UP By- Election 2024 : लोकसभा चुनाव – 2024 के बाद रिक्त हुईं विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है। इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर है। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है, लेकिन कांग्रेस ने उपचुनाव से दूरी बना ली है। इसे लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा था, दोनों दलों को अप्रत्याशित सफलता मिली थी। यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। गठबंधन के तहत सपा ने कांग्रेस को यूपी में 17 सीटें दी थीं, जिनमें से 12 सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है। ऐसे में कांग्रेस की यूपी में बढ़ती लोकप्रियता भी एक बड़ा कारण है, जिस कारण से उपचुनाव में सपा ने कांग्रेस से किनारा कर लिया या कहें, जितनी सीटें मांग रही थी, नहीं दी। उसे डर सता रहा है कि कहीं उसका वोट बैंक कांग्रेस के पाले में न चला जाए। कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने से नेतृत्व में नाराजगी भी देखी गई।
इसलिए किया किनारा
वहीं, कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव के लिए पांच सीटें मांगी थीं, ये सभी भाजपा खाते की थी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने सिर्फ दो सीटें खैर और गाजियाबाद ही छोड़ी, शेष सभी सीटों पर सपा ने अपने प्रत्याशी पहले ही उतार दिए। ये बात कांग्रेस को नागवार गुजरी और अपने को उपचुनाव से किनारे कर लिया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सपा ने उपचुनाव के लिए गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया, उसने कांग्रेस के साथ सीट को लेकर कोई भी चर्चा नहीं की, जिससे पार्टी आलाकमान में नाराजगी दिखी।
रिस्क नहीं लेना चाहती कांग्रेस
इसके अलावा नामांकन से ठीक दो दिन पहले समाजवादी पार्टी ने फूलपुर की सीट कांग्रेस के लिए छोड़नी की बात कही, हालांकि ये भी सीट उसे मुफीद नहीं लगी, क्योंकि सपा यहां पहले ही मुस्लिम उम्मीदवार को उतार चुकी थी। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता है। दरअसल, कांग्रेस यहां अपने जिलाध्यक्ष सुरेश यादव को उतारना चाहती थी। कांग्रेस का मानना है कि यदि सपा के प्रत्याशी को अब हटाकर अपने प्रत्याशी को उतारेगी तो उसकी अल्पसंख्यक हितैषी वाली छवि खतरे में पड़ जाएगी। इससे सपा को तो फायदा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक नुकसान होने की उम्मीद है।