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    Sri Padmanabhaswamy Temple: केरल का ऐतिहासिक और रहस्यमयी मंदिर

    Janta YojanaBy Janta YojanaJuly 30, 2025No Comments7 Mins Read
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    Sri Padmanabhaswamy Temple (Image Credit-Social Media)

    Sri Padmanabhaswamy Temple (Image Credit-Social Media)

    Sri Padmanabhaswamy Temple History: भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की बात हो तो केरल का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर एक अनमोल रत्न है। तिरुवनंतपुरम में बसा यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और न केवल अपनी आध्यात्मिक महत्ता के लिए, बल्कि अपने विशाल खजाने और रहस्यमयी कहानियों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के 108 दिव्य देसमों में से एक है और इसे भारत के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है।

    मंदिर का ऐतिहासिक परिचय

    श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम शहर के दिल में स्थित है। इस शहर का नाम ही मंदिर के मुख्य देवता भगवान अनंत पद्मनाभ के नाम पर पड़ा है। अनंत यानी भगवान विष्णु का वह रूप जो शेषनाग पर शयन करते हैं। मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। प्राचीन तमिल साहित्य संगम काल (500 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी) में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता था क्योंकि उस समय भी इसकी संपत्ति की चर्चा होती थी।

    पद्मनाभस्वामी मंदिर का उल्लेख विष्णु पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी मिलता है। यह मंदिर 8वीं शताब्दी से वैष्णव भक्तों का प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। त्रावणकोर के शाही परिवार ने इस मंदिर की देखरेख और संरक्षण का जिम्मा लिया और इसे और भी भव्य बनाया। आज भी मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर शाही परिवार के ट्रस्ट के अधीन है।

    मंदिर की अनूठी वास्तुकला

    पद्मनाभस्वामी मंदिर की वास्तुकला केरल और द्रविड़ शैली का एक शानदार मिश्रण है। इसकी ऊँची दीवारें और 16वीं सदी का गोपुरम (मुख्य प्रवेश द्वार) देखने में बेहद आकर्षक है। गोपुरम पर बनी नक्काशी और मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय कला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं। मंदिर का बाहरी हिस्सा भव्य होने के साथ-साथ मजबूत भी है, जो इसे एक किले जैसा रूप देता है।

    मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति अनंतशयनम मुद्रा में है। यह मूर्ति इतनी विशाल है कि इसे तीन अलग-अलग द्वारों से देखा जाता है। पहले द्वार से भगवान का मुख और शेषनाग की आकृति, दूसरे द्वार से कमल पर विराजमान ब्रह्मा और मध्य भाग, और तीसरे द्वार से भगवान के चरण कमल दिखाई देते हैं। यह अनूठी व्यवस्था मंदिर को और भी खास बनाती है।

    मंदिर परिसर में एक विशाल सरोवर है जिसे पद्मतीर्थ कुलम कहा जाता है। इसके आसपास बने खपरैल जैसे छतों वाले घर मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। मंदिर की दीवारों पर बनी भित्ति चित्रकला और पत्थर की नक्काशी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

    धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

    पद्मनाभस्वामी मंदिर वैष्णव भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है। यह 108 दिव्य देसमों में शामिल है, जो श्री वैष्णव परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर हैं। माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा पद्मनाभ स्वरूप में की जाती है, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है।

    मंदिर में कई विशेष उत्सव और अनुष्ठान आयोजित होते हैं। नवरात्रि, दीपावली और विषु जैसे त्योहारों के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है। एक अनोखा नजारा तब देखने को मिलता है जब विषुव संक्रांति के दिन सूर्य का प्रकाश मंदिर के टॉवर की पाँच खिड़कियों से होकर गुजरता है। यह दृश्य भक्तों के लिए बेहद आध्यात्मिक अनुभव होता है।

    मंदिर में प्रवेश के लिए सख्त नियम हैं। केवल हिंदू धर्म के अनुयायी ही मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। पुरुषों को धोती और अंगवस्त्र पहनना अनिवार्य है, जबकि महिलाओं को साड़ी पहननी होती है। जींस, स्कर्ट या अन्य पश्चिमी परिधानों में प्रवेश वर्जित है। यह नियम मंदिर की पवित्रता और परंपराओं को बनाए रखने के लिए हैं।

    मंदिर का रहस्यमयी खजाना

    पद्मनाभस्वामी मंदिर को दुनिया का सबसे धनी मंदिर माना जाता है। 2011 में मंदिर के छह गुप्त तहखानों (वॉल्ट A, B, C, D, E, F) की खोज ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। इन तहखानों में सोने के सिक्के, मूर्तियाँ, आभूषण, रत्न, मुकुट और यहाँ तक कि सोने का सिंहासन भी मिला। इनका मूल्य एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक आँका गया।

    इन तहखानों में से पाँच को खोला गया, लेकिन वॉल्ट B आज भी एक रहस्य बना हुआ है। इस द्वार पर कोई ताला नहीं है, फिर भी इसे खोलना असंभव माना जाता है। द्वार पर सर्प की आकृति बनी है और कहा जाता है कि इसे केवल गरुड़ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि इस द्वार के पीछे और भी बड़ा खजाना छिपा है, जबकि कुछ इसे शापित मानते हैं। इसे खोलने की कोशिश करने वालों को जहरीले साँपों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण यह द्वार आज भी बंद है।

    यह खजाना सदियों से चेर, पांड्य, त्रावणकोर शाही परिवार, कोलाथिरी, पल्लव, चोल और यहाँ तक कि मेसोपोटामिया, यरुशलम, ग्रीस और रोम के शासकों और व्यापारियों द्वारा दान किए गए सामानों का हिस्सा है। मंदिर की संपत्ति की कहानियाँ संगम साहित्य में भी मिलती हैं, जो इसे स्वर्ण मंदिर के रूप में वर्णित करते हैं।

    पर्यटक आकर्षण

    पद्मनाभस्वामी मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है। यहाँ की कुछ खासियतें इस प्रकार हैं:

    मंदिर का संग्रहालय

    मंदिर परिसर में एक संग्रहालय है, जहाँ त्रावणकोर शाही परिवार की ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। यहाँ पुराने हथियार, शाही वस्त्र और आभूषण देखने को मिलते हैं।

    पद्मतीर्थ कुलम

    मंदिर का सरोवर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी शांति और सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहाँ स्नान करने का विशेष महत्व है।

    सांस्कृतिक कार्यक्रम

    मंदिर में समय-समय पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे कथकली और मोहिनीअट्टम, पर्यटकों को केरल की समृद्ध संस्कृति से परिचित कराते हैं।

    आसपास के दर्शनीय स्थल

    तिरुवनंतपुरम में मंदिर के अलावा कोवलम बीच, नेपियर संग्रहालय, श्री चित्र तिरुनल आर्ट गैलरी और कन्याकुमारी जैसे स्थान पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।

    मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय

    तिरुवनंतपुरम का मौसम साल भर सुहावना रहता है, लेकिन मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है। इस दौरान मौसम ठंडा और सुखद होता है। नवरात्रि और विषु जैसे त्योहारों के दौरान मंदिर में विशेष भीड़ होती है, इसलिए यदि आप शांति से दर्शन करना चाहते हैं तो सामान्य दिनों का चयन करें।

    मंदिर कैसे पहुँचें

    तिरुवनंतपुरम केरल की राजधानी है और यह सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

    सड़क मार्ग

    तिरुवनंतपुरम कोच्चि, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। आप बस या निजी वाहन से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

    रेल मार्ग

    तिरुवनंतपुरम सेंट्रल रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र 1-2 किलोमीटर है।

    हवाई मार्ग

    तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टैक्सी या ऑटो से मंदिर पहुँचा जा सकता है।

    मंदिर में ठहरने की सुविधा 

    हालांकि मंदिर में ठहरने की सुविधा नहीं है, लेकिन तिरुवनंतपुरम में कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। आप बजट से लेकर लग्जरी होटलों में ठहर सकते हैं। मंदिर के आसपास कई धर्मशालाएँ भी हैं जो किफायती ठहरने का विकल्प प्रदान करती हैं।

    मंदिर का नाम तिरुवनंतपुरम शहर के नाम का आधार है, जो भगवान अनंत से प्रेरित है।मंदिर का सातवाँ द्वार (वॉल्ट B) आज भी एक अनसुलझा रहस्य है।यह मंदिर केरल और द्रविड़ वास्तुकला का अनूठा संगम है।मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति तीन द्वारों से देखी जाती है, जो इसे अनोखा बनाता है।मंदिर की संपत्ति का मूल्य एक लाख करोड़ रुपये से अधिक आँका गया है।

    श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। इसका भव्य गोपुरम, शानदार वास्तुकला, रहस्यमयी खजाना और आध्यात्मिक वातावरण इसे हर पर्यटक और भक्त के लिए अवश्य देखने योग्य बनाते हैं। यदि आप केरल की यात्रा पर हैं तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें। यहाँ का अनुभव आपको इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता के एक अनूठे संगम से जोड़ेगा।

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