UP By Election (Pic: Social Media)
UP By Election: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनाव आयोग ने चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान भी कर दिया है। सपा और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। मगर रिपोर्टस के मुताबिक कांग्रेस पार्टी अब किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। सपा ने उपचुनाव की 10 विधानसभा सीटों में से खैर और गाजियाबाद की दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ रखी थी। मगर अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस इन दोनों सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ेगी। हालांकि उपचुनाव में भी गठबंधन बना रहेगा। इसेक पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को जीत की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में चुनाव हार कर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं तोड़ना चाहती।�
नहीं हो सका सपा से सीटों का समझौता
उपचुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटों की मांग की थी। मगर बात नहीं बनी। समाजवादी पार्टी महज दो सीटों पर ही कांग्रेस को मौके देना चाहती थी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने सपा से उन सीटों की मांग की जहां 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार मिली थी। मगर इस पर बात नहीं बनी। कांग्रेस ने समझौता करते हुए फूलपुर और मंझवा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। मगर अखिलेश यादव ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। कांग्रेस के हिस्से अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की सीट आई। दोनों ही सीटों पर भाजपा की मजबूत पकड़ है। सपा और कांग्रेस दोनों के लिए इस सीट पर चुनाव जीतना बिलकुल आसान नहीं होगा।
बना रहे कार्यकर्ताओं का मनोबल
कांग्रेस अपने हिस्से की दो सीटों को बदलवाना चाहती थी मगर ऐसा नहीं हो सका। ऐसे में अब कांग्रेस ने मन बदल लिया है। रिपोर्टस के मुताबिक यह लगभग तय माना जा रहा है कि कांग्रेस अब यूपी उपचुनाव नहीं लड़ेगी। कहा जा रहा है कि पार्टी अब चुनाव न लड़कर सपा को बाहर से ही समर्थन करेगी। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 का आंकड़ा छुआ। इनमें से छह सीटें उत्तर प्रदेश की भी हैं। पार्टी के कुछ बेहतर प्रदर्शन ने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। पार्टी की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है। उपचुनाव में खैर और गाजियाबाद की सीट पर कांग्रेस को जीतने की उम्मीद न के बराबर है।
कांग्रेस कुर्बानी देने को तैयार
कमजोर पकड़ होने के चलते पार्टी चुनाव हार कर अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल कम नहीं करना चाहती। साथ ही गठबंधन को भी बचाए रखने की भी जिम्मेदारी है। हरियाणा चुनाव में सीट न मिलने पर अखिलेश यादव ने कहा था कि बीजेपी को हराने के लिए वह कुर्बानी दे रहे हैं। इस बार कुर्बानी देने की बारी कांग्रेस की है। जिसके लिए कांग्रेस तैयार भी है। उपचुनाव में कांग्रेस के न लड़ने की बात को लेकर अब तक सपा या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मगर सूत्रों के हवाले और राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस पार्टी इसकी घोषणा भी कर सकती है�
सपा और कांग्रेस की कमजोर पकड़
खैर और गाजियाबाद सीट पर भाजपा की पकड़ बेहद मजबूत है। 2022 के विधानसभा चुनाव में खैर सीट पर भाजपा के अनूप प्रधान को इस सीट पर 55 फीसदी से अधिक वोट मिले थे। जबकि सपा और रालोद के गठबंधन में होने के बाद भी रालोद को 16 प्रतिशत वोट ही मिले। कांग्रेस के हिस्से एक प्रतिशत से भी कम महज 0.6 प्रतिशत वोट आया। गाजियाबाद सीट पर भी ऐसा ही हाल है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा को 61.37 फीसदी, सपा को 18.25 फीसदी और कंग्रेस को 4.81 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में दोनों पार्टियों को हार का डर है। इसी वजह से कांग्रेस ने हाथ पीछे खींच लिए हैं।