आरबीआई ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अब तक की सबसे बड़ी राशि यानी 2.69 लाख करोड़ रुपये देने का फ़ैसला किया है। यह पैसा आरबीआई के मुनाफे से आया है और इसे सरकार को ट्रांसफ़र किया जाएगा। यह पैसा पिछले साल दिए गए 2.1 लाख करोड़ रुपये से काफ़ी ज़्यादा है।
यह पैसा सरकार के लिए बहुत बड़ी मदद है। इससे सरकार सड़क, स्कूल, अस्पताल जैसी योजनाओं पर ज़्यादा ख़र्च कर सकेगी। साथ ही, यह पैसा देश के आर्थिक घाटे को कम करने में भी मदद करेगा। खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव और महंगाई का दबाव है, यह पैसा भारत की आर्थिक स्थिति को मज़बूत करेगा।
पिछले साल आरबीआई ने सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये दिए थे, जो उस समय अपने आप में एक रिकॉर्ड था। उससे पहले 2022-23 में 87,416 करोड़ रुपये दिए गए थे। इस बार की 2.69 लाख करोड़ रुपये की राशि आरबीआई की कमाई के कारण इतनी ज़्यादा है। आरबीआई के पास ये रुपये अधिकतर ब्याज से मिले हैं।
आरबीआई ने यह भी फ़ैसला किया कि वह अपने पास जोखिमों से निपटने के लिए रखे जाने वाले पैसे को 6.5% से बढ़ाकर 7.5% करेगा। इससे भविष्य में किसी भी आर्थिक परेशानी से निपटने में मदद मिलेगी।
यह राशि क्या है और कहां से आई?
आरबीआई देश का केंद्रीय बैंक है। यह न सिर्फ़ बैंकों की देखरेख करता है, बल्कि सरकार के लिए भी कई वित्तीय काम संभालता है। हर साल, आरबीआई अपनी कमाई का एक हिस्सा सरकार को देता है। इसे लाभांश या अधिशेष कहते हैं। यह पैसा आरबीआई को ब्याज, निवेश, और अन्य वित्तीय गतिविधियों से मिलता है।
23 मई को मुंबई में आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में बोर्ड ने 2.69 लाख करोड़ रुपये सरकार को देने की मंजूरी दी। इसके अलावा, बोर्ड ने एक और महत्वपूर्ण फ़ैसला लिया। उसने अपने आकस्मिक जोखिम बफर को बढ़ाने का निर्णय किया। यह बफर एक तरह का आपातकालीन फंड है, जो आरबीआई भविष्य में किसी आर्थिक संकट से निपटने के लिए रखता है।
क्या चुनौतियाँ हैं?
हालाँकि, यह राशि सरकार के लिए अच्छी ख़बर है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं। वैश्विक स्तर पर महंगाई, तेल की क़ीमतों में उतार-चढ़ाव और आर्थिक अनिश्चितताएं भारत को भी प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में सरकार को इस पैसे का सही जगह इस्तेमाल करना होगा ताकि इसका ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा हो। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस पैसे को सिर्फ रोजमर्रा के खर्चों में इस्तेमाल करने के बजाय भविष्य के लिए निवेश करना चाहिए।
आरबीआई का 2.69 लाख करोड़ रुपये का हस्तांतरण सरकार के लिए एक बड़ा अवसर है, लेकिन इसके साथ बड़ी जिम्मेदारी भी है। अगर सरकार इस पैसे का सही और पारदर्शी तरीके से इस्तेमाल करती है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है और आम लोगों के जीवन में सुधार ला सकता है। लेकिन अगर इसका उपयोग बिना योजना के या गलत जगहों पर हुआ, तो यह मौका बेकार जा सकता है।
सवाल यह है कि क्या सरकार इस राशि को जनता के हित में इस्तेमाल करेगी, या यह सिर्फ अल्पकालिक लाभ के लिए खर्च हो जाएगी?