब आप इस किले में प्रवेश करते हैं, तो आपको दीवारों पर समय की मार दिखती है। लेकिन उन्हीं दरारों में कहीं न कहीं इतिहास की सच्चाइयां भी छिपी हैं। आप भी बुरहानगढ़ जाकर औरंगजेब तिजोरी की तलाश करना चाहेंगे?

    स्थानः खंडवा ज़िला, मध्य प्रदेश

    समयः सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक

    प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

    2. सलीमगढ़ किला – एक बेटी की दर्दनाक कैद

    दिल्ली में यमुना किनारे स्थित एक कम चर्चित लेकिन गहरा इतिहास रखने वाला किला – सलीमगढ़। यह किला उस समय का गवाह है जब राजनीति और शाही साजिशों में रक्त संबंध भी बलि चढ़ जाया करते थे। कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपनी ही बेटी जेब-उन-निसा को इसी किले में 20 वर्षों तक कैद रखा था। जेब-उन-निसा वह बेटी थी जिसे पिता की सत्ता रास नहीं आई थी। जेब-उन-निसा एक विदुषी, कवयित्री और दार्शनिक थीं। उन्हें गरीबों से बेहद प्रेम था। उन्होंने फारसी में शायरी भी की, जो आज भी अदबी दुनिया में बहुत अहमियत रखती है। लेकिन औरंगजेब को उनकी यह आज़ादी और सोच पसंद नहीं आई।

    कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जेब-उन-निसा ने शायरी के जरिए औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता पर सवाल उठाए थे। इसी ‘गुस्ताखी’ की सजा उन्हें किले की दीवारों के पीछे ताउम्र कैद के रूप में मिली। आज भी इस सलीमगढ़ किले की वीरान दीवारों से किसी मासूम की सिसकियां इन पत्थरों में गूंजती सी महसूस की जा सकती हैं।

    स्थानः यमुना नदी किनारा, दिल्ली

    कैसे पहुंचेः लाल किला या चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन से पैदल

    समयः सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक

    3. शीश महल, शालीमार बाग- जहां औरंगजेब बना था सम्राट

    दिल्ली का एक और नायाब ऐतिहासिक स्थल है शीश महल, जो शालीमार बाग के केंद्र में स्थित है। शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि, औरंगजेब की ताजपोशी लाल किले में नहीं बल्कि इसी शीश महल में हुई थी।

    यह महल वास्तुकला की एक अद्भुत मिसाल है। दीवारों पर शीशों का ऐसा जाल बुना गया है कि, अगर एक दीया भी जलाया जाए, तो पूरा महल रोशन हो जाता है।

    स्थानः शालीमार बाग, दिल्ली

    विशेषताः औरंगजेब की ताजपोशी स्थल

    खुलने का समयः सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक

    क्यों यहीं हुई ताजपोशी

    यह सवाल अक्सर उठता है कि औरंगजेब ने लाल किले को छोड़कर शीश महल को अपनी ताजपोशी के लिए क्यों चुना। इतिहासकारों के अनुसार, यह एक रणनीतिक निर्णय था। उस समय दिल्ली में राजनीतिक अस्थिरता थी और शालीमार बाग अपेक्षाकृत शांत व सुरक्षित स्थान था। इस महल में औरंगजेब ने केवल सत्ता संभाली नहीं, बल्कि मुग़ल साम्राज्य के सबसे कठोर दौर की शुरुआत की। शीश महल आज भी अपनी राजसी हनक लेकिन खामोशी के साथ वैसे ही खड़ा है।

    औरंगजेब और भारत के किलेः सिर्फ युद्ध नहीं, राजनीति भी थी

    औरंगजेब का शासनकाल इतिहास का सबसे लंबा मुग़ल शासन रहा। लेकिन यह सबसे विवादित भी था। उन्होंने जहां एक ओर अपने पूर्वजों की तरह भव्य किलों और मस्जिदों का निर्माण कराया, वहीं कई किलों को ध्वस्त भी किया।

    उन्हें किलों की रणनीतिक अहमियत का बखूबी अंदाज़ा था। शायद इसीलिए उन्होंने न सिर्फ़ किले जीते, बल्कि उन्हें अपने धार्मिक, सैन्य और निजी मकसदों के लिए भी इस्तेमाल किया।

    कैसे पहुंचे-

    बुरहानगढ़ खंडवा, म.प्र. रहस्यमयी

    खजाना सुरंगें, इंदौर से सड़क मार्ग,

    सलीमगढ़ दिल्ली जेब-उन-निसा की कैदगाह, लाल किला मेट्रो से,

    शीश महल शालीमार बाग, दिल्ली ताजपोशी स्थल, अद्भुत कारीगरी कश्मीरी गेट मेट्रो से पहुंचा जा सकता है।

    हम अक्सर इतिहास को कुछ पन्नों तक सीमित समझ लेते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के किले इतिहास की सांसे हैं। औरंगजेब जैसे शासकों की कहानी सिर्फ उनके शासन या युद्धों तक सीमित नहीं है। बल्कि ऐसी अनगिनत कहानियां उन किलों में कैद हैं, जिन्हें उन्होंने छुआ, बसाया या तबाह किया है। 

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