जाति का एजेंडा या हिंदुत्व का आगाज़, दाव पर लगी सपा-भाजपा की साख: Photo- Social Media
UP News: उत्तर प्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव को 2027 के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा जिसको लेकर पार्टी आलाकमान ने खूब मंथन किया। उपचुनाव के जरिए अपनी साख को मजबूत करने के लिए भाजपा ने एक बार फिर हिंदुत्व का दांव चला। जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया नारा ‘बटोगे तो कटोगे’ का इशारा हिन्दुओं के एकजुटता की तरफ था तो वहीं लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से समाजवादी पार्टी पूरे जोश में हैं। उपचुनाव में सपा ने पीडीए के एजेंडे पर खूब काम किया तो ‘बटोगे तो कटोगे’ के नारे का पलटवार करते हुए जुटेंगे तो जीतेंगे का नारा दिया।
वैसे तो इस उपचुनाव के जरिए बसपा अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। इस उपचुनाव की लड़ाई को त्रिकोणीय माना जा रहा था लेकिन 20 नवंबर को मतदान के बाद से कहा जा रहा कि ये लड़ाई सीधे सपा बनाम भाजपा हो गई है।
सपा और भाजपा की रणनीति और 2027 चुनाव
उपचुनाव की नौ सीटों में बीजेपी और सपा के बीच स्कोर क्या रहेगा, अब सबकी निगाहें इसी पर टिक गई हैं। बीजेपी और सपा के रणनीतिकार अंदरखाने मंथन में जुटे हैं कि अगर स्कोर 7-2, 6-3 या 5-4 रहता है तो नतीजों वाले दिन पार्टी का कैसे बचाव करना है। ये स्कोर 2027 में सपा और भाजपा की रणनीति पर भी काफी असर डाल सकता है। रणनीतिकारों का कहना है कि इस उपचुनाव को 2027 के पहले सेमीफाइनल माना जा रहा था, लिहाजा देखना होगा कि सीएम योगी आदित्यनाथ की बंटेंगे तो कटेंगे के नारे के आधार पर हिन्दुत्व वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति कारगर रही या अखिलेश जातिगत समीकरणों के सहारे पीडीए को साधने में सफल रहे।
इस बीच मतदान वाले दिन सपा और भाजपा ने एक दूसरे के ऊपर जमकर आरोप लगाएं। कई जगह मतदाताओं को मताधिकार का प्रयोग करने से रोकने का आरोप लगा तो कुछ जगहों से छिटपुट झड़प की भी ख़बर आई।
इधर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने उपचुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है. सपा नेता शिवपाल यादव ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है। इसके बाद भी सत्ता पक्ष जिस तरह से उपचुनाव में धांधली किया है, इसकी जरूरत नहीं थी। हालांकि भाजपा की जबरदस्त धांधली के बाद भी सपा पांच से छह सीटों पर जीत हासिल करेगी। राम गोपाल यादव ने आरोप लगाते हुए मतदान रद्द करके अर्द्ध सैनिक बलों की निगरानी में दोबारा वोट डलवाने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश उपचुनाव
इस उपचुनाव को लेकर कई बड़े सवाल खड़े हुए। सवाल यह भी था कि क्या जाति और धर्म की राजनीति से ही अब चुनाव जीते जाएंगे। इस उपचुनाव में विकास की बातें कम हुई, बात हुई तो जाति की या धर्म की। समाजवादी पार्टी ने पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक की बात की तो वहीं भारतीय जनता पार्टी अपने हिंदुत्व के एजेंट पर कायम रही। अब 23 नवंबर को मतगणना होगा उसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि इस चुनाव में कौन सी पार्टी कितनी सीट जीत रही है? राजनीति के जानकारों का मानना है कि उपचुनाव आमतौर पर सत्ता पक्ष का चुनाव माना जाता है। लेकिन समाजवादी पार्टी इस उपचुनाव के जरिए अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी इस उप चुनाव के जरिए यह संदेश देना चाहती है कि वक्त उनका है।