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    Home » Umoja Village:यहाँ पुरुषों का प्रवेश है वर्जित फिर भी महिलाएं दे रही बच्चों को जन्म-जानिए रहस्य
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    Umoja Village:यहाँ पुरुषों का प्रवेश है वर्जित फिर भी महिलाएं दे रही बच्चों को जन्म-जानिए रहस्य

    Janta YojanaBy Janta YojanaOctober 6, 2025No Comments4 Mins Read
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    Pic Credit – Social Media

    Village Where Men Are Banned: हमारे आस-पास कई ऐसे गाँव हैं जो किसी न किसी घटना, कहानी या परंपरा के कारण प्रसिद्ध हैं, लेकिन केन्या (Kenya) के एक दूरस्थ इलाके में स्थित उमोजा गाँव (Umoja Village) की कहानी वाकई अद्भुत और प्रेरणादायक है। यह गाँव दुनिया भर में इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहाँ किसी भी पुरुष को प्रवेश की अनुमति नहीं है।

    उमोजा गाँव की सबसे खास बात यह है कि इसे सिर्फ़ महिलाओं ने मिलकर बसाया और संभाला है। यहाँ की महिलाएँ पूरी तरह से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हैं – वे खुद अपना घर बनाती हैं, खेती करती हैं, हस्तशिल्प बनाती हैं और बच्चों की परवरिश करती हैं। यह गाँव महिलाओं के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका है, जहाँ उन्हें किसी भी तरह के भय या अत्याचार का सामना नहीं करना पड़ता।

    सबसे दिलचस्प बात यह है कि पुरुषों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध होने के बावजूद, इस गाँव की महिलाएँ अपना वंश आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। आखिर यह कैसे संभव है? और ऐसा कौन-सा कारण था जिसने इन महिलाओं को पुरुषों से पूरी तरह अलग रहकर अपना संसार बनाने के लिए मजबूर किया?आइए जानते हैं।

    उमोजा गाँव की शुरुआत कैसे हुई?

    उमोजा गाँव की स्थापना वर्ष 1990 में केन्या की साम्बुरु जनजाति की एक साहसी महिला रेबेका लोलोसोली ने की थी। रेबेका ने अपने समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और भेदभाव को बहुत करीब से झेला था। उनके समुदाय में बाल विवाह, दहेज के लिए लड़कियों की बिक्री, महिलाओं पर हिंसा और यौन शोषण जैसी कुरीतियाँ आम थीं। 1990 के दशक में जब कुछ साम्बुरु महिलाओं ने ब्रिटिश सैनिकों द्वारा किए गए बलात्कारों के खिलाफ आवाज उठाई, तो समाज ने उनका साथ देने के बजाय उन्हें ‘अपवित्र’ कहकर बाहर निकाल दिया।

    इन्हीं बहिष्कृत और पीड़ित महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन देने के लिए रेबेका ने “उमोजा” गाँव की स्थापना की, जिसका अर्थ स्वाहिली भाषा में “एकता (Unity)” होता है। शुरुआत में यहाँ सिर्फ़ 15 महिलाएँ थीं लेकिन धीरे-धीरे और महिलाएँ जुड़ती गईं। आज यह गाँव एक सशक्त महिला समुदाय बन चुका है जहाँ पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

    आजीविका का साधन

    ‘उमोजा’ शब्द का अर्थ स्वाहिली भाषा में ‘एकता’ होता है और यही एकता इस गाँव की सबसे बड़ी ताकत है। यहाँ की महिलाएँ मिलजुलकर अपने पूरे जीवन को सहयोग और आपसी समर्थन के सहारे चलाती हैं। गाँव के चारों ओर कांटेदार बाड़ और झाड़ियाँ लगाई गई हैं ताकि कोई पुरुष बिना अनुमति अंदर प्रवेश न कर सके। यहाँ हर घर घास और मिट्टी से बना होता है। महिलाएँ खुद ही घर बनाती हैं , खेती करती हैं, बच्चों की देखभाल करती हैं और कमाई के साधन जुटाती हैं। वे अपने हाथों से पारंपरिक हस्तकला, गहने और मोतियों से बनी चीजें (बीडवर्क) तैयार करती हैं जिन्हें बेचकर अपनी आजीविका चलाती हैं। इसके अलावा पर्यटकों के लिए गाँव के पास एक छोटा कैंपसाइट भी बनाया गया है, जिससे महिलाओं को अतिरिक्त आय होती है। इस तरह उमोजा गाँव की महिलाएँ पूरी तरह से स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और संगठित जीवन जी रही हैं।

    कैसे दे रही बच्चों को जन्म?

    उमोजा गाँव में पुरुषों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध होने के बावजूद, महिलाएँ अपने वंश को आगे बढ़ाने का तरीका खोज चुकी हैं। गाँव की महिलाएँ अपने आस-पास के अन्य गाँवों के पुरुषों के साथ गोपनीय संबंध बनाती हैं, लेकिन यह काम खुले तौर पर स्वीकार्य नहीं होता। रात के अंधेरे में पुरुष चुपके से गाँव आते हैं और सुबह होने से पहले वापस चले जाते है जिससे महिलाएँ गर्भवती हो जाती हैं और बच्चों को जन्म देती हैं।

    गाँव के नियमों के अनुसार कोई पुरुष दिन में प्रवेश नहीं कर सकता और महिलाएँ अपनी प्रजनन गतिविधियों को छुपाकर गाँव के कानून और सुरक्षा को बनाए रखती हैं। इस तरह, उमोजा की महिलाएँ सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में रहकर भी अपने वंश को निरंतर आगे बढ़ा रही हैं। गाँव में गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग बहुत कम होता है इसलिए महिलाएँ नियमित रूप से गर्भवती होती हैं और नए जीवन का निर्माण करती हैं।

    पुरुषों पर प्रतिबंध और जीवन की चुनौतियाँ

    उमोजा गाँव में लड़कों को केवल 18 वर्ष की आयु तक ही रहने दिया जाता है, उसके बाद उन्हें बाहर जाना होता है। पुरुष केवल जरूरी कामों के लिए गाँव में आ सकते हैं। लेकिन यहाँ रहने की अनुमति नहीं है। समाज के विरोध, सत्ता संघर्ष और आस-पास के पुरुषों की ईर्ष्या के बावजूद, उमोजा आज एक सशक्त और आत्मनिर्भर नारी-समुदाय के रूप में जाना जाता है। यहाँ की महिलाएँ चुनौतियों का सामना करते हुए सुरक्षित, स्वतंत्र और सम्मानजनक जीवन जी रही हैं और अपने गाँव को एक प्रेरणादायक उदाहरण बना रही हैं।

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