Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • IRCTC Tour: क्रिसमस पर घूमने का शानदार मौका! IRCTC के बजट टूर पैकेज से करें सस्ती और आरामदायक यात्रा
    • Best Adventure Parks: ये हैं लखनऊ के बेस्ट पार्क, सर्दी की धुप के साथ लीजिये एडवेंचर का भी मज़ा
    • Sonbhadra 10 New Bridges Approved: सोनभद्र में 10 पुलों के निर्माण कार्य को मिली मंज़ूरी, ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी होगी बेहतर
    • IRCTC जनवरी 2026 से शुरू कर रहा लखनऊ-गोवा टूर पैकेज, बस इतने रूपए करने होंगें खर्च
    • Magh Mela 2026: कितने दिनों तक चलेगा माघ मेला, क्या रहेंगी शाही स्नान की तिथियां?
    • Travel abroad on a Low Budget: कम बजट में विदेश यात्रा? ये हैं भारतीयों के लिए सबसे सस्ते 5 देश
    • सर्दियों में कम बजट में घूमने के लिए सबसे बेस्ट जगह, 10 हज़ार के अंदर करें विंटर वेकेशन एन्जॉय
    • वांतारा दौरे पर लियोनेल मेस्सी, भारतीय परंपरा और वन्यजीवों से जुड़ा खास अनुभव
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Srikalahasti Temple : श्रीकालहस्ती मंदिर को दक्षिण का काशी कहा जाता है, जानिए क्या है यहाँ की खासियत
    Tourism

    Srikalahasti Temple : श्रीकालहस्ती मंदिर को दक्षिण का काशी कहा जाता है, जानिए क्या है यहाँ की खासियत

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 11, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Srikalahasti Temple (Image Credit-Social Media)

    Srikalahasti Temple (Image Credit-Social Media)

    Kalhasti Shiv Mandir:  भारत देश के आंध्र प्रदेश राज्य में चित्तूर जिले में तिरुपति के पास स्वर्णमुखी नदी के तट पर स्थित श्रीकालहस्ती एक सुप्रसिद्ध शिव मंदिर है। पल्लव काल के दौरान बनाया गया यह मंदिर अपने वास्तुकला, धार्मिक महत्व और दक्षिण के पंचतत्व लिंगों में वायु तत्व लिंग के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस मंदिर को ‘दक्षिण कैलाश या काशी’ भी कहा जाता है। यह मंदिर पांच तत्वों यानि पंच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश में से एक वायु के लिए प्रसिद्ध है। वहीं अन्य चार में चिदंबरम (अंतरिक्ष यानी आकाश), कांचीपुरम (पृथ्वी), तिरुवणिक्कवल (जल) और तिरुवन्नामलाई (अग्नि) के सूचक हैं। ऐसी मान्यता है कि इस श्रीकालहस्ती स्थान का नाम तीन जीवों – श्री यानि मकड़ी, काल यानि सर्प तथा हस्ती यानि हाथी के नाम पर पड़ा। इस मंदिर की सालाना आय करोड़ों में है।

    दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना वाले इस श्रीकालहस्ती मंदिर का निर्माण पल्लव काल में हुआ था। इस मंदिर को दक्षिण के लोग राहु-केतु मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर में लोग राहु केतु ग्रह की शांति और पूजा के लिए आते हैं। वायु तत्व लिंग के कारण मंदिर पूजारी भी गर्भगृह के लिंग को स्पर्श नहीं कर सकते। इस शिवलिंग के पास स्वर्ण लगे हैं जिसपर फूल-माला चढ़ाई जाती है। इस मंदिर में लिंग की ऊंचाई लगभग चार फीट है और उस पर मकड़ी और हाथी की आकृति जैसा कुछ बना हुआ प्रतीत होता है। इस श्रीकालहस्ती का जिक्र स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण में भी किया गया है।

    दक्षिण भारतीय शैली में बने हुए इस मंदिर के बाहर सफेद रंग का आवरण रखा गया है। इस मंदिर में तीन भव्य गोपुरम और सौ स्तंभों वाला मंडप है जिसकी कला अद्वितीय है। श्रीकालहस्ती मंदिर के अंदर कई शिवलिंग स्थापित हैं, इसके अलावा यहां भगवान कालहस्तीश्वर और देवी ज्ञानप्रसूनअंबा की भी मूर्तियां हैं जिसकी पूजा की जाती है।

    पौराणिक कथा :

    पौराणिक कथा अनुसार एक मकड़ी ने तपस्या करते हुए शिवलिंग पर जाल बनाया था और उसी लिंग से लिपटकर एक सांप ने भगवान शिव की आराधना की थी। उसी जगह उस शिवलिंग को प्रतिदिन एक हाथी अपनी सूंड में जल भरकर लाता था और भगवान को स्नान कराता था। इसलिए ये तीनों की मूर्तियां इस लिंग में समाहित हैं।

