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    Home » Srikakulam Tourist Places: श्रीकाकुलम की 11 घूमने लायक जगहें, जरूर करें सूर्य मंदिर और भगवान विष्णु के कच्छप अवतार के मंदिर का दर्शन
    Tourism

    Srikakulam Tourist Places: श्रीकाकुलम की 11 घूमने लायक जगहें, जरूर करें सूर्य मंदिर और भगवान विष्णु के कच्छप अवतार के मंदिर का दर्शन

    By January 26, 2025No Comments8 Mins Read
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    Srikakulam (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Srikakulam Mein Ghumne Layak Jagah: भारतवर्ष के दक्षिण में आंध्र प्रदेश राज्य (Andhra Pradesh) अपने धार्मिक तीर्थस्थलों, मंदिर, ऐतिहासिक इमारत और आकर्षक समुद्री तटों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। आंध्र प्रदेश कृष्णा और गोदावरी नदियों के पास में स्थित दक्षिण भारत का एक खूबसूरत राज्य है। श्रीकाकुलम जिला (Srikakulam) भी इस राज्य का एक समुद्र तट के किनारे बसा शहर है, जहां कई दर्शनीय स्थल हैं। आइए जानते हैं यहां के प्रमुख स्थलों के बारे में।

    श्रीकाकुलम में घूमने लायक जगह (Srikakulam Famous Tourist Places List In Hindi)�

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    श्रीकुर्मम विष्णु मंदिर (Srikurmam Temple)

    श्रीकाकुलम शहर से करीब 14.5 किमी की दूरी पर श्रीकुर्मम गांव में यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर श्रीकाकुलम शहर का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। दूसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व के इस मंदिर में 200 से अधिक स्तंभों वाला मंडपम पर्यटकों के खास आकर्षण का केंद्र रहता है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में भगवान कछुए के अवतार में विराजमान हैं। इस मंदिर की वास्तुकला अपने आप में कला का एक श्रेष्ठ परिचय देता है। इस मंदिर में मनाए जाने वाले डोलोस्तवम त्यौहार में भारी तादाद में श्रद्धालु आते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    पोंडुरु (Ponduru)

    यह स्थान पूरे भारत में खादी के उत्पादन के लिए मशहूर है। ऐसा कहते हैं कि जब महात्मा गांधी इस जगह आए थे तो वे यहां के खादी की उत्पादकता को देखकर हैरान रह गए थे। और इस जगह से प्रभावित होकर यहां की खादी को प्राथमिकता दी थी। आज भी यहां के खादी का उपयोग पश्चिमी और पारंपरिक परिधानों के सामग्री में किया जाता है। यहां अच्छे किस्म के कपास की खेती और इससे बने खादी के सामग्री की मांग देश और दुनिया में आज भी है। पर्यटक यहां खादी के हैंडलूम का काम करीब से देख सकते हैं और यहां से खरीदारी भी कर सकते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    अरसावल्ली (Sri Sri Sri Suryanarayana Swamy Temple)

    यह जगह आंध्र प्रदेश के सूर्य मंदिर के रूप में विख्यात है। हमारे देश के सबसे प्राचीन दो सूर्य मंदिरों में से यह एक है। इस प्रसिद्ध श्री सूर्यनारायण स्वामी मंदिर को भारत का एकमात्र सूर्य मंदिर के रूप में जाना जाता है, जहां पूजा पाठ होती है। ओडिशा के कोणार्क का सूर्यमंदिर एक पर्यटक स्थल है। लेकिन यहां सूर्य देव की पूजा नहीं होती। श्रीकाकुलम के इस सूर्य मंदिर का निर्माण ओडिशा के कलिंग शासकों ने कराया था। श्रीकाकुलम शहर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर अरासवल्ली गांव में स्थित इस मंदिर को देखने दूर दूर से पर्यटक आते हैं।

