Sultanpur Historical Place (Photos – Social Media)
Sultanpur Parijat Tree History: उत्तर प्रदेश भारत का प्रसिद्ध राज्य है और सुल्तानपुर जिला यहां काफी फेमस है। सुल्तानपुर में कई सारे ऐतिहासिक स्थल मौजूद है चीन का दीदार करने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। इसलिए मैं गोमती नदी के किनारे एक प्राचीन वृक्ष मौजूद है जिसे लोग पारिजात या कल्पवृक्ष के नाम से पहचानते हैं। यह कोई साधारण वृक्ष नहीं है बल्कि से देव वृक्ष कहा जाता है। आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से यहां आकर दर्शन करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। लोगों का कहना है कि यह वृक्ष आने वाले श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी करता है।
वृक्ष से जुड़ी है रोचक कथा�
इस कल्प वृक्ष से रोचक कथा जुड़ी हुई है। कथा के मुताबिक एक बार देवराज इंद्र महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण श्री हीन हो गए थे। स्वर्ग लोक से वैभव समृद्धि और संपन्नता खत्म हो गई थी। इस परेशानी का समाधान निकालने के लिए देवताओं ने असुरों की सहायता से सागर मंथन करने का निश्चय लिया था। सागर मंथन के दौरान पारिजात वृक्ष के साथ 14 रत्न निकले जिसमें से एक पारिजात वृक्ष था। देवराज इंद्र ने इसे स्वर्ग में स्थापित किया। सागर मंथन के परिणाम स्वरूप माता लक्ष्मी और पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई है और इसी कारण माता लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प प्रिय हैं।
ऐसा है पारिजात का वृक्ष�
पारिजात का यह पेड़ एक बड़े प्रांगण में है और इसकी देखने को संरक्षण के लिए कल्पवृक्ष सेवा समिति नामक एक संगठन तैयार किया गया है। संगठन से जुड़े लोगों के मुताबिक सुरक्षा की आयु करीब 5000 वर्ष से ज्यादा हो सकती है। स्ट्रेंजर में आकर लोग नियमित रूप से पूजा पाठ करते हैं और यह पर्यटक स्थल के रूप में पहचाना जाता है। कुछ समय पहले प्रयागराज अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने इस वृक्ष की विशेषताओं की खोज की और इसकी आयु को भी निर्धारित किया था।