    ऐसी भी मान्यता है कि महाभारत काल में इस स्थान पर अर्जुन ने भगवान कालहस्ती के दर्शन किए थे। एक और कहावत के अनुसार संसार के निर्माण के दौरान वायु देवता ने इस कर्पूर लिंगम को प्रसन्न करने के लिए हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। वायु देवता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें तीन वर दिए थे। पहला वर पूरी दुनिया में उपस्थित रहने का था, दुनिया के हर प्राणी के लिए आनिवार्य हिस्सा बनाया और कर्पूर वायु लिंग के रूप में पूजा जाए।

    एक और कथा के अनुसार भगवान शिव ने देवी पार्वती को किसी कारणवश श्राप दिया था और उसके बाद भगवान शिव ने अपना दिव्य रूप त्याग कर मानव रूप ले लिया था। अपने को श्राप से मुक्त करने के लिए देवी पार्वती ने कई वर्षों तक श्रीकालहस्ती में तपस्या की जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर फिर से पार्वती को प्राप्त किया। यहां देवी पार्वती को प्रसूनम्बिका देवी के रूप में पूजा जाता है।

    मंदिर की वास्तुकला :

    5 वीं शताब्दी में पल्लव शासकों द्वारा द्रविड़ शैली में बना यह मंदिर वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह मंदिर परिसर एक पहाड़ी पर स्थित है और इसका प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है लेकिन मुख्य मंदिर पश्चिम दिशा की ओर है। मंदिर के भीतर शिवलिंग सफेद पत्थर का बना है और दिखने में हाथी के सूंड के आकार का है। इस मंदिर परिसर में विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय के शासनकाल के दौरान बनाया गया करीब 100 नक्काशीदार स्तंभ हैं और 120 फीट ऊंचा मुख्य गोपुरम है। इस मंदिर परिसर में एक खास आकर्षण 9 फीट ऊंची एक चट्टान से काट कर भगवान गणेश का मंदिर है। इसके अलावा यहां काशी विश्वनाथ, सूर्यनारायण, सुब्रमण्यम स्वामी, अन्नपूर्णा देवी मणिकर्णिका के भी मंदिर हैं। एक और शयदोगणपति मंदिर जिसमें गणपति, महालक्ष्मी गणपति, वल्लभ गणपति और सहस्र लिंगेश्वर की मूर्तियां सुशोभित हैं। इस मंदिर परिसर में सादोगी और जलकोटि नामक दो मंडप भी हैं। यहां चंद्र और सूर्य पुष्कर्णी नाम के दो जल निकाय भी देख सकते हैं।

    इस मंदिर के पास एक झरना है जिसका प्रकृतिप्रेमी आनंद उठा सकते हैं। यहां के स्थानीय बाजार से पर्यटक पुरानी हस्तशिल्प और धातु की वस्तुएं खरीद सकते हैं। तिरुपति से लौटते समय इस मंदिर के दर्शन करना कोई नहीं भूलता।

    कैसे पहुंचें ?

    • हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति हवाई अड्डा है। यहां से मंदिर करीब 43 किमी की दूरी पर स्थित है।
    • बस या टैक्सी के माध्यम से आप यहां पहुंच सकते हैं।
    • रेल मार्ग से श्रीकालहस्ती पहुंचने के लिए निकटम स्टेशन श्रीकालहस्ती रेलवे स्टेशन है जो मंदिर परिसर से करीब 3 किमी की दूरी पर है।
    • सड़क मार्ग से भी यहां बस या टैक्सी के जरिए पहुंच सकते हैं।

    यहां घूमने के लिए वैसे तो अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक का रहता है। लेकिन जब भी आप तिरुपति जाने का कार्यक्रम बना रहे हों तो वहां से दर्शन कर लौटते समय श्रीकालहस्ती मंदिर घूमने जा सकते हैं। यहां मंदिर में दर्शन के लिए पारंपरिक परिधान पहनकर जाना सही है, महिलाएं साड़ी या सलवार सूट पहन सकती हैं वहीं दूसरी ओर पुरुष धोती और कुर्ता या शर्ट पहन सकते हैं।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleभारतीय सेना की धमक रावलपिंडी में पाक सेना मुख्यालय तक पहुंची: राजनाथ
    Next Article Satya Hindi News Bulletin। 11 मई, शाम तक की ख़बरें
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    IRCTC Tour: क्रिसमस पर घूमने का शानदार मौका! IRCTC के बजट टूर पैकेज से करें सस्ती और आरामदायक यात्रा

    December 19, 2025

    Best Adventure Parks: ये हैं लखनऊ के बेस्ट पार्क, सर्दी की धुप के साथ लीजिये एडवेंचर का भी मज़ा

    December 19, 2025

    Sonbhadra 10 New Bridges Approved: सोनभद्र में 10 पुलों के निर्माण कार्य को मिली मंज़ूरी, ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी होगी बेहतर

    December 19, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने माहेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज के वार्षिक समारोह में किया शिरकत, गरीब बच्चों की शिक्षा पहल की खुले दिल से प्रशंसा की

    November 1, 2025

    Doon Defence Dreamers ने मचाया धमाल, NDA-II 2025 में 710+ छात्रों की ऐतिहासिक सफलता से बनाया नया रिकॉर्ड

    October 6, 2025

    बिहार नहीं, ये है देश का सबसे कम साक्षर राज्य – जानकर रह जाएंगे हैरान

    September 20, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.