Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • ग़ज़ब हो गया! मोदी के कट्टर दुश्मन रह चुके शरद पवार ने भी दिया प्रधानमंत्री का साथ, जानिए पूरा मामला
    • Shri Lanka Famous Temple: श्रीलंका का पवित्र शिवधाम जहाँ भगवान राम ने किया था प्रायश्चित
    • “पुलिस को इतना मारेंगे…” ‘नबन्ना अभियान’ रैली में भाजपा नेता के बिगड़े बोल, ममता सरकार पर जमकर किया हमला
    • Sri Lanka Kelaniya Temple: केलानिया मंदिर का गौरवशाली इतिहास
    • फर्जी वोटर ID मामले में फंसे तेजस्वी यादव, चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, एक हफ्ते में जमा करें EPIC कार्ड
    • Parliament Monsoon Session 2025: SIR, टैरिफ के मुद्दे पर संसद में मचा हंगामा! लोकसभा की कार्यवाही फिर 3 बजे तक स्थगित
    • Chattisgarh Mahadev Mandir: छत्तीसगढ़ के जशपुर में बसा है ‘माधेश्वर महादेव’, रहस्यमयी गुफा में विराजमान हैं शिव
    • Political News: योगी सरकार ‘मठ में कर रही विश्राम’ बाढ़ पीड़ितों की मदद के बजाए सिर्फ मुआयना
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Shri Lanka Famous Temple: श्रीलंका का पवित्र शिवधाम जहाँ भगवान राम ने किया था प्रायश्चित
    Tourism

    Shri Lanka Famous Temple: श्रीलंका का पवित्र शिवधाम जहाँ भगवान राम ने किया था प्रायश्चित

    Janta YojanaBy Janta YojanaAugust 9, 2025No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Shri Lanka Munneswaram Temple History 

    Shri Lanka Munneswaram Temple History 

    Shri Lanka Munneswaram Temple History: भारत और श्रीलंका की धार्मिक परंपराओं में अनेक ऐसे मंदिर हैं, जो न केवल आध्यात्मिक महत्व रखते हैं बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत मूल्यवान हैं। श्रीलंका के पश्चिमी तट पर स्थित मुन्नेश्वरम मंदिर (Munneswaram Temple) भी एक ऐसा ही अद्भुत स्थल है, जिसकी जड़ें हजारों साल पुरानी मानी जाती हैं। यह मंदिर विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

    मुन्नेश्वरम मंदिर केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक प्रतीक भी है। जहाँ हिंदू, बौद्ध और स्थानीय तमिल संस्कृति की झलक एक साथ दिखाई देती है। यह मंदिर श्रीलंका के सबसे प्राचीन पंचईश्वरम (Panch Ishwaram) मंदिरों में से एक है।

    मुन्नेश्वरम मंदिर का ऐतिहासिक परिचय

    मुन्नेश्वरम मंदिर, श्रीलंका(Srilanka) के पुट्टलम जिले में चिलाव शहर के समीप स्थित एक अत्यंत प्राचीन और पावन तीर्थस्थल है, जिसकी उत्पत्ति लगभग 2000 वर्ष पूर्व मानी जाती है। यह मंदिर न केवल अपनी ऐतिहासिकता बल्कि पौराणिक महत्व के कारण भी विशिष्ट स्थान रखता है। ऐसा कहा जाता है कि रामायण काल में भगवान राम ने रावण वध के पश्चात ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए यहीं भगवान शिव की उपासना की थी। इस कारण यहां शिवजी को ‘ईश्वर’ या ‘मुनेश्वरम उदयियार’ के रूप में पूजा जाता है।

    इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का प्रारंभिक निर्माण चोल राजाओं द्वारा 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हुआ था। समय के साथ यह कई बार नष्ट हुआ, जिसमें 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा किया गया विध्वंस भी शामिल है। लेकिन स्थानीय भक्तों की श्रद्धा ने इसे बार-बार पुनर्जीवित किया। वर्तमान मंदिर की संरचना मुख्यतः 17वीं शताब्दी की है, जो कैंडियन साम्राज्य के काल में निर्मित हुई। यह मंदिर केवल शिवभक्ति का ही प्रतीक नहीं बल्कि ‘प्रायश्चित और शांति’ की आध्यात्मिक भावना को भी दर्शाता है। यहां शिवजी के अलावा गणेश, विष्णु और काली माता सहित अन्य देवताओं के मंदिर भी विद्यमान हैं, जो इसे एक समृद्ध और बहुआयामी धार्मिक स्थल बनाते हैं।

