Jodidaran Practice (Image Credit-Social Media)
Woman Have Many Husbands: भारत में एक ऐसी जगह है जहाँ शादी तो बड़े भाई की होती है लेकिन पत्नी को सब भाइयों में बाँट दिया जाता है। आइये जानते हैं आखिर कहाँ स्थित है ये जगह और क्यों बंटना पड़ता है एक नई नवेली दुल्हन को भाइयों के बीच।
यहाँ भाइयों में बांट दिया जाता है पत्नी को
हिमाचल प्रदेश के जिले सिरमौर में जोड़ीदारां’ प्रथा है। जहाँ ये प्रथा इसलिए आगे बढ़ी क्योंकि महिलाओं को दिन रात एक ही डर रहता था कि कहीं घर बंट न जाये। पत्नियां ख़ुशी-ख़ुशी इस प्रथा की बलि चढ़ जातीं जिससे चूल्हा साझा रह सके। आज भी अगर आप यहाँ की महिलाओं से मिलेंगें तो वो यही कहेंगीं कि उन्हें सब ख़ुशी से सहना पड़ा।
वहीँ एक महिला का कहना था कि जिस देवर को उन्होंने स्कूल के लिए टिफ़िन बनाकर भेजा उसी को एक दिन पति के रूप में स्वीकार करना पड़ा। वो कभी इस डर से न तो पति को न ही देवर को मना कर पाई कि कहीं दूसरी न ले आये तो फिर सबमे कैसे चीज़ें बटेंगीं। इस गांव में गरीबी की वजह से इस प्रथा को और भी ज़्यादा बढ़ावा मिला। वो देवर को छोटे पति कहकर सम्बोधित करतीं हैं। घर में एक ही स्वेटर था जो सास पहनकर बाहर जाती तो हमको घर पर रहना होता। जब हम जाते तो सास घर पर रहती। दोनों सास बहु कभी साथ घर से बाहर नहीं जातीं थीं।
इसी गांव में एक और महिला ने बताया कि उन्हें तीन पतियों का साथ मिला। एक रात पहला पति आता तो दूसरी रात दूसरा और तीसरी रात तीसरा पति आता था। कभी कभी मन नहीं होने पर भी उनकी बात मान लिया करती थीं। घर में संसाधन कम थे और अगर सबको बाँटना पड़ता तो किसी को भी कुछ नहीं मिलता। बच्चों का भी बटवारा कर दिया जाता। दो बच्चे एक भाई के दो एक के और दो एक के।
फिलहाल बदलते दौर के साथ अब ज़माना बदल रहा है लोग पढ़ लिख रहे हैं इसलिए अब ये प्रथा भी धीरे धीरे खत्म होती जा रही है। लेकिन पीढ़ियों से चल रही ये प्रथा पूरी तरह से ख़त्म नहीं हो सकती। ऐसे में बड़े बुज़ुर्ग अभी भी इस प्रथा को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं। जिससे घर में बंटवारा न हो। लेकिन जो महिलाएं इस प्रथा में आज भी बंधीं हैं उनसे ये पूछने पर कि क्या वो अपने बच्चों को भी इस प्रथा में बांटना चाहेंगीं इसपर उनका जवाब था कभी नहीं। वो कहतीं हैं जो सहना था हमने सह लिया अब बच्चे पढ़ लिख रहे हैं अच्छा काम काज भी है। उन्हें इस प्रथा में बंधने की ज़रूरत नहीं है।
फिलहाल सिरमौर के लोग इन महिलाओं को बेहद सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। उनका मानना है कि इन्होने कितना कुछ सिर्फ घर की खातिर सह लिया।��