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    Home » इलाहाबादिया ‘अश्लीलता’ विवाद के बीच ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सख्ती?
    भारत

    इलाहाबादिया ‘अश्लीलता’ विवाद के बीच ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सख्ती?

    By February 20, 2025No Comments4 Mins Read
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    क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म या ऑनलाइन माध्यमों पर रणवीर इलाहाबादिया की ‘अश्लील’ टिप्पणी जैसा कंटेंट दिखाने पर रोक लगेगी कम से कम तीन ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जो ऐसी सामग्री पर सख़्ती के संकेत देते हैं। एक तो केंद्र ने ओटीटी प्लेटफॉर्म व सोशल मीडिया के लिए एथिक्स कोड जारी किए हैं और दूसरा सुप्रीम कोर्ट ने भी रणवीर इलाहाबादिया के मामले में सुनवाई करते हुए सख़्त रुख अपनाया है। इसके बाद संसदीय कमिटी ने भी इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय से मौजूदा क़ानूनों के प्रभाव पर रिपोर्ट मांगी है।

    रणवीर इलाहाबादिया की ‘अश्लील’ टिप्पणी के बाद मचे बवाल के बाद केंद्र सरकार का यह ताज़ा रुख सामने आया है। केंद्र सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म से कंटेंट को उम्र के आधार पर निर्धारित करने को कहा है। यानी कोई भी सामग्री किस आयु वर्ग के लोगों के लिए ठीक है और किस आयु वर्ग के लिए नहीं, यह साफ़ करने को कहा गया है। हालाँकि, केंद्र ने इसको जबरन लागू करने जैसी बात नहीं कही है, लेकिन इसने इसको एडवाइजरी कहा है। इसने स्व-नियमन सुनिश्चित करने को कहा है।

    केंद्र ने यह एडवाइजरी 19 फरवरी को जारी की है। इसमें मंत्रालय ने सोशल मीडिया चैनलों और ओटीटी प्लेटफॉर्म को आईटी नियम 2021 में तय आचार संहिता का पालन करने और बच्चों को अनुचित कंटेंट परोसने से बचने को कहा है। इसके तहत अनुचित कंटेंट को रोकने के लिए ‘ए-रेटेड सामग्री के लिए एक्सेस कंट्रोल’ लागू करने को कहा गया है।

    एडवाजरी में कहा गया है कि उसे ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया पर अश्लील, पोर्नोग्राफ़िक और अश्लील सामग्री परोसे जाने के बारे में शिकायतें मिली थीं। सरकार ने कहा कि कानून के अनुसार ओटीटी प्लेटफॉर्म को ऐसा कोई भी कंटेंट नहीं परोसना चाहिए जो कानून में प्रतिबंधित है। इसने कहा है कि कंटेंट को उम्र के आधार पर बताना चाहिए कि यह किस उम्र के लोगों के लिए अनुकूल है।

    एडवाइजरी में यह भी कहा गया कि नियम ये भी हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के स्व-नियामक निकाय आचार संहिता के अनुपालन की निगरानी सुनिश्चित करेंगे। एडवाइजरी में महिलाओं की अभद्रता से जुड़े क़ानून, भारतीय न्याय संहिता, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण यानी पोक्सो एक्ट और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों का भी हवाला दिया गया है। इसमें अश्लील सामग्री का प्रकाशन दंडनीय अपराध है। 

    यह एडवाइजरी सूचना प्रौद्योगिकी और संचार पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा एक बैठक के दौरान इलाहाबादिया से जुड़े मुद्दे को उठाने के बाद आयी है।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया के मामले में तीखी टिप्पणी की थी। अदालत इलाहाबादिया के ख़िलाफ़ दर्ज पुलिस मामलों को एक साथ जोड़ने की उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ के दौरान की गई टिप्पणियों के लिए इलाहाबादिया को कड़ी फटकार लगाई और केंद्र से पूछा कि क्या वह ऑनलाइन अश्लील सामग्री को नियंत्रित करने के लिए क़दम उठाने की योजना बना रहा है।

    अदालत ने यह भी कहा कि वह कोई शून्य नहीं छोड़ेगी और यदि ज़रूरी हुई तो वह कार्रवाई करेगी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इसने कहा, ‘भारत सरकार स्वेच्छा से ऐसा करेगी; हमें बहुत खुशी होगी। अन्यथा, हम यह शून्य नहीं छोड़ने जा रहे हैं। जिस तरह से तथाकथित यूट्यूब चैनलों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा रहा है… हमने नोटिस जारी किया है।’ 

    अदालत द्वारा केंद्र से पूछे गए सवालों के बाद संसदीय पैनल ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से ऐसे मामलों से निपटने में मौजूदा कानूनों की प्रभावशीलता पर एक नोट देने के लिए कहा। इसने ऑनलाइन प्लेटफार्मों को कानूनी जांच के दायरे में लाने के लिए ज़रूरी संशोधनों का सुझाव देने को कहा।

    भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन को पत्र लिखा।

    (इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)

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