    विशाखापत्तनम से इस मंदिर की दूरी करीब 118 किलोमीटर है। पर्यटक या श्रद्धालु यहां सार्वजनिक या निजी वाहन से आसानी से पहुंच सकते हैं। ऐसा माना जाता है की पद्मपुराण में इस मंदिर की व्याख्या है जिसमें बताया गया है की ऋषि कश्यप ने अरासवल्ली में मानव जाति के कल्याण के लिए एक सूर्य की मूर्ति स्थापित की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि ग्रहों के राजा भगवान सूर्य का गोत्र कश्यप गोत्र है।

    वहीं स्थलपुराण में वर्णित है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान देवेंद्र ने की थी और सूर्य देव की वर्तमान मूर्ति को स्थापित किया था। कुछ लोग यहां भगवान सूर्यनारायण स्वामी को वरु के नाम से भी पुकारते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    बरुवा (Baruva)

    श्रीकाकुलम का यह एक मनोरम स्थल है जो अपने बीच के अलावा मंदिरों के लिए भी मशहूर है। इस इलाके में हरे भरे धान के खेत और नारियल पेड़ों के बगान देखते ही बनते हैं। ब्रिटिश काल में यह एक बंदरगाह के रूप में जाना जाता था। श्रीकाकुलम आंध्र प्रदेश के लिए प्राकृतिक और सामरिक दोनों रूप से अपना योगदान देता है। यहां का कॉयर उद्योग पर्यटक देखना नहीं भूलते।

    इस जगह दो प्राचीन मंदिर है जो यहां के लोगों के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है। एक भगवान श्री कृष्ण को समर्पित जनार्दन स्वामी मंदिर तो वहीं दूसरा भगवान शिव का श्री कोटिलिंगेश्वर स्वामी मंदिर। खास त्यौहार पर इन दोनों मंदिरों में लोगों की काफी संख्या में भीड़ देखी जाती है। यहां पर्यटक समुद्र किनारे बने रिसोर्ट में रहने की बुकिंग कर सकते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    तेलीनीलापुरम (Telineelapuram)

    श्रीकाकुलम के पूर्वी तट पर स्थित यह जगह प्रकृति प्रेमी और पशु पक्षी के शौकीन लोगों के बीच बेहद मशहूर है। यहां का बर्ड सेंचुरी पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। यह जगह तेलुकुंची पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। सर्दियों के मौसम में यहां प्रवासी पक्षियों के झुंड देखते ही बनता है। यहां सर्दियों में देश विदेश से सैलानी भारी तादाद में आते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    कलिंगपट्टनम बीच (Kalingapatnam Beach)

    आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम का यह तट इस प्रदेश का खूबसूरत और ऐतिहासिक समुद्री तट है जो ब्रिटिश काल में बंदरगाह के रूप में इस्तेमाल होता था। यह जगह सिंगापुर और मलेशिया से व्यापार का आसान मार्ग था। ऐसा कहा जाता है कि इस तट की खोज पश्चिमी व्यापारियों ने किया था और यहां से कपड़े, इत्र आदि का व्यापार किया करते थे।

    यहां के समुद्र का नीला पानी, सफेद रेत और तट के किनारे नारियल के पेड़ सैलानियों को आकर्षित करते हैं। यह तटीय इलाका कोको बागानों के लिए भी मशहूर है।

    नवाब अनवरुद्दीन द्वारा सन् 1118 ईस्वी में बनवाया गया मदीना बाबा को समर्पित मंदिर भी एक दर्शनीय स्थल है। इसके अलावा सालिहुंडम और कलिंगपट्टनम बीच के मध्य स्थित एक बौद्ध स्तूप भी देखने योग्य है।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    संगम (Sangam)

