
Unnao Tourism (Image Credit-Social Media)
Unnao Tourism
Unnao Mein Ghoomne Ki Jagah: गंगा और सई नदियों के बीच स्थित उन्नाव जिला समृद्ध ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक विरासत वाला क्षेत्र है। यह जनपद अवध और बुंदेलखंड के बीच बसे दोआब की सांस्कृतिक पहचान को अपने भीतर समेटे हुए है। स्वतंत्रता–आंदोलन के इतिहास में उन्नाव का उल्लेख विशेष सम्मान के साथ किया जाता है—यहाँ के राजा राव राम बक्श सिंह, मौलाना हसरत मोहानी, शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के सहयोगी अनेक क्रांतिकारी, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और सुमित्रा कुमारी सिन्हा जैसे व्यक्तित्व इस मिट्टी की गौरवपूर्ण विरासत को और भी समृद्ध बनाते हैं।
धार्मिक–आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नाव में अनेक प्राचीन मंदिर, आश्रम और गंगा–घाट स्थित हैं। माँ चंद्रिका देवी घाट, रौतापुर घाट और बक्सर घाट के सौंदर्यीकरण के बाद यहाँ प्रतिदिन गंगा आरती होने लगी है, जिससे यह क्षेत्र तीर्थ–पर्यटन का उभरता केंद्र बन गया है। जनपद के देहाती अंचलों में स्थित प्राचीन शिव–मंदिर, नाग–देवता और ग्राम–देवियाँ, साथ–साथ सूफ़ी मजारें, उन्नाव की लोक–आस्था और गंगा–जमुनी तहज़ीब को जीवंत रूप देती हैं। कल्याणी देवी मंदिर, देवरहा बाबा से संबंधित स्थलों तथा अन्य स्थानीय तीर्थों पर वर्ष भर मेलों और धार्मिक आयोजनों की परंपरा चलती रहती है।
पर्यावरण–पर्यटन के संदर्भ में उन्नाव का सबसे बड़ा आकर्षण शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पक्षी विहार (नवाबगंज बर्ड सैंक्चुरी) है, जो नवाबगंज क्षेत्र में स्थित एक महत्त्वपूर्ण आर्द्र–भूमि है। सर्दियों के मौसम में यहाँ गार्गेनी टील, मल्लार्ड, पर्पल मूरहेन और अनेक अंतरराष्ट्रीय–राष्ट्रीय प्रवासी पक्षियों के झुंड देखे जा सकते हैं। 224 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला यह पक्षी विहार 2019 से रामसर साइट के रूप में भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर चुका है, जिससे इसे वैश्विक वेटलैंड–संरक्षण नेटवर्क में विशेष स्थान मिला है। झील के चारों ओर बनाए गए वॉच–टावर, प्रकृति–पथ और व्याख्या–केंद्र इसे बर्ड–वॉचिंग, नेचर–वॉक और पारिवारिक भ्रमण के लिए आदर्श बनाते हैं।
उन्नाव की औद्योगिक पहचान भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। यह जिला पारंपरिक जरी–जरदोज़ी, हस्तशिल्प और चमड़ा–उद्योग के लिए जाना जाता है। कानपुर–लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे विकसित चमड़ा–क्लस्टर में स्थित टैनरियाँ, जूते–चप्पल, बेल्ट, हैंडबैग और अन्य चर्म–उत्पाद तैयार करती हैं, जो देश–विदेश के बाज़ारों में भेजे जाते हैं और उन्नाव को उत्तर भारत के प्रमुख लेदर–हब के रूप में स्थापित करते हैं। इसके साथ–साथ सूक्ष्म स्तर पर चलने वाले जरी–जरदोज़ी, परिधान–सिलाई, कृषि–आधारित प्रसंस्करण इकाइयाँ और खाद–बीज व्यापार स्थानीय रोज़गार और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं। गेहूँ, धान, आलू और दलहन–तिलहन की कृषि–परंपरा, साथ ही बागवानी और दुग्ध–उत्पादन, उन्नाव को एक समृद्ध ग्रामीण–आर्थिक पट्टी में बदलते हैं।
पर्यटन के नक्शे पर उन्नाव धीरे–धीरे अपनी अलग पहचान बना रहा है। शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पक्षी विहार, गंगा–घाटों की आरती, कल्याणी देवी मंदिर, देवरहा बाबा से संबंधित स्थलों, बदरका क्षेत्र के धार्मिक केंद्र और ग्रामीण मेलों–हाटों को जोड़कर एक संभावित “गंगा–ईको–हेरिटेज सर्किट” के रूप में विकसित करने की योजना पर भी चर्चा की जा रही है, जिसमें धार्मिक–पर्यटन, इको–टूरिज़्म और ग्रामीण–संस्कृति–पर्यटन को एक साथ बढ़ावा देने की क्षमता है।
पहुंच मार्ग की दृष्टि से उन्नाव एनएच–27 और एनएच–31 सहित प्रमुख राष्ट्रीय मार्गों पर स्थित है, जिससे लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और रायबरेली से इसकी सड़क–कनेक्टिविटी उत्कृष्ट है। निकटतम हवाई अड्डा चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, लखनऊ (लगभग 45 किमी) है, जबकि उन्नाव रेलवे स्टेशन से लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, वाराणसी और अन्य शहरों के लिए नियमित रेल–सेवाएँ उपलब्ध हैं।


