
UP Politics: भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली में लगातार चल रही अहम बैठकों ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज कर दी है। हाल ही में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिसके बाद से कयासों का दौर शुरू हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रमुख और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को अचानक दिल्ली बुलाया गया है। यह घटनाक्रम राजनीतिक हलकों में संभावित बदलावों की ओर इशारा कर रहा है।पार्टी के शीर्ष नेतृत्व — प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा — के बीच बीते दिनों हुई लंबी मंत्रणा के बाद दिल्ली में सन्नाटा है। जानकार मानते हैं कि यह किसी बड़े सियासी फेरबदल से पहले की शांति हो सकती है।
उत्तर प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की अटकलें
सूत्रों का दावा है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी के शीर्ष स्तर पर बदलाव की तैयारी चल रही है। ऐसा भी माना जा रहा है कि राज्य के वरिष्ठ नेता को केंद्र में बड़ी भूमिका दी जा सकती है। हालांकि, अब तक बीजेपी या किसी बड़े नेता की ओर से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
राजा भैया की दिल्ली यात्रा को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर अटकलें तेज हैं कि केंद्र उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकता है। इससे न सिर्फ बीजेपी को जनसत्ता दल का समर्थन मिल सकता है, बल्कि लोकसभा चुनावों में क्षत्रिय समुदाय की नाराजगी को भी कम करने का अवसर मिल सकता है।
राजा भैया का राजनीतिक सफर
राजा भैया का राजनीतिक करियर करीब तीन दशकों से अधिक लंबा रहा है। 1993 और 1996 में वह बीजेपी समर्थित उम्मीदवार के रूप में विधानसभा पहुंचे, जबकि बाद के वर्षों में वे समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे।
उन्होंने 1997 में कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव की सरकारों में मंत्री पद संभाला। 1999 और 2000 में वे राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह सरकार में युवा कल्याण मंत्री रहे। 2004 में वे मुलायम सरकार में खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री रहे। वर्ष 2018 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक, की स्थापना की। फिलहाल इस पार्टी के पास दो विधायक और एक एमएलसी हैं।