
BJP President
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BJP President: भारतीय जनता पार्टी (BJP) इन दिनों अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर दुविधा में है। पहले पार्टी को इस मुद्दे पर अपने वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से सहमति बनानी थी और अब अचानक उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने पार्टी के सामने एक और चुनौती खड़ी कर दी है। आइये पूरा मामला विस्तार से समझते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव ने बढ़ाई बीजेपी की उलझन
हाल ही में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला दिया। हालांकि, विपक्ष इसे सामान्य नहीं बताते हुए इसे एक बड़ी चाल बता रहे हैं। इस बीच अब उपराष्ट्रपति पद खाली होने के कारण बीजेपी का पूरा ध्यान अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर केंद्रित हो गया है। इससे पार्टी के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया फिर से ठंडे बस्ते में चली गई है। पहले से ही लंबे समय से रुके हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में अब और देरी हो सकती है।
यूपी समेत इन राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा लंबित
भाजपा ने अब तक 36 में से 28 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा जैसे बड़े राज्यों में अब तक नया अध्यक्ष तय नहीं हो सका है। इससे इन राज्यों के कार्यकर्ताओं और संगठन में बेचैनी बनी हुई है। हालांकि, बीते दिन यूपी बीजेपी अध्यक्ष के लिए केंद्रीय नेतृत्व को छह नामों की लिस्ट भेजी गई है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दो हफ्तों में एक नाम पर मुहर लग सकती है।
कब होंगे संगठन चुनाव?
फिलहाल इस बात की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बाकी प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव कब होगा। ऐसा माना जा रहा है कि मॉनसून सत्र के दौरान यह संभव नहीं दिखता और इसके बाद बिहार चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। ऐसे में यह मामला और खिंच सकता है।
इन नेताओं के नाम रेस में आगे
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए कई बड़े नेताओं के नाम चर्चा में हैं। इनमें धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय मंत्री), शिवराज सिंह चौहान (कैबिनेट मंत्री), मनोहर लाल खट्टर (कैबिनेट मंत्री) और भूपेंद्र यादव (कैबिनेट मंत्री) के नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ नेता अपने संगठनात्मक अनुभव के लिए जाने जाते हैं, जबकि कुछ का नाम राजनीतिक संतुलन और सामाजिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर सामने आ रहा है।
बीजेपी के सामने इस समय दोहरी चुनौती है- एक तरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति, और दूसरी तरफ उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी। दोनों ही मामले पार्टी के भविष्य और संगठनात्मक मजबूती के लिए बेहद अहम हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी किसे अपना अगला चेहरा बनाती है।