Nathdwara Temple Of Shrinathji (Photos – Social Media)
Nathdwara Temple Of Shrinathji : नाथद्वारा भारत के राजस्थान राज्य के राजसमन्द ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। यह एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थल है और बनास नदी के किनारे बसा हुआ है। श्रीनाथजी राजस्थान राज्य के उदयपुर शहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। माना जाता है, श्री वल्लभाचार्य जी को ही गोवर्धन पर्वत पर श्रीनाथ जी की मूर्ति मिली थी। इस सम्प्रदाय की प्रसिद्धि समय के साथ बढ़ती गई। पहली बार वल्लभाचार्य के द्वितीय पुत्र विट्ठलनाथ जी को गुंसाई (गोस्वामी) पदवी मिली तब से उनकी संताने गुसांई कहलाने लगीं। विट्ठलनाथ जी के कुल सात पुत्रों की पूजन की मूर्तियाँ अलग – अलग थीं। वैष्णवों में यह सात स्वरूप के नाम से प्रसिद्ध हैं। गिरिधर जी टिकायत (तिलकायत) उनके ज्येष्ठ पुत्र थे। इसी से उनके वंशल नाथद्वारे के गुसांई जी टिकायत महाराज कहलाने लगे। श्रीनाथ जी की मूर्ति गिरिधर जी के पूजन में रही।
कृष्ण को श्रीनाथजी क्यों कहा जाता है? (Why is Krishna Called Shrinathji?)
किंवदंती पुष्टिमार्ग के अनुयायी बताते हैं कि स्वरूप का हाथ और चेहरा पहले गोवर्धन पहाड़ी से उभरा था और उसके बाद माधवेंद्र पुरी के आध्यात्मिक नेतृत्व में स्थानीय निवासियों (व्रजवासियों) ने गोपाल (कृष्ण) देवता की पूजा शुरू की। इन्हीं गोपाल देवता को बाद में श्रीनाथजी कहा गया।
खास होती है श्रीनाथजी की जन्माष्टमी (Shrinathji’s Janmashtami is Special)
जन्माष्टमी का दिन इस मंदिर में खास तरीके से मनाया जाता है। इस दिन मंदिर को पूरी तरह से फूलों से सजाया जाता है। मंदिर में इस दिन बड़ी संख्या में दर्शन थी भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर विभिन्न तरह के आयोजन भी किए जाते हैं।
भगवान को 21 तोपों की सलामी (21 gun Salute To God)
इस मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर आज 12:00 बजे भगवान कृष्ण को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। अगर आप राजस्थान में है तो आपको जन्माष्टमी के दिन 21 तोपों की सलामी का नजारा जरूर देखना चाहिए। चलिए मंदिर की खासियत के बारे में जानते हैं।
ऐसा है श्रीनाथजी भगवान कृष्ण का इतिहास (History Of Shrinathji Lord Krishna)
बता देंगे श्रीनाथजी भगवान कृष्ण का एक रूप है जो 7 साल के बच्चे के रूप में प्रकट हुए थे। श्रीनाथजी का प्रमुख मंदिर भारत के राजस्थान के उदयपुर से 48 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में नाथद्वारा शहर में मौजूद है। यहां कृष्ण जन्मोत्सव 21 तोपों और बंदूकोज की सलामी के साथ मनाया जाता है। ना केवल कृष्ण जन्मोत्सव बल्कि अन्य दिनों पर भी यहां भीड़ देखने को मिलती है।