    पंचईश्वरम मंदिरों में स्थान

    मुन्नेश्वरम मंदिर को श्रीलंका के पंचईश्वरम मंदिरों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ये पंचईश्वरम, भगवान शिव के पाँच प्रमुख मंदिरों का समूह हैं जो श्रीलंका में शिव भक्ति की गहराई और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। इस पवित्र समूह में केतिश्वरम मंदिर (मन्नार), नागेश्वरम मंदिर (जाफना), मुन्नेश्वरम मंदिर (चिलाव), कोनश्वारम मंदिर (त्रिंकोमाली) और थोंडेश्वरम मंदिर (दक्षिण श्रीलंका) शामिल हैं। ये सभी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप में शिव उपासना की ऐतिहासिक परंपरा और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रतीक भी हैं। विशेष रूप से मुन्नेश्वरम मंदिर, अपनी पौराणिक पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक महत्ता के चलते इस श्रृंखला में एक विशिष्ट स्थान रखता है।

    पौराणिक कथा और रामायण से संबंध

    रावण का वध एक साधारण युद्ध नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टि से एक जटिल कर्म था, क्योंकि रावण ब्राह्मण कुल में जन्मा था। वह दशानन और बाली जैसे क्षत्रियों के लिए ब्राह्मण वंशज माना जाता है, इसलिए उसकी हत्या को ब्रह्महत्या के रूप में देखा गया। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्महत्या एक अत्यंत गंभीर पाप है जिसके प्रायश्चित के बिना मोक्ष संभव नहीं माना जाता।रामायण के अनुसार, जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा। इसी दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने समुद्र पार करके श्रीलंका के मुन्नेश्वरम मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी। इस पौराणिक प्रसंग के कारण मुन्नेश्वरम मंदिर को ‘प्रायश्चित और शांति’ का स्थल माना जाता है। यह मान्यता आज भी श्रद्धालुओं को गहराई से भावनात्मक रूप से जोड़ती है और उन्हें अपने जीवन के पापों से मुक्ति की आशा प्रदान करती है।

    मंदिर की वास्तुकला और परिसर

    मुन्नेश्वरम मंदिर परिसर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि वास्तुकला और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध स्थल है। इस परिसर में पाँच प्रमुख मंदिर स्थित हैं जिनमें मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे मुन्नेश्वरम महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही देवी दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान विष्णु और भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) के भी मंदिर यहां विद्यमान हैं, जो इसे एक बहुदेवता उपासना केंद्र बनाते हैं। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक द्रविड़ शैली में निर्मित है जिसमें सुंदर नक्काशीदार स्तंभ, ऊँचे और भव्य गोपुरम (मुख्य द्वार), तथा विस्तृत मंडप इसकी शिल्पकला को दर्शाते हैं। मंदिर की दीवारों पर तमिल ग्रंथों और पौराणिक कथाओं से जुड़ी चित्रकारी इसे धार्मिक ही नहीं, कलात्मक रूप से भी अत्यंत मूल्यवान बनाती है। लगभग 1000 से 2000 वर्ष पुराना यह मंदिर श्रीलंका के पंचईश्वरम मंदिरों में एक प्रमुख स्थान रखता है और आज भी शिवभक्तों के लिए आस्था, शांति और संस्कृति का प्रतीक बना हुआ है।

    त्योहार और उत्सव

    मुन्नेश्वरम मंदिर का सबसे भव्य और लोकप्रिय पर्व ‘मुन्नेश्वरम थेर उत्सव’ है, जो हर वर्ष अगस्त से सितंबर के बीच बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव लगभग 25 से 28 दिनों तक चलता है और इसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस पर्व की प्रमुख आकर्षण भव्य रथ यात्रा होती है, जिसमें भगवान शिव की प्रतिमा को सुसज्जित रथ में पूरे क्षेत्र में घुमाया जाता है। उत्सव के दौरान मंदिर परिसर और आसपास का वातावरण धार्मिक ऊर्जा, संगीत, नृत्य और भजन संध्या से भर उठता है। महा शिवरात्रि और थाई पोसम भी इस मंदिर के महत्वपूर्ण पर्व हैं। लेकिन थेर उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि स्थानीय समुदाय की सांस्कृतिक एकता और परंपरा का जीवंत उदाहरण भी बन गया है।

    धार्मिक समरसता और सांस्कृतिक विविधता

    मुन्नेश्वरम मंदिर न केवल एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है, बल्कि यह श्रीलंका की विविध धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। यहां हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम और ईसाई समुदायों के लोग आपसी सम्मान और सहयोग के साथ रहते हैं। मंदिर के आयोजनों और उत्सवों में अक्सर बौद्ध भिक्षु और अन्य धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधि भी भाग लेते हैं। जो इस स्थान की सर्वधर्म समभाव की भावना को और अधिक सुदृढ़ करते हैं। यह आपसी सहभागिता मुन्नेश्वरम मंदिर को केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मेल-जोल का एक सेतु बना देती है। जो श्रीलंका की गंगा-जमुनी तहजीब का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।

    मंदिर का वर्तमान प्रबंधन और सामाजिक भूमिका

    मुन्नेश्वरम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल भर नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन केंद्र भी है। इसका प्रशासन स्थानीय श्रद्धालुओं और समुदाय के सहयोग से चलता है जो मंदिर की परंपराओं, पूजा-पद्धतियों और धार्मिक अनुष्ठानों को जीवित रखते हैं। मंदिर के माध्यम से समाजसेवा के कई कार्य किए जाते हैं जैसे निर्धनों को भोजन उपलब्ध कराना, शिक्षा और चिकित्सा सहायता प्रदान करना। साथ ही, मंदिर परिसर में वैदिक शिक्षा, संस्कृत की कक्षाएं, धार्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित होते हैं। जो विशेषकर युवाओं को भारतीय और तमिल परंपरा तथा धार्मिक मूल्यों से जोड़ने का कार्य करते हैं। इस तरह, मुन्नेश्वरम मंदिर आध्यात्मिकता के साथ-साथ सामाजिक उत्थान का भी प्रतीक बन गया है।

    पर्यटन और आर्थिक महत्व

    मुन्नेश्वरम मंदिर आज श्रीलंका के धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। जहाँ हर वर्ष हजारों भारतीय और स्थानीय श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही कला, इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले अनेक विदेशी पर्यटक भी इस प्राचीन मंदिर को देखने आते हैं। इस धार्मिक और सांस्कृतिक आकर्षण के कारण चिलाव क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जिससे होटल, रेस्तरां, परिवहन सेवाएं, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यापार को सीधा लाभ मिला है। मंदिर से जुड़ी यह पर्यटन वृद्धि न केवल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए द्वार खोलती है, बल्कि क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    संरक्षण और भविष्य की चुनौतियाँ

    मुन्नेश्वरम मंदिर अपनी समुद्रतटीय स्थिति के कारण प्राकृतिक आपदाओं जैसे समुद्री तूफान, बाढ़ और जलस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील है, जिससे इसकी प्राचीन संरचनाओं को समय-समय पर नुकसान पहुंचने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा, श्रीलंका के इतिहास में राजनीतिक और धार्मिक अस्थिरता ने भी इस मंदिर को कई बार क्षति पहुँचाई है, जिससे इसके संरक्षण और नियमित रखरखाव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऐसे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले स्थलों की रक्षा के लिए समर्पित प्रयासों की आवश्यकता है।

    मुन्नेश्वरम मंदिर कैसे पहुँचे?

    मुन्नेश्वरम मंदिर, श्रीलंका के पश्चिमी प्रांत में चिलाव के पास स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जहाँ पहुंचने के लिए हवाई, रेल और सड़क – तीनों मार्गों का उपयोग किया जा सकता है।

    हवाई मार्ग – निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंडारनायके एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा 1.5 से 2 घंटे में मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

    रेल मार्ग – रेल मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए कोलंबो के फोर्ट रेलवे स्टेशन से चिलाव तक नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। जिनमें लगभग 2.5 से 3 घंटे लगते हैं। चिलाव स्टेशन से मंदिर मात्र 2–3 किलोमीटर दूर है जहाँ तक ऑटो रिक्शा या टैक्सी आसानी से मिलती है।

    सड़क मार्ग – सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए कोलंबो से चिलाव की दूरी लगभग 80 – 90 किलोमीटर है, जिसे बस या कार द्वारा 2.5 से 3 घंटे में तय किया जा सकता है। कोलंबो के पेट्टाह बस स्टेशन से नियमित राज्य परिवहन और निजी बसें चलती हैं। चिलाव पहुंचने के बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए स्थानीय ऑटो, रिक्शा और टुक-टुक सेवाएं उपलब्ध हैं।

    मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है और दर्शन के लिए सुबह व शाम की आरती का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। मानसून या त्योहारों के समय यहां भारी भीड़ हो सकती है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Article“पुलिस को इतना मारेंगे…” ‘नबन्ना अभियान’ रैली में भाजपा नेता के बिगड़े बोल, ममता सरकार पर जमकर किया हमला
    Next Article ग़ज़ब हो गया! मोदी के कट्टर दुश्मन रह चुके शरद पवार ने भी दिया प्रधानमंत्री का साथ, जानिए पूरा मामला
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    Sri Lanka Kelaniya Temple: केलानिया मंदिर का गौरवशाली इतिहास

    August 9, 2025

    Chattisgarh Mahadev Mandir: छत्तीसगढ़ के जशपुर में बसा है ‘माधेश्वर महादेव’, रहस्यमयी गुफा में विराजमान हैं शिव

    August 8, 2025

    Maharashtra Kaas Plateau Valley: महाराष्ट्र में फूलों की घाटी, स्वर्ग से कम नहीं यह जगह

    August 7, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    NPCI की UPI में बड़ी क्रांति: क्या बदलाव हैं और आपको कैसे बचना चाहिए UPI फ्रॉड से?

    August 7, 2025

    NEET 2025 में टॉप रैंक लाने के बाद भी छिन सकती है MBBS सीट – ये 1 डॉक्युमेंट अगर भूले तो सब खत्म!

    August 4, 2025

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.