Akhilesh Yadav and CM Yogi (photo: social media )
UP By-Election 2024: महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर भी चुनाव का ऐलान हो गया है। उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे जबकि 23 नवंबर को मतगणना होगी। लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन को मिली बड़ी कामयाबी के बाद उत्तर प्रदेश के उपचुनाव को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। उपचुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों का सियासी कद तय करेंगे। लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका लगने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस उपचुनाव के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। दूसरी ओर अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी की ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं ताकि यह बात साबित हो सके कि लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी महज तुक्का नहीं थी।
भाजपा और सपा के लिए आर-पार की जंग
उत्तर प्रदेश में होने वाला उपचुनाव सपा-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा के लिए आर-पार की जंग माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा को करारा झटका दिया था। सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल करते हुए भाजपा को पीछे छोड़ दिया था।
उत्तर प्रदेश में लगे झटके के कारण भाजपा लोकसभा चुनाव में अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं हासिल कर सकी थी। उत्तर प्रदेश को सियासी नजरिए से प्रदेश में सबसे अहम माना जाता है और अब पार्टी प्रदेश में अपनी पकड़ कमजोर नहीं पड़ने देना चाहती।
सपा-कांग्रेस में सीटों का बंटवारा उलझा
वैसे चुनाव तारीखों का ऐलान हो जाने के बावजूद अभी तक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। सीट बंटवारे से पहले ही सपा ने छह सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस की ओर से पांच सीटों की डिमांड की जा रही है मगर सपा मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं।
सपा की ओर से कांग्रेस को दो सीटें देने की बात कही जा रही है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बातचीत से ही सीटों के बंटवारे का यह पेंच सुलझा पाएगा। सपा की ओर से महाराष्ट्र में 10 सीटें मांगने के कारण यह मामला और उलझता दिख रहा है।
कई सीटों पर भाजपा को मिलेगी कड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश की जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है,उसमें कटेहरी, सीसामऊ, करहल, खैर, मंझवा, फूलपुर, गाजियाबाद शहर, मीरापुर और कुंदरकी सीट शामिल हैं। मिल्कीपुर सीट का मामला अभी कोर्ट में होने के कारण इस सीट पर अभी तक चुनाव की तारीख नहीं घोषित की गई है। जानकारों का कहना है कि मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में जाने की संभावना है।
हाल में हुई भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक में नौ सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है। हालांकि निषाद पार्टी भी दो सीटों की अपनी डिमांड से पीछे नहीं हटी है। जिन सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं,उनमें यादव परिवार का गढ़ माने जाने वाली करहल सीट,मुस्लिम बहुल कुंदरकी और कानपुर की सीसामऊ सीट पर भाजपा को सपा से कड़ी चुनौती मिलेगी।
सीएम योगी के लिए चुनाव में जीत क्यों जरूरी
लोकसभा चुनाव में झटका लगने के बाद उत्तर प्रदेश का उपचुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस उपचुनाव में भाजपा को जीत दिलाकर योगी एक बार फिर प्रदेश में अपनी ताकत का लोहा मनवाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही सभी क्षेत्रों में एक चरण का दौरा पूरा कर लिया है। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन क्षेत्रों में पांच हजार करोड़ से अधिक विकास योजना का शिलान्यास और लोकार्पण किया है।
योगी की ओर से विधानसभा उपचुनाव को महत्व दिए जाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि योगी को इस बात की बखूबी जानकारी है कि अगर चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं रहे तो उनके नेतृत्व को लेकर फिर सवाल उठने लगेगा। लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद भी इस तरह का सवाल उठा था मगर आखिरकार वे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे। अब यदि विधानसभा उपचुनाव में योगी अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हुए तो निश्चित रूप से उनके लिए सियासी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अखिलेश को फिर पीडीए पर भरोसा
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुट गए हैं। समाजवादी पार्टी भी लोकसभा चुनाव के दौरान मिली जीत से पैदा हुए उत्साह को कमजोर नहीं पड़ने देना चाहती। सपा ने छह विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी पहले ही घोषित कर दिए हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस से सीटों के बंटवारे का फार्मूला तय होने के बाद अखिलेश यादव अपनी सक्रियता बढ़ाएंगे।
सपा मुखिया अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला लोकसभा चुनाव के दौरान काफी हिट रहा था और इसलिए अखिलेश विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी इस फॉर्मूले को अपनाना चाहते हैं। वे इस बात को भी साबित करना चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव की कामयाबी अनायास नहीं थी। अब यह देखने वाली बात होगी कि योगी आदित्यनाथ और सपा मुखिया अखिलेश यादव में से कौन अपनी ताकत को दिखाने और अपना सियासी कद और मजबूत बना पाने में कामयाब हो पाता है।