
Winter Trip Goals: यदि आप विंटर डेस्टिनेशन ट्रिप प्लान कर रहें हैं और प्रकृति की गोद में कुछ शांत, जादुई और बिल्कुल अनछुआ अनुभव करना चाहते हैं, तो इस सर्दी झारखंड का उधवा पक्षी अभयारण्य आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। नवंबर की शुरुआत होते ही यहां हवा में एक अलग ही शोखी घुल जाती है। हरियाली से घिरी वादियों के बीच पानी की सतह पर मंडराते पक्षियों की परछाइयां, सुनहरा आसमान और विदेशी परिंदों की लगातार सुनाई देने वाली चहचहाहट पर्यटकों का मन मोह लेती है। झारखंड के साहिबगंज जिले में बसे उधवा गांव की यह प्रसिद्ध पतौड़ा झील हर साल हजारों प्रवासी पक्षियों को आश्रय देती है। साइबेरिया, मध्य एशिया, यूरोप और मंगोलिया से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर आने वाले ये परिंदे यहां सर्दियों में अपना सुरक्षित बसेरा बनाते हैं।
उधवा – पूर्वी भारत का इकलौता पक्षी अभयारण्य
झारखंड में स्थित उधवा पक्षी अभयारण्य अपनी विशिष्टता के कारण पूरे देश में पहचाना जाता है क्योंकि यह पूर्वी भारत का इकलौता पक्षी अभयारण्य है। लगभग 155 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले इस अभयारण्य में दो प्रमुख जलक्षेत्र पतौड़ा झील और बरसोत बील शामिल हैं। जिनमें से पतौड़ा झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित रामसर साइट का दर्जा प्राप्त है। यह जगह जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण है। पतौड़ा झील की सबसे खास बात यह है कि इसे साल भर उधवा नाले के माध्यम से गंगा नदी का ताजा पानी मिलता रहता है, जिससे यह प्रवासी पक्षियों के लिए एक पसंदीदा और सुविधाजनक आवास बन जाती है। हर साल यहां 20,000 से अधिक पक्षियों के आगमन का रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है। जिससे यह झील पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान प्रतीत होती है।
साइबेरिया से उधवा तक प्रवासी पंछियों की अद्भुत यात्रा
जैसे ही साइबेरिया और मध्य एशिया में तापमान शून्य के नीचे गिरता है और झीलें बर्फ में तब्दील हो जाती हैं। जहां पक्षियों के लिए भोजन और सुरक्षित आवास की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में ये प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर की लंबी और कठिन यात्रा करके भारत जैसे गर्म और अनुकूल मौसम वाले स्थानों की ओर रुख करते हैं। उधवा का शांत वातावरण, ताजा जल, भोजन की प्रचुरता और प्राकृतिक सुरक्षा इन्हें यहां रुकने के लिए प्रेरित करती है। इस क्षेत्र में पक्षियों को जलजीव, छोटी मछलियां, कीट और नरम जल पौधों की अच्छी उपलब्धता मिलती है, जो उनके जीवित रहने के लिए आवश्यक है। यही कारण है कि पतौड़ा झील हर वर्ष विदेशी पंछियों का पसंदीदा विंटर होम बन जाती है।
दुर्लभ और खूबसूरत प्रवासी पक्षियों की रहती है अनूठी उपस्थिति
उधवा पक्षीविहार पक्षी प्रेमियों और प्रकृति फोटोग्राफरों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है क्योंकि यहां कई दुर्लभ और विदेशी पक्षियों को करीब से देखने का मौका मिलता है। इस क्षेत्र में साइबेरियन क्रेन जैसी अत्यंत दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति भी कभी-कभी दिखाई देती है। इसके अतिरिक्त बार-हेडेड गूज, जिसे दुनिया में सबसे ऊंची ऊंचाई पर उड़ने वाली साइबेरियन पक्षियों की प्रजाति माना जाता है, यहां बड़ी संख्या में पहुंचती है। इनके अलावा नॉर्दर्न पिंटेल, शेवलर, गडवाल, कॉमन पोचर्ड, लैपविंग, व्हिस्लिंग टील और ब्लैक-टेल्ड गॉडविट जैसी खूबसूरत प्रजातियां भी झील के आस-पास आसानी से देखी जा सकती हैं। सुबह की हल्की धूप में झील की शांत सतह पर तैरते इन पक्षियों को देखना एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य होता है।
प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए जादुई अनुभव
सर्दियों की सुबह जब सूरज की पहली किरण झील की लहरों पर गिरती है, उस समय उधवा का दृश्य किसी जीवंत पेंटिंग सा लगता है। प्रवासी पक्षियों के बड़े-बड़े झुंड आसमान में गोलाकार बनाते हुए उड़ते हैं और उनकी सामूहिक पुकार पूरे वातावरण को जीवंत बना देती है। झील के किनारे खड़े होकर पक्षियों का भोजन तलाशते हुए पानी में गोता लगाना, उनके पंखों की चमक और पानी में उनकी छाया का प्रतिबिंब देखना एक अविस्मरणीय अनुभव देता है। यही दृश्य उधवा को फोटोग्राफरों के लिए बेहद आकर्षक स्थल बनाता है। यहां का सूर्योदय का समय पक्षी अवलोकन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इस समय पक्षियों की गतिविधियां चरम पर होती हैं।
उधवा कैसे पहुंचें और कब जाएं
उधवा पक्षीविहार झारखंड के साहिबगंज जिले में स्थित है और यहां पहुंचना काफी आसान है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन साहिबगंज है, जो लगभग 12 से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। जबकि भागलपुर जैसे बड़े रेल जंक्शन से यह लगभग 55 किलोमीटर दूर है। हवाई सफर करने वाले पर्यटक दुमका या देवघर एयरपोर्ट से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंच सकते हैं। NH-80 के जरिए इस क्षेत्र तक पहुंचना सरल और सुहावना सफर साबित होता है। रास्ते में हरे-भरे खेत, पहाड़ियां और ग्रामीण परिवेश इस यात्रा को और भी सुंदर बना देते हैं। उधवा घूमने के लिए नवंबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, विशेषकर दिसंबर और जनवरी में यहां पक्षियों की संख्या चरम पर होती है।
यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
उधवा जैसे संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र में घूमते समय पर्यटकों को प्रकृति की मर्यादा बनाए रखना बेहद जरूरी है। पक्षियों को किसी भी प्रकार का भोजन न दें और उनके आवास के पास शोर न मचाएं ताकि उनकी प्राकृतिक गतिविधियां बाधित न हों। झील के किनारे स्वच्छता बनाए रखना और कचरा न फैलाना भी पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है। यदि नाव से झील में भ्रमण की इच्छा हो तो स्थानीय गाइड की सहायता लेना बेहतर रहता है ताकि पक्षियों की सुरक्षा और आपका अनुभव दोनों सुखद बने रहें।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी उपलब्ध स्रोतों और फील्ड रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी यात्रा की योजना बनाने से पहले स्थानीय प्रशासन और मौसम की स्थिति की पुष्टि अवश्य करें।


