Snake Temples Of India (Photos – Social Media)
Snake Temples Of India : भारतीय पौराणिक कथाओं में नागों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। नाग देवताओं का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिनमें से विशेष रूप से शेषनाग, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, अनंत, पद्मनाभ जैसे नाग प्रमुख हैं। ये सभी नाग देवता अपनी शक्ति, ज्ञान और भक्ति के लिए जाने जाते हैं। नाग पंचमी एक ऐसा पर्व है जो नागों की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से माना जाता है कि घर में सुख-शांति, समृद्धि आती है और सांपों का भय भी नहीं रहता। इस दिन लोग घरों और मंदिरों में नाग देवता की मूर्तियों या चित्रों की पूजा करते हैं। कुछ स्थानों पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा भी है। इस दिन नागों की पूजा करने से कुंडली दोष, जैसे कि कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, ऐसी मान्यता है।
भुजिया किला, गुजरात (Bhujia Fort, Gujarat)
यह भुज के बाहरी इलाके में स्थित है और इसका ऐतिहासिक महत्व है। भुजिया पहाड़ी पर स्थित यह किला नागा सरदारों का था, जिनके वीरता और त्याग की कहानियां स्थानीय लोककथाओं में प्रचलित हैं। नागा कबीले के अंतिम सरदार भुजंगा की युद्ध में मृत्यु के बाद स्थानीय लोगों ने उनकी स्मृति में एक मंदिर का निर्माण किया, जो आज भुजिया पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और भुजंग नाग मंदिर के नाम से जाना जाता है। नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है। लोग इस दिन नाग देवता को दूध, फूल, और अन्य पूजा सामग्रियों से अर्पित करते हैं।
मन्नारशाला मंदिर, केरल (Mannarsala Temple, Kerala)
केरल का मन्नारशाला नागराज मंदिर एक अत्यंत प्रसिद्ध और पवित्र स्थान है, जिसे भगवान परशुराम द्वारा स्थापित किया गया माना जाता है। यह मंदिर नाग देवताओं को समर्पित है और इसमें लगभग 30,000 नाग देवताओं की छवियां मौजूद हैं। मन्नारशाला मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहां की मुख्य पुजारी एक महिला होती हैं। मन्नारशाला नागराज मंदिर को केरल का सबसे बड़ा सर्प मंदिर माना जाता है।
नागद्वार मंदिर, पचमढ़ी, मध्य प्रदेश (Nagdwar Temple, Pachmarhi, Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में स्थित नागद्वार मंदिर नाग देवता को समर्पित एक प्रमुख और अद्वितीय मंदिर है। यह मंदिर सतपुड़ा क्षेत्र की विशाल गुफाओं में स्थित है और वन विभाग द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित है। नागद्वार मंदिर मुख्य रूप से सांपों की पूजा के लिए जाना जाता है। यहां पिछले 100 सालों से हर साल नागद्वार में एक मेले का आयोजन होता है। नागद्वार मंदिर की चिंतामणि गुफा लगभग 100 फीट लंबी है और इसमें नागदेव की कई मूर्तियां स्थापित हैं।
नाग चंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन (Nag Chandreshwar Temple, Ujjain)
उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर एक अनोखा और पवित्र स्थान है जो नाग देवता को समर्पित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। इस दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर में स्थित है और नाग पंचमी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
शेषनाग मंदिर, जम्मू कश्मीर (Sheshnag Temple, Jammu Kashmir)
मानसर झील के पूर्वी तट पर स्थित शेषनाग मंदिर भगवान शेषनाग को समर्पित है। यह मंदिर भगवान शेषनाग की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें छह सिर वाले नाग के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में एक बड़ा शिलाखंड है जिस पर कई लोहे की जंजीरें रखी हुई हैं, जो शेषनाग के संरक्षक देवता की प्रतीक्षा कर रहे छोटे नागों का प्रतिनिधित्व करती हैं। मंदिर में नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेष महत्व है, जो भगवान शेषनाग का आशीर्वाद पाने के लिए मानसर झील के चारों ओर तीन परिक्रमा करते हैं।