    देश के उत्तरप्रदेश राज्य के इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम के बाद आंध्र प्रदेश राज्य के श्रीकाकुलम जिले का यह गांव संगम के नाम से मशहूर तीर्थ स्थल है। यह स्थल श्रीकाकुलम शहर से करीब 56 किमी और राजम से 20 किमी दूर तीन नदियों नागावली, सुवर्णमुखी और वेगवती का संगम है। इस स्थान पर भगवान संगमेश्वर के पांच लिंगों में से एक लिंग की यहां पूजा होती है। महाशिवरात्रि उत्सव के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    मंदसा (Mandasa)

    आंध्रप्रदेश के महेंद्रगिरि पहाड़ की तलहटी में स्थित इस जगह एक किला है जिसे दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा किला माना जाता है। यह जगह सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। श्रीकाकुलम के इस गांव में वराह स्वामी का मंदिर है जहां सैलानी घूमने आते हैं और दर्शन करते हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    श्रीमुखलिंगम (Shri Mukhalingeshwara)

    आंध्रप्रदेश के वामसधारा नदी के तट पर भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर तीन मंदिरों का समूह है। भगवान शिव के तीन रूपों मुखलिंगेश्वर, भीमेश्वर और सोमेश्वर को समर्पित इस मंदिर की इंडो-आर्यन शैली में नक्काशी देखते बनती है। इस मंदिर की नक्काशी और वास्तुकला की बारीकी उत्कृष्ट नमूना का परिचय देती है।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    सालिहुंडम (Salihundam)

    भारत के आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के वामसाधारा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित यह गांव अपने कई बौद्ध स्तूप और विशाल मठ परिसर के लिए जाना जाता है। सालिहुंडम को सालिवटिका नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है चावल का भंडार। इसके अलावा कई लोग इसे साल्यापेटिका यानि हड्डियों या अवशेषों का बक्सा के रूप में जानते हैं। इस स्थान पर खुदाई के दौरान कई अवशेष जैसे ताबूत, चार स्तूप, एक चैत्यगृह, संरचनात्मक मंदिर और बौद्ध धर्म की कई मूर्तियां मिलीं। इन मूर्तियों में बौद्ध धर्म के तीन चरणों को दर्शाती थेरवाद, महायान और वज्रयान की कई मूर्तियां शामिल हैं।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    सेंट मैरी चर्च (St. Mary’s Church)

    गोथिक शैली में निर्मित यह चर्च श्रीकाकुलम जिले का सबसे पुराना चर्च भी माना जाता है। यह चर्च पूरे राज्य का एक प्रमुख चर्च है जो ईसाई धर्म के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है।यह जगह सोमपेटा में स्थित है जहां आपको शांति का एहसास होगा। क्रिसमस और खास उत्सव के दौरान यहां हर धर्म के लोग मेले में शामिल होते हैं।

    कैसे पहुंचें (How To Reach Srikakulam)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    हवाईमार्ग से श्रीकाकुलम पहुंचने का नजदीकी हवाई अड्डा विशाखापत्तनम हवाई अड्डा है। यहां से श्रीकाकुलम की दूरी करीब 117 किमी है। स्थानीय वाहन, बस या टैक्सी के माध्यम से यहां पहुंचा जा सकता है।

    रेलमार्ग द्वारा श्रीकाकुलम पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन श्रीकाकुलम रोड है जहां से श्रीकाकुलम शहर करीब 9 किमी दूर है।

    यह स्टेशन विशाखापतनम भुवनेश्वर लाइन पर आता है। यहां पहुंचकर स्थानीय वाहन से घूम सकते हैं।

    सड़क से श्रीकाकुलम बस या टैक्सी के द्वारा आ सकते हैं। यह शहर विशाखापत्तनम से करीब 117 किमी, भुवनेश्वर से 325 किमी, और आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर से करीब 455 किमी की दूरी पर है।

    सर्दियों का मौसम यहां घूमने के लिए उपयुक्त है। गर्मी के दिनों में ज्यादा गर्मी पड़ने से लोग यहां घूमने से बचते हैं।

    